Jammu and Kashmir as full state: जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देने पर केंद्र सहमत, शीतकालीन सत्र में पेश किया जाएगा प्रस्ताव

जम्मू-कश्मीर को जल्द ही पूर्ण राज्य का दर्जा मिल जाएगा। केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देने पर सहमत हो गई है। हालांकि, लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश बना रहेगा। नवंबर के अंतिम सप्ताह में शुरू होने वाले संसद के शीतकालीन सत्र में जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देने से जुड़ा प्रस्ताव पेश किया जाएगा।

Jammu and Kashmir as full state: जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देने पर केंद्र सहमत, शीतकालीन सत्र में पेश किया जाएगा प्रस्ताव

Jammu and Kashmir as full state: जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) को जल्द ही पूर्ण राज्य का दर्जा मिल जाएगा। केंद्र सरकार (Central government) जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) को पूर्ण राज्य का दर्जा देने पर सहमत हो गई है। हालांकि, लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश बना रहेगा। नवंबर के अंतिम सप्ताह में शुरू होने वाले संसद के शीतकालीन सत्र (winter session) में जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) को पूर्ण राज्य का दर्जा देने से जुड़ा प्रस्ताव पेश किया जाएगा।

उमर अब्दुल्ला ने पीएम मोदी और शाह से की मुलाकात 

दरअसल, जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) के नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला (Chief Minister Omar Abdullah) ने अक्टूबर की 23 तारीख को गृह मंत्री अमित शाह (Home Minister Amit Shah) से और 24 तारीख को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) से मुलाकात की थी। इस दौरान उमर अब्दुल्ला ने पूर्ण राज्य का दर्जा दोबारा बहाल करने का आग्रह किया था। उन्हें इसी साल राज्य का दर्जा बहाल करने का आश्वासन दिया गया था।

सरकार ने पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने का दिया था भरोसा

साल 2019 में जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) से अनुच्छेद 370 और 35A (Article 370 and 35A) हटा दिया गया था। साथ ही जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) और लद्दाख (Ladakh) दो केंद्र शासित प्रदेश बनाए गए थे। केंद्र सरकार (Central government) ने उस वक्त ही राज्य के हालात सामान्य होने पर फिर से पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने का भरोसा दिया था। वहीं, 2024 में हुए राज्य विधानसभा चुनाव (state assembly elections) में भी बीजेपी (BJP) ने इसे दोहराया था।

पहली कैबिनेट मीटिंग में ही पास हुआ प्रस्ताव 

8 अक्टूबर को चुनाव का परिणाम आने के बाद राज्य की नई सरकार ने पहली कैबिनेट मीटिंग में ही राज्य का दर्जा बहाल करने का प्रस्ताव पास कर दिया था। इसके बाद इसे उप-राज्यपाल (LG) को भेजा गया था। 19 अक्टूबर को उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने प्रस्ताव मंजूर करने के बाद गृह मंत्रालय को भेज दिया था।

जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने की कानूनी प्रक्रिया 

जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 (Jammu and Kashmir Reorganization Act, 2019) के अंतर्गत जम्मू-कश्मीर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में पुर्नगठित किया गया था। इसलिए पूर्ण राज्य के दर्जे के लिए संसद में एक कानून पेश कर पुनर्गठन अधिनियम में बदलाव करना होगा। यह बदलाव संविधान की धारा 3 और 4 के तहत होंगा। पूर्ण राज्य का दर्जा देने के लिए संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा में नए कानूनी बदलावों का अनुमोदन जरूरी होगा, यानी संसद से इस प्रस्ताव को मंजूरी मिलना आवश्यक है। संसद के दोनों सदनों से मंजूरी मिलने के बाद इसे राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा। उनकी मंजूरी के बाद राष्ट्रपति जिस दिन इस कानूनी बदलाव की अधिसूचना जारी करेंगे, उसी तारीख से जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा मिल जाएगा।

पूर्ण राज्य का दर्जा मिलने के बाद जम्मू-कश्मीर में होंगे ये बदलाव

जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा मिलने के बाद पुलिस और कानून-व्यवस्था की पूरी जिम्मेदारी राज्य सरकार के पास आ जाएगी। सरकार का पुलिस पर सीधा और पूरा नियंत्रण होगा। भूमि, राजस्व और पुलिस से जुड़े सभी मामलों पर कानून बनाने का अधिकार भी राज्य सरकार को मिल जाएगा। राज्य में सरकार चलाने में राज्यपाल का दखल नहीं होगा। वित्तीय मदद के लिए केंद्र सरकार पर निर्भरता खत्म होगी। वित्त आयोग से सीधे वित्तीय सहायता मिलेगी। राज्य की विधानसभा को पब्लिक ऑर्डर यानी सार्वजनिक व्यवस्था और समवर्ती सूची के मामलों में कानून बनाने के हक मिलेंगे। सरकार कोई वित्तीय बिल पेश करती है तो इसके लिए उसे राज्यपाल की मंजूरी लेने की आवश्यकता नहीं होगी। 

ट्रांसफर-पोस्टिंग में उपराज्यपाल का नहीं रहेगा कोई नियंत्रण 

वहीं एंटी करप्शन ब्यूरो (Anti Corruption Bureau) और अखिल भारतीय सेवाओं पर राज्य सरकार का पूरा नियंत्रण हो जाएगा। यानी राज्य में अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग राज्य सरकार के मुताबिक होंगे, उस पर उपराज्यपाल का कोई नियंत्रण नहीं रहेगा। अनुच्छेद 286, 287, 288 और 304 में बदलाव से व्यापार, टैक्स और वाणिज्य के मामलों में राज्य सरकार को सभी अधिकार प्राप्त  हो जाएंगे। केंद्र शासित प्रदेश में विधायकों की संख्या के 10 प्रतिशत मंत्री बनाए जा सकते हैं, राज्य का दर्जा बहाल होने से मंत्रियों की संख्या की यह लिमिट भी खत्म हो जाएगी और विधायकों की संख्या के 15 प्रतिशत तक विधायक मंत्री बनाए जा सकेंगे। इसके अलावा जेल के कैदियों की रिहाई और नेशनल कॉन्फ्रेंस के बाकी चुनावी वादे पूरे करने वाली योजनाओं को पूरा करने में राज्य सरकार को केंद्र से ज्यादा अधिकार हासिल होंगे।

5 अगस्त 2019 को खत्म किया गया था पूर्ण राज्य का दर्जा

बता दें कि केंद्र सरकार ने 5 अगस्त, 2019 को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के साथ ही प्रदेश का पूर्ण राज्य का दर्जा भी खत्म कर दिया था। इसके साथ ही इसे दो यूनियन टेरिटरी (जम्मू-कश्मीर और लद्दाख) में बांट दिया था। 

अनुच्छेद 370 हटने के बाद राज्य में पहली बार हुए चुनाव 

वहीं, अनुच्छेद 370 हटने के बाद सितंबर में राज्य में पहला विधानसभा चुनाव हुआ। तीन चरणों में हुए चुनाव का रिजल्ट 8 अक्टूबर को घोषित किया गया था। इसमें नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। पार्टी को 42 सीटें मिली थीं। NC की सहयोगी कांग्रेस को 6 और CPI(M) ने एक सीट जीती थी। दूसरी तरफ, बीजेपी 29 सीटों के साथ दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनी थी। वहीं, 10 साल पहले 2014 में हुए विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी बनी PDP को इस बार केवल 3 सीटें ही मिलीं। पार्टी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती भी बिजबेहरा सीट से हार गईं। पिछले चुनाव में पार्टी ने 28 सीटें जीती थीं।