Lunar Eclipse 2023: 28 अक्टूबर को लगेगा साल का आखिरी चंद्र ग्रहण, इन राशियों में होंगे ये बड़े बदलाव
Lunar Eclipse 2023: साल 2023 की 28 अक्टूबर को दूसरा और आखिरी चंद्र ग्रहण वाला है। 2023 का पहला चंद्र ग्रहण 5 मई को वैशाख पूर्णिमा वाले दिन लगा था।
Lunar Eclipse 2023: साल 2023 की 28 अक्टूबर को दूसरा और आखिरी चंद्र ग्रहण (Lunar Eclipse) वाला है। 2023 का पहला चंद्र ग्रहण 5 मई को वैशाख पूर्णिमा वाले दिन लगा था। साल का पहला चंद्र ग्रहण दुनियाभर के कई हिस्सों में देखा गया था, लेकिन भारत में यह ग्रहण दिखाई नहीं दिया था। बता दें कि 2023 का आखिरी चंद्र ग्रहण 28 अक्टूबर को लगने वाला है। तो चलिये ज्योतिष शास्त्र (Astrology) के अनुसार जानते हैं चंद्रग्रहण के बारे में कुछ खास बातें।
चंद्र ग्रहण से डरने की जरुरत नहीं
जब भी चंद्रग्रहण का योग बनता है लोग भयभीत हो जाते हैं। ये हैं सहज, सरल और प्राकृतिक खगोलीय घटना है। इससे परेशान होने की जरूरत नहीं है, बल्कि इस रहस्य को जानने और समझने की आवश्यकता है।
ज्योतिष शास्त्र से है चंद्र ग्रहण का सीधा संबंध
कोई भी खगोलीय घटना निश्चित रूप से हमें और हमारी पृथ्वी को प्रभावित करता है। जाहिर सी बात है कि चंद्र ग्रहण भी हमें प्रभावित करेगा। खगोलशास्त्र का सीधा सबंध ज्योतिष शास्त्र से होता है। वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जन्म के समय चंद्रमा की राशिगत उपस्थिति ही हमारी जन्म नक्षत्र और राशि का आधार है और जब चंद्र ग्रहण लग रहा हो तो प्रत्येक जातक की राशि पर ग्रहण का प्रभाव होगा।
अब देखना ये होगा कि चंद्रग्रहण की स्थिति क्या है। ग्रहण के समय चंद्रमा किस राशि और नक्षत्र में विद्यमान है। इस बार का ग्रहण अंग्रेजी तिथि के अनुसार 28 अक्टूबर की रात्रि 11 बजकर 30 मिनट से आरंभ होकर रात्रि 2 बजकर 40 मिनट पर समाप्त हो जाएगा।
मेष और वृश्चिक राशि के जातक सावधान रहें
इस बार का चंद्रगहण मेष राशि में और अश्विन नक्षत्र में लग रहा है। मेष राशि के स्वामी मंगल ग्रह हैं और अश्विनी नक्षत्र के स्वामी केतु ग्रह है। इस बार ग्रहण बहुत आंशिक है, बहुत अधिक प्रभावी नहीं है। फिर भी मेष राशि, वृश्चिक राशि और जिन-जिन जातकों की जन्मकुंडली में मंगल की स्थिति राहु के साथ हो या चंद्रमा राहु के साथ हो उन्हें विशेष रूप से सावधान रहने की आवश्यकता है। यदि फिर भी मन में भय हो तो इन उपायों को करें।
चंद्र ग्रहण के दिन करें ये उपाय
हनुमान जी की अराधना करें।
भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा करें।
अन्न की तुलना में फलाहार ग्रहण करें।
ब्रह्मचर्य के नियमों का पालन करें।
अपने ईष्ट की अराधना करें।