Ayodhya News: प्रवीण तोगड़िया रामलला के प्राण-प्रतिष्ठा में होंगे शामिल, गोरखपुर से धन्यवाद यात्रा की करेंगे शुरुआत
देश के शीर्ष हिंदू नेता व विहिप के पूर्व अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. प्रवीण भाई तोगड़िया भी अयोध्या पहुंच रहे है। रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के बुलावे पर डॉ. प्रवीण भाई तोगड़िया 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होंगे।
Ayodhya News: 500 सालों के कड़े संघर्ष के बाद अयोध्या (Ayodhya) में राम मंदिर (Ram Mandir) के भव्य निर्माण से पूरे देश में हर्षोउल्लास का माहौल है। 22 जनवरी को रामलला के प्राण प्रतिष्ठा (Ramlala's life prestige) के दिन पूरा देश राष्ट्रीय उत्सव (national festival) मनाएगा। राममंदिर के उद्घाटन समारोह में देश के नेता, अभितेना, साधु-संतो समेत बड़ी हस्तियां शामिल हो रही हैं। देश के शीर्ष हिंदू नेता व विहिप के पूर्व अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. प्रवीण भाई तोगड़िया (Dr. Praveen Bhai Togadia) भी अयोध्या पहुंच रहे है। रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट (Ramjanmabhoomi Teerth Kshetra Trust)के बुलावे पर डॉ. प्रवीण भाई तोगड़िया (Dr. Praveen Bhai Togadia) 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होंगे।
प्रवीण तोगड़िया तिलक लगाकर कारसेवकों का करेंगे सम्मान
विश्व हिंदू परिषद (Vishwa Hindu Parishad) के पूर्व नेता और राम मंदिर आंदोलन में सक्रिय रहने वाले प्रवीण तोगड़िया रामलला धन्यवाद यात्रा (Ramlala Thanksgiving Yatra) निकालेंगे। यह यात्रा 15 जनवरी से गोरखपुर से शुरू होकर कुशीनगर, वाराणसी, जौनपुर और प्रयागराज समेत कई शहरों से होते हुए 21 जनवरी की शाम अयोध्या पहुंचेगी। यात्रा जिन शहरों से गुजरेगी वहां धन्यवाद सभाओं का आयोजिन किया जाएगा। जिसमें राम मंदिर आंदोलन से जुड़े कारसेवकों से मिलकर इन्हें 24 जनवरी को अयोध्या आने का निमंत्रण दिया जाएगा। विहिप के पूर्व अध्यक्ष डॉ. प्रवीण भाई तोगड़िया ने कारसेवकों को 22 जनवरी के बजाए 24 जनवरी को बलाने पर सुरक्षा व्यवस्था का हवाला दिया है। उन्होंने बताया कि 22 जनवरी को सुरक्षा कारणों के चलते सीमित संख्या में ही रामभक्तों को आमंत्रित किया गया है। तोगड़िया ने आगे कहा कि 24 जनवरी को रामभक्तों और कारसेवकों के शौर्य का राम मंदिर के द्वार पर तिलक लगाकर सम्मान करेंगे। फिर इनके साथ दोबारा रामलला के धन्यवाद दर्शन करेंगे।
सत्ता को लेकर तोगड़िया और मोदी के बीच आई दरार
माना जा रहा है कि तोगड़िया के रामनगरी आने से उनकी, संघ और नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के बीच बनी दूरियां अब खत्म हो जाएगी। तोगड़िया पिछले छह वर्षों से अलग राह पर चल रहे हैं। दरअसल, मौजूदा समय में कैंसर सर्जन डॉ. प्रवीण भाई तोगड़िया देश के शीर्ष हिंदू नेता हैं। वह 10 साल की उम्र में ही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़ गए थे। उन्होंने साल 1979 में संघ के स्वयंसेवकों के मुख्य मार्गदर्शन किया। इस दौरान ही तोगड़िया और मोदी संघ में सहयोगी बने। दोनों की विचारधारा एक ही थी, जिसके चलते दोनों गहरे दोस्त बन गए। इनकी दोस्ती की चर्चा गुजरात के बाहर भी होती थी।
मोदी के मुख्यमंत्री बनने के बाद से आईं दूरियां
साल 1983 में तोगड़िया विश्व हिंदू परिषद (Vishwa Hindu Parishad) से जुड़े गए। अशोक सिंहल के बाद विश्व हिंदू परिषद की कमान उन्हें ही सौंपी गई। इस दौरान जहां तोगड़िया परिषद में थे। तो मोदी संघ में थे लेकिन, दोनों का हर क़दम एक साथ और एक ही दिशा में होता था। इस बीच प्रवीण तोगड़िया राम मंदिर आंदोलन में भी काफ़ी सक्रिय रहे। लेकिन 2002 में गुजरात में मोदी के मुख्यमंत्री बनने के बाद दोनों में दूरियां आने लगीं। जानकारी के मुताबिक, प्रवीण तोगड़िया और नरेंद्र मोदी दोनों का लक्ष्य प्रधानमंत्री बनने का था। नरेन्द्र मोदी तो पीएम मोदी बन गए। लेकिन तोगड़िया पीछे रह गए। जो उनकी नाराजगी या यूं कहें कि दुश्मनी का कारण बनीं। इसी के साथ तोगड़िया संघ और मोदी के आलोचक भी बन गए। हालांकि हाल ही में वीएचपी से अलग होकर उन्होंने अंतरराष्ट्रीय हिंदू परिषद (International Hindu Council) नाम का संगठन बनाया है।