History of tricolor: देश के राष्ट्रीय ध्वज को अपनाने में क्यों लगा इतना समय, जानिये तिरंगे का इतिहास

15 अगस्‍त 1947 और 26 जनवरी 1950 के बीच भारत के राष्‍ट्रीय ध्‍वज के रूप में अपनाया गया था। लेकिन क्या आप जानते है कि इस राष्ट्रीय ध्वज को अपनाने से पहले कई ध्वज बनाये गए थे जो कि समय के साथ बदलते गए। आइए जानते हैं उन सभी झंड़ो के बारे में। 

History of tricolor: देश के राष्ट्रीय ध्वज को अपनाने में क्यों लगा इतना समय, जानिये तिरंगे का इतिहास

History of tricolor: देश की आन-बान और शान के प्रतीक हमारे तिरंगे का इतिहास भी उतना ही दिलचस्प है जितनी भारत की आजादी से जुड़ा घटनाक्रम है। भारतीय राष्‍ट्रीय ध्‍वज को इसके वर्तमान स्‍वरूप में 22 जुलाई 1947 को आयोजित भारतीय संविधान सभा की बैठक के दौरान अपनाया गया था, जो 15 अगस्‍त 1947 को अंग्रेजों से भारत की स्‍वतंत्रता के कुछ ही दिन पूर्व की गई थी। इसे 15 अगस्‍त 1947 और 26 जनवरी 1950 के बीच भारत के राष्‍ट्रीय ध्‍वज के रूप में अपनाया गया था। लेकिन क्या आप जानते है कि इस राष्ट्रीय ध्वज को अपनाने से पहले कई ध्वज बनाये गए थे जो कि समय के साथ बदलते गए। आइए जानते हैं उन सभी झंडो के बारे में। 

देश का पहला झंडा हरे, पीले और लाल रंग का था

7 अगस्त, 1906 में कोलकता के पारसी बैगान स्क्वायर में देश का पहला झंडा फहराया गया था जो दिखने में तिरंगे से बिल्कुल अलग था। पहले झंडे की पट्टी हरें रंग की थी उसमें 8 कमल बने हुए थे, वहीं दूसरी पट्टी पीले रंग की थी उसमें वन्दें मातरम् लिखा हुआ था, साथ ही तीसरी पट्टी लाल रंग की थी जिसमें बाएं तरफ चांद बना था और दाएं तरफ सूरज बना हुआ था। 

देश का दूसरा झंडा विदेश में फहराया गया 

1907 में आजादी की लड़ाई लड़ रहे बर्लिन समीति के लोगों ने देश का गैर आधिकारिक दूसरा झंडा फहराया था। इस झंडे को मैडम कामा और उनसे जुड़े लोगों ने पेरिस में फहराया था। यह झंडा पहले झंडे से बिल्कुल मिलता जुलता था। इस झंडे की तीन पट्टियां थीं, नारंगी, पीली और हरी। बीच वाली पट्टी पर वंदे मातरम लिखा हुआ था औरइसमें सबसे ऊपर की पट्टी पर सात तारे सप्‍तऋषि को दर्शाते थे। यह ध्‍वज बर्लिन में हुए समाजवादी सम्मेलन में फहराया गया था।

एनी बेसेंट ने फहराया था देश का तीसरा झंडा

आजादी के लिए कई सवंत्रता सेनानियों ने आंदोलन किए जिनमें से एक थे डॉ. एनी बेसेंट और लोकमान्य तिलक। बालगंगाधर तिलक समाज के लिए लड़ने वाले एक समाज सुधारक जन नेता थे। 1914 में बाल गंगाधर होम रूल आंदोलन से जुड़े थे। इस दौरन ऐनी बेसेंट इस आंदोलन को संभाल रही थीं। दोनों ने मिलकर घरेलू शासन आंदोलन के दौरान देश का तीसरा झंडा फहराया था। इस झंडे में 5 लाल और 4 हरी क्षैतिज पट्टियां एक के बाद एक और सप्‍तऋषि के अभिविन्‍यास में इस पर बने सात सितारे थे। 

हिंदू और मुस्लिम की एकता को दर्शाया गया

देश में आजादी की लड़ाई अभी जारी थी इसी बीच देश के नाम पर एक और झंडा फहराया गया। इसी दौरान हिंदू और मुस्लिम की एकता को दर्शाते हुए एक झंडा गांधी जी के पास पहुंचा। इसके बाद गांधी जी ने सुझाव दिया कि देश के अन्य समुदाय के लोगोका प्रतिनिधित्‍व करने के लिए इसमें एक सफेद पट्टी और राष्‍ट्र की प्रगति का संकेत देने के लिए एक चलता हुआ चरखा होना चाहिए।  

22 जुलाई 1947 को देश का ध्वज बना तिरंगा

अभी तक फहराए गए सभी झंडे गैर आधिकारिक थे, लेकिन देश की आजादी के लिए एक आधिकारिक झंडा होना जरूरी था। वहीं 1931 में तिरंगे को राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाने के लिए प्रस्ताव पारित किया गया। इस दौरान तिरंगे में केसरिया, सफेद और हरी पट्टी थी और बीच में चरखा था। बता दें उस वक्त हमारा देश अब आजादी के बेहद करीब था और आखिर वो दिन आ ही गया जब तिरंगे को भारत के ऑफिशियल झंडे के रूप में मान्यता मिली।

22 जुलाई 1947, इस दिन संविधान सभा ने इसे आजाद भारत के राष्‍ट्रीय ध्‍वज के रूप में अपनाया था। झंडे में चरखे को रिप्लेस करके चक्र लाया गया। केसरिया, सफेद और हरी पट्टी और बीच में चक्र के साथ देश के राष्ट्रीय ध्वज को मान्यता दी गई। वहीं इस दिन को नेशनल फ्लैग डे के रूप में भी मनाते हैं।