Sharda Sinha: कोकिला शारदा सिन्हा पंचतत्व में हुईं विलीन, अंतिम सफर में बजा आखिरी छठ गीत

बिहार की प्रसिद्ध लोक गायिका शारदा सिन्हा आज (7 नवंबर) छठ के तीसरे दिन पंचतत्व में विलीन हो गईं। पटना के गुलबी घाट पर राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया। बेटे अंशुमान ने उनकी चिता को मुखाग्नि दी।

Sharda Sinha: कोकिला शारदा सिन्हा पंचतत्व में हुईं विलीन, अंतिम सफर में बजा आखिरी छठ गीत

Sharda Sinha: बिहार (Bihar) की प्रसिद्ध लोक गायिका शारदा सिन्हा आज (7 नवंबर) छठ के तीसरे दिन पंचतत्व में विलीन हो गईं। पटना (Patna) के गुलबी घाट पर राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया। बेटे अंशुमान ने उनकी चिता को मुखाग्नि दी। इस दौरान घाट पर मौजूद लोगों ने 'शारदा सिन्हा अमर रहे' के साथ छठी मईया के जयकारे लगाए।

अंतिम यात्रा में उमड़ी प्रशंसकों की भीड़

बिहार की कोकिला शारदा सिन्हा (Sharda Sinha) की आखिरी इच्छा थी कि उनका अंतिम संस्कार वहीं किया जाए, जहां उनके पति ब्रजकिशोर सिन्हा (Brajkishore Sinha) का क्रिया कर्म हुआ था। उनकी अंतिम इच्छा का सम्मान करते हुए पटना के गुलबी घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया गया। शारदा सिन्हा पंचतत्व में विलीन हो चुकी हैं। इससे पहले पटना के राजेंद्र नगर स्थित शारदा के घर से गुलबी घाट तक उनका मुक्ति रथ निकाला गया। उनकी अंतिम यात्रा में उनका गाया आखिरी छठ गीत 'दुखवा मिटाई छठी मईया' बजाया गया। शारदा के बेटे अंशुमान (Anshuman) ने मां की अर्थी को कंधा दिया। उनके साथ बीजेपी के पूर्व सांसद रामकृपाल यादव (Former MP Ramkripal Yadav) और विधायक संजीव चौरसिया (MLA Sanjeev Chaurasia) ने भी उन्हें कंधा दिया। उनके अंतिम दर्शन के लिए सैकड़ों की भीड़ में प्रशंसक पहुंचे थे। हर किसी ने उन्हें नम आंखों से विदाई दी। वहीं बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा गुरुवार (आज) शाम शारदा सिन्हा के राजेन्द्र नगर स्थित घर जाकर उन्हें श्रद्धांजलि देंगे।

शारदा सिन्हा ने दिल्ली के एम्स में ली थी अंतिम सांस 

बता दें कि प्रसिद्ध लोक गायिका शारदा सिन्हा का दिल्ली के एम्स में मंगलवार (5 नवंबर) को निधन हो गया था। छठ गीतों के लिए फेमस शारदा सिन्हा ने छठ महापर्व के पहले दिन ही अंतिम सांस ली। उनके अंतिम सफर में उनका आखिरी छठ गीत 'दुखवा मिटाई छठी मईया' बजाया गया। छठ का ये गाना शारदा ने दिल्ली एम्स से ही रिलीज किया था। लोक गायिका शारदा सिन्हा को छठ गीतों से ही पहचान मिली है। उनके गानों के बिना छठ का महापर्व अधूरा माना जाता है। 

45 दिन पहले हुआ था पति का अंतिम संस्कार

बता दें कि शारदा सिन्हा के पति का निधन 45 दिन पहले यानी 22 सितंबर को हुआ था। उनका अंतिम संस्कार पटना के गुलबी घाट पर ही किया गया था। शारदा सिन्हा की इच्छा थी कि उनका अंतिम संस्कार भी गुलबी घाट पर हो।