News click: न्यूज़क्लिक मामले में सुनवाई के लिए तैयार हुआ दिल्ली हाई कोर्ट
News click: न्यूज़क्लिक के संस्थापक और संपादक प्रबीर पुरकायस्थ और मानव संसाधन प्रमुख अमित चक्रवर्ती की गिरफ्तारी के खिलाफ दाखिल याचिका पर दिल्ली उच्च न्यायालय सुनवाई के लिए सहमत हो गया है। कपिल सिब्बल की दलीले सुनने के बाद पीठ सुनवाई के लिए सहमत हो गई।
Newsclick: न्यूज़क्लिक के संस्थापक और संपादक प्रबीर पुरकायस्थ (Prabir Purkayastha) और मानव संसाधन प्रमुख अमित चक्रवर्ती (Amit Chakraborty) की गिरफ्तारी के खिलाफ दाखिल याचिका पर दिल्ली उच्च न्यायालय सुनवाई के लिए सहमत हो गया है। पुरकायस्थ और अमित चक्रवर्ती ने आतंकवाद विरोधी कानून यूएपीए (anti terrorism law uapa) के तहत दर्ज मामले में अपनी गिरफ्तारी को हाई कोर्ट में चुनौती दी है।
वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल (Senior Advocate Kapil Sibal) ने मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा (Chief Justice Satish Chandra Sharma) और न्यायमूर्ति संजीव नरूला (Justice Sanjeev Narula) की खंडपीठ से मामले पर तत्काल सुनवाई करने का आग्रह किया।
सिब्बल ने पीठ से कहा कि, गिरफ्तारी अवैध तरीके से और सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का उल्लंघन करते हुए की गई है। कपिल सिब्बल (Kapil Sibal) की दलीलें सुनने के बाद पीठ इसके लिए सहमत हो गई।
बता दें कि न्यूज़क्लिक के संस्थापक और संपादक प्रबीर पुरकायस्थ के वकील अर्शदीप सिंह ने पहले दिल्ली की एक अदालत को सूचित किया था कि एफआईआर (FIR) और गिरफ्तारियों को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय के समक्ष एक याचिका दायर की जाएगी। इसमें इस बात पर प्रकाश डाला जाएगा कि आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) के पास पहले से ही एक एफआईआर थी और उच्च न्यायालय को इसके बारे में सूचित नहीं किया गया था।
वर्तमान एफआईआर के तहत दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल (Delhi Police Special Cell) ने पुरकायस्थ और चक्रवर्ती को मंगलवार को गिरफ्तार किया था और अगले दिन दिल्ली की एक अदालत ने उन्हें सात दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया था।
बुधवार को अदालत ने उन्हें रिमांड आदेश की प्रति देने के अलावा अपने वकील से मिलने की अनुमति दी थी। पटियाला हाउस कोर्ट (Patiala House Court) की अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश हरदीप कौर (Judge Hardeep Kaur) ने गुरुवार को आदेश दिया था कि पुरकायस्थ और चक्रवर्ती को उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर की प्रति दी जाए। उन्होंने उनके आवेदनों को अनुमति दे दी थी, जिनका दिल्ली पुलिस ने यह कहते हुए विरोध किया था कि यह समय से पहले है।
विशेष लोक अभियोजक अतुल श्रीवास्तव (Special Public Prosecutor Atul Srivastava) ने कहा कि आरोपी को पहले पुलिस आयुक्त (police Commissioner) से संपर्क करना होगा, जो फिर इस संबंध में एक समिति गठित करेगा। श्रीवास्तव ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के एक फैसले का भी हवाला देते हुए कहा था कि आरोपी को शीर्ष अदालत द्वारा निर्धारित चरण-दर-चरण प्रक्रिया का पालन करना होगा। उन्होंने कहा, वे सीधे अदालत के सामने नहीं कूद सकते।
पुरकायस्थ का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील अर्शदीप सिंह (Advocate Arshdeep Singh) ने तर्क दिया था कि उन्हें एफआईआर की प्रति प्राप्त करने का अधिकार है। उन्होंने अदालत से कहा कि, उन्होंने हमें रिमांड आदेश भी नहीं दिया है। वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति संजीव नरूला की खंडपीठ के समक्ष इस पर तत्काल सुनवाई के लिए दबाव डाला। सिब्बल ने कहा, ''गिरफ्तारी अवैध तरीके से और सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का उल्लंघन करते हुए की गई है।'' इसके बाद पीठ इसके लिए सहमत हो गई।