Mohan Bhagwat: RSS के स्थापना दिवस के मौके पर बोले मोहन भागवत, ‘अपने हक की रक्षा करना अपना अधिकार है’

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने आज विजयादशमी के अवसर पर महाराष्ट्र के नागपुर में शस्त्र पूजा की। इससे पहले आरएसएस के स्वयंसेवकों ने पथ संचालन किया। इस दौरान स्वयंसेवक पारंपरिक गणवेश में बैंड-बाजे के साथ परेड निकालते हुए नजर आए।

Mohan Bhagwat: RSS के स्थापना दिवस के मौके पर बोले मोहन भागवत, ‘अपने हक की रक्षा करना अपना अधिकार है’

Mohan Bhagwat: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (Rashtriya Swayamsevak Sangh) प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने आज विजयादशमी (Vijayadashami) के अवसर पर महाराष्ट्र के नागपुर (Nagpur, Maharashtra) में शस्त्र पूजा की। इससे पहले आरएसएस (RSS) के स्वयंसेवकों ने पथ संचालन किया। इस दौरान स्वयंसेवक पारंपरिक गणवेश में बैंड-बाजे के साथ परेड निकालते हुए नजर आए। नागपुर के रेशम बाग मैदान में आयोजित कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, महाराष्ट्र डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस, पूर्व इसरो चीफ के. सिवन और के. राधाकृष्णन भी पहुंचे।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना 1925 में हुई थी 

दरअसल, विजयादशमी के दिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना हुई थी। इसीलिए यह पर्व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्थापना दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। वर्ष 1925 में विजयादशी के दिन डॉ. बलराम कृष्ण हेडगेवार ने इसकी शुरुआत की थी। वहीं इस बाक 2024 से संघ अपने स्थापना दिवस के शताब्दी वर्ष में पहुंच रहा है। इसलिए पूरे साल होने वाले संघ के प्रमुख कार्यक्रमों की रूपरेखा भी आज सामने आएगी।

मोहन भागवत ने कार्यक्रम को किया संबोधित  

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने संघ की स्थापना दिवस के मौके पर कार्यक्रम को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि गणेश उत्सव के दौरान मूर्ति विसर्जनों पर पथराव हुआ, क्यों हुआ कोई वजह नहीं थी। ऐसे में प्रशासन को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए। कई जगह कार्रवाई भी हुई और कई जगह नहीं हुई। गुंडागर्दी नहीं चलनी चाहिए, किसी को भी चलाने नहीं देनी चाहिए। अपने अधिकार की रक्षा करना अपना अधिकार है। उन्होंने कहा कि पुलिस प्रशासन का काम है रक्षा करना, लेकिन उससे पहले भी अपनों की सहायता करना कर्तव्य है। मैं ये वर्णन किसी को डराने के लिए नहीं कर रहा हूं। ये परिस्थिति है, हमें ऐसी परिस्थिति के लिए तैयार रहना होगा। 

युवा पीढ़ी नशे के जाल में फंस रही- भागवत

मोहन भागवत ने कहा कि हम देख रहे हैं कि भारत वर्ष में इस प्रकार मन वचनों पर कुप्रभाव हो रहा है। कोई बात छिपती नहीं है। बच्चों के हाथ पर भी मोबाइल है। वो क्या देख रहे हैं इस पर किसी का कंट्रोल नहीं है। इस पर नियंत्रण करना घर परिवार और विधि व्यवस्था पर भी आवश्यक है। इसके कुपरिणाम भी हैं। कई जगह युवा पीढ़ी नशे के जाल में फंस रही है। एक द्रौपद्री के वस्त्र का हरण हुआ, महाभारत हो गया। सीता हरण हुआ रामायण हो गया। आरजी कर अस्पताल में क्या हुआ वो लज्जित करने वाला हो गया है। ऐसा नहीं होना चाहिए था। होने के बाद भी वहां जिस तरह की टालमटोली हुई, वो अपराध और राजनीति के गठबंधन को दिखाता है। 

‘पहले जैसा आपस में युद्ध करना आसान नहीं है’ 

