Malcolm Marshall: गेंदबाज ने माथे पर मारी बाउंसरस, तो अगली गेंद पर गेंदबाज ने ले लिया बदला

तारीख थी 5 अप्रैल.. साल था 1983..जगह थी गुयाना,वेस्ट इंडीज। गुयाना की पिच पर एक छोटे कद का  बल्लेबाज उस वक्त के सबसे तेज और खतरनाक बोलिंग अटैक के सामने 49 के स्कोर पर खेल रहा था। 49 के स्कोर पर बिना हेलमेट के खेल रहे उस बल्लेबाज के सामने वो गेंदबाज दौड़ कर आ रहा था जिसे दुनिया माल्कम मार्शल के नाम से जानती थी।

Malcolm Marshall: गेंदबाज ने माथे पर मारी बाउंसरस, तो अगली गेंद पर गेंदबाज ने ले लिया बदला

Malcolm Marshall: तारीख थी 5 अप्रैल.. साल था 1983..जगह थी गुयाना,वेस्ट इंडीज। गुयाना की पिच पर एक छोटे कद का  बल्लेबाज उस वक्त के सबसे तेज और खतरनाक बोलिंग अटैक के सामने 49 के स्कोर पर खेल रहा था। इस बल्लेबाज का रिकॉर्ड तो वेस्ट इंडीज के खिलाफ बहुत अच्छा था, इतना अच्छा कि खुद वेस्ट इंडीज वालो ने उसकी बल्लेबाजी पर गीत लिख डाले थे, पर वो सीरीज बहुत बेकार गुजरी थी उसकी। पहले दो मैच की चार पारियों में सिर्फ 49 रन, और तीसरा मैच बारिश से ऐसा धुला था कि सीधा पांचवे दिन बैटिंग का मौका मिला टीम को। कहने को मैच में कुछ बचा नही था, पर उस बल्लेबाज की साख दांव पर थी, वो किसी भी तरह से कुछ रन बनाना चाहता था। और वेस्ट इंडीज (west indies) वाले ये बता देना चाहते थे कि क्यू कोई वर्ल्ड कप टाइटल उनसे छीन पाया आज तक। 49 के स्कोर पर बिना हेलमेट के खेल रहे उस बल्लेबाज के सामने वो गेंदबाज दौड़ कर आ रहा था जिसे दुनिया माल्कम मार्शल के नाम से जानती थी।

माथे के बीच लगी मार्शल की बाउंसर

मार्शल ( Malcolm Marshall )एक ऐसा गेंदबाज, जिसे बैट्समैन के दिमाग से खेलना पसंद आता था, ये वो दौर था जब फास्ट बोलर को न तो शिष्टाचार के पिजरे में बांधा गया था, ना ही नियमो से उनके पर कुतरे गए थे। तब का सीधा सा हिसाब था कि अगर खेल सकते हो तो खेलो। राउंड द विकेट से मार्शल की गेंद पिच पर पड़ी तो सेकंड के कुछ हिस्से में बल्लेबाज को समझ आ गया कि बाउंसर है, पर जिस रफ्तार की गेंद थी, और जिस तरह की पिच थी या तो समझ सकते थे, या तो डक कर सकते थे, बल्लेबाज को बाउंसर तो समझ आ गया पर डक करने का मौका नही मिला। गेंद पिच से उछलते हुए बल्लेबाज के माथे के बीचों बीच जाकर लगी, और ऐसे टकराकर दूर छिटक गई जैसे किसी दीवार से टकरा गई हो।

इंडियन ड्रेसिंग रूम से किरण मोरे बर्फ लेकर भागे,और वेस्ट इंडीज के फिल्डर अपनी जगह पर ऐसे जमे रहे जैसे कुछ हुआ ही न हो। अब बात ये थी कि बाउंसर मैलकॉम ने मारा तो सटीक था, पर बाउंसर लगा गलत जगह था। अगर गेंद बॉडी या सर के किसी भी और हिस्से में लगती तो गेंदबाज की जीत मानी जाती, पर गेंद माथे के बीच पर लगी थी, ये बल्लेबाज की जीत थी कि उसमे गेंद से निगाह नही हटाई, गेंदबाज चोट तो कर गया, पर बल्लेबाज बैटिंग के बेसिक प्रिंसिपल पर टिका रहा।


अगली ही गेंद को पहुंचा दिया बॉउंड्री के पार 

किरण मोरे (Kiran More) पहुंचे, अपने उस सीनियर खिलाड़ी से कहा कि बर्फ लगा लो, उस सीनियर बल्लेबाज ने 21 साल के मोर को भगा दिया और क्रीज में वापस आकर खड़ा हो गया। अब मालकम की साख दांव पर थी, मालकॉम गेंद लेकर चले, आम तौर पर बाउंसर के बाद आम बल्लेबाज बैकफुट पर जाते है, पर ये आम बल्लेबाज नही था, उसने पाव आगे किया, गेंद को टाइम किया और मालकम की निगाह के नीचे से बाउंड्री की तरफ धकेल दिया, मालकाम को समझ तो आया कि गेंद बाउंड्री तक जा रही है, पर वो जिस तरह का बल्लेबाज था, और जिस तरह की उसकी टाइमिंग थी, गेंदबाजों को जब तक समझ आता कि गेंद जा रही है, तब तक गेंद बाउंड्री की रसिया चूम लेती और गेदबाज बस देखता रहता था। इसी मैच में ग्रेट विवियन रिचर्ड्स ने गावस्कर को कहा था यू आर मेड ऑफ स्टील मैन।।।।यानी तुम स्टील के बने हो। उस बल्लेबाज ने अपने करियर में 13 शतक तो इसी खतरनाक टीम के खिलाफ मार रखे, बाकी कुछ साल बाद अखबार में उस बल्लेबाज की फोटो के साथ एक खबर छपी, सुनील मनोहर गावस्कर(Sunil Manohar Gavaskar) ब्रेक्स ब्रैडमैंस रिकॉर्ड ऑफ मोस्ट हंड्रेड इन टेस्ट(Breaks Bradman's record of most hundreds in test)।