Karpoori Thakur Bharat Ratna: कर्पूरी ठाकुर की 100वीं जयंती आज, मरणोपरांत भारत रत्न से किया जाएगा सम्मानित
दो बार बिहार के मुख्यमंत्री और एक बार डिप्टी सीएम रहे बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा।
Karpoori Thakur Bharat Ratna: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर की जन्म-शताब्दी पर आज बुधवार 24 जनवरी को उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए उनकी विरासत के नाम पर राजनीति कर रहे विपक्षी दलों पर बड़ा हमला बोला है। पीएम ने कहा कि इस विशेष अवसर पर उनकी सरकार को उन्हें भारत रत्न से सम्मानित करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है।
भारत रत्न देने की घोषणा
दो बार बिहार के मुख्यमंत्री और एक बार डिप्टी सीएम रहे बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कल 23 जनवरी को उनकी 100वीं जयंती से एक दिन पहले यह घोषणा की।
100वीं जयंती
साल 1924 को समस्तीपुर के पितौंझिया गांव में जन्मे कर्पूरी ठाकुर बिहार के पहले गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री बने। उन्होंने पहली बार 1952 में विधानसभा चुनाव जीता था। कर्पूरी ठाकुर ने देश में पहली बार OBC आरक्षण दिया था। उनका निधन 17 फरवरी 1988 को हुआ।
विजन से प्रेरित होकर प्रभावी गवर्नेंस मॉडल किया लागू
अपने लेख में कर्पूरी ठाकुर के जीवन के महत्वपूर्ण प्रसंगों को याद करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि, "भारतीय राजनीति की सबसे बड़ी त्रासदी यह रही थी कि कर्पूरी जी जैसे कुछ नेताओं को छोड़कर सामाजिक न्याय की बात बस एक राजनीतिक नारा बनकर रह गई थी। उनके विजन से प्रेरित होकर हमने इसे एक प्रभावी गवर्नेंस मॉडल के रूप में लागू किया। मैं विश्वास और गर्व के साथ कह सकता हूं कि भारत के 25 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकालने की उपलब्धि पर आज जननायक जरूर गौरवान्वित होते। गरीबी से बाहर निकलने वालों में समाज के सबसे पिछड़े तबके के लोग सबसे ज्यादा हैं, जो आजादी के 70 साल बाद भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित थे।"
अपने बुनियादी सिद्धांतों से भटक गई है कांग्रेस
मोदी ने आगे कहा कि उनकी सरकार निरंतर जननायक कर्पूरी ठाकुर से प्रेरणा लेते हुए काम कर रही है जो उसकी नीतियों और योजनाओं में भी दिखाई देता है। इसी के साथ उन्होंने कांग्रेस, आरजेडी, सपा और जेडीयू जैसे तमाम दलों पर इशारों-इशारों में निशाना साधते हुए कहा कि अपने आदर्शों के लिए कर्पूरी ठाकुर की प्रतिबद्धता ऐसी थी कि उस कालखंड में भी "जब सब ओर कांग्रेस का राज था, उन्होंने कांग्रेस विरोधी लाइन पर चलने का फैसला किया"। उन्हें काफी पहले ही इस बात का अंदाजा हो गया था कि कांग्रेस अपने बुनियादी सिद्धांतों से भटक गई है।
भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान दिखा था समर्पण भाव
प्रधानमंत्री ने कहा कि लोकतंत्र के लिए उनका समर्पण भाव, भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान ही दिख गया था, जिसमें उन्होंने अपने-आप को झोंक दिया। उन्होंने देश पर जबरन थोपे गए आपातकाल का भी पुरजोर विरोध किया था। जय प्रकाश नारायण, राम मनोहर लोहिया और चौधरी चरण सिंह जैसी विभूतियां भी उनसे काफी प्रभावित हुई थीं।
प्रयास से करोड़ों लोगों के जीवन में आया बदलाव
प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्हें कर्पूरी ठाकुर से कभी मिलने का अवसर तो नहीं मिला, लेकिन उनके साथ बेहद करीब से काम करने वाले कैलाशपति मिश्र से उनके बारे में बहुत कुछ सुना है। सामाजिक न्याय के लिए कर्पूरी बाबू ने जो प्रयास किए, उससे करोड़ों लोगों के जीवन में बड़ा बदलाव आया। उनका संबंध नाई समाज, यानि समाज के अति पिछड़े वर्ग से था। अनेक चुनौतियों को पार करते हुए उन्होंने कई उपलब्धियों को हासिल किया और जीवनभर समाज के उत्थान के लिए काम करते रहे।
प्रत्येक योजना का लाभ शत प्रतिशत लाभार्थियों को मिले
उन्होंने कहा, "हम आज सैचुरेशन के लिए प्रयास कर रहे हैं, ताकि प्रत्येक योजना का लाभ, शत प्रतिशत लाभार्थियों को मिले। इस दिशा में हमारे प्रयास सामाजिक न्याय के प्रति सरकार के संकल्प को दिखाते हैं। आज जब मुद्रा लोन से ओबीसी,एससी और एसटी समुदाय के लोग उद्यमी बन रहे हैं, तो यह कर्पूरी ठाकुर के आर्थिक स्वतंत्रता के सपनों को पूरा कर रहा है। इसी तरह हमारी सरकार है, जिसने एससी, एसटी और ओबीसी आरक्षण का दायरा बढ़ाया है। हमें ओबीसी आयोग (दुःख की बात है कि कांग्रेस ने इसका विरोध किया था) की स्थापना करने का भी अवसर प्राप्त हुआ, जो कि कर्पूरी ठाकुर के दिखाए रास्ते पर काम कर रहा है। कुछ समय पहले शुरू की गई पीएम-विश्वकर्मा योजना भी देश में ओबीसी समुदाय के करोड़ों लोगों के लिए समृद्धि के नए रास्ते बनाएगी।"