शस्त्र पूजन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मोहन भागवत ने कहा कि पहले जैसा आपस में युद्ध करना आसान नहीं है अब युद्ध को मंत्र विप्लव कहते हैं अपनी परंपरा में। उनको देश में भी अपने जैसे कई लोग मिल जाते हैं। लेकिन समाज में यह टकराव बड़े बन गए तो किसी एक का पक्ष लेकर उनके पीछे खड़े रहने को पर्याय राजनीति कहते हैं। उनकी आड़ में ये अपनी पद्धतियां चलाते हैं। इसे लेकर पाश्चात्य देशों से कई पुस्तकें निकल रही हैं, ये मैं अपने मन से नहीं कह रह हूं। भारत के सीमावर्ती देशों में इसके चलते क्या-क्या हो रहा है ये हम देख सकते हैं।

हम सबकी मदद करते हैं- भागवत

संघ प्रमुख ने आगे कहा कि भारत आगे बढ़ रहा है, भारत आगे ना बढ़े ऐसा चाहने वाली शक्तियां भी दुनिया में हैं। भारत को दबाने के लिए वह तरह-तरह के प्रयास करेंगे, चालें चलेंगे और ऐसा हो भी रहा है। हम सबकी मदद करते हैं। शत्रुता करने वालों को भी आवश्यकता में मदद करते हैं। ऐसा स्वभाव दुनिया में नहीं है। इसलिए भारत आगे बढ़ रहा है। कोई भी देश जो आगे बढ़ रहा है उसकी राह में अडंगा लगाने वाले लोग भी होते हैं। इसलिए दूसरे देशों सरकारों को कमजोर करना दुनिया में चलते रहता है। 

हिंसक मत बनो, लेकिन दुर्बल नहीं रहना- भागवत 

बांग्लादेश में पिछले दिनों हुई हिंसा को लेकर संघ प्रमुख ने कहा कि, उत्पात के कारण वहां के हिन्दू समाज पर अटैक हुआ। हिन्दू पर अत्याचार हुआ। हिन्दू वहां अपने बचाव के लिए सड़क पर आया इसलिए बचाव हुआ थोड़ा। कट्टरपंथी जब तक है तब तक अल्पसंख्यकों के ऊपर अत्याचार होगा। हिन्दू को सोचना होगा कि अगर हम दुर्बल है और असंगठित है तो गलत है। जहां है वहां संगठित रहो। हिंसक मत बनो, लेकिन दुर्बल नहीं रहना है। उसके तत्कालीक कारण है वो ठीक है। जो और कारण हैं। उस उत्पात के कारण हिंदू समाज पर फिर से हमला हुआ। वहां कट्टरपन की मानसिकता जब तक है तब तक वहां हिंदुओं ही नहीं बल्कि अन्य अल्पसंख्यकों पर हमले का खतरा बरकरार रहेगा। दुर्बल रहना अपराध है, हिंदू समाज को समझना चाहिए। संगठित होकर ही आप किसी चीज का मुकाबला कर सकते हैं।
 
इसरो प्रमुख के. राधाकृष्णन ने जताई खुशी

वहीं पूर्व इसरो प्रमुख के. राधाकृष्णन ने कहा कि डॉ. मोहन भागवत जी से अनुग्रहपूर्ण निमंत्रण प्राप्त करना मेरे लिए सम्मान की बात है। विजयादशमी के इस पावन अवसर पर यहां उपस्थित होना मेरे लिए सौभाग्य की बात है। पांच गुना परिवर्तन 'पंच-परिवर्तन' प्रक्रिया की दहलीज पर इस प्रशंसनीय दर्शकों को संबोधित करना मेरे लिए सौभाग्य की बात है। 

राज्य अलग, भाषाएं अलग, लेकिन सोच एक है- सुरेश जोशी 

संघ नेता सुरेश भैयाजी जोशी ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि राज्य अलग हैं, उनकी भाषाएं अलग हैं, यहां तक ​​​​कि इनकी संस्कृतियां भी अलग हैं। एक अवांछित भ्रम पैदा किया जा रहा है कि एक भाषा सर्वोपरि है भारत में बोली जाने वाली हर भाषा राष्ट्रीय भाषा है चाहे वह तमिल, मलयालम, मराठी, गुजराती, बंगाली या हिंदी हो इन सभी भाषाओं के पीछे का विचार एक है। भाषाएं अलग-अलग हैं लेकिन हमारी सोच एक है।