Congress: जयराम रमेश ने उठाए सवाल, पूछा- जाति जनगणना के मुद्दे पर प्रधानमंत्री मोदी चुप क्यों हैं?
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि कैसे पिछले साल राजस्थान में भारत जोड़ो यात्रा के दौरान ओबीसी के प्रतिनिधिमंडल ने राहुल गांधी से मुलाकात की थी और जाति आधारित जनगणना की मांग की थी।
Congress: राजस्थान सरकार के राज्य में जाति आधारित जनगणना कराने के फैसले का आज कांग्रेस नेता जयराम रमेश (Congress leader Jairam Ramesh) ने स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि यह ओबीसी, एससी, एसटी समुदायों के लिए नीतियां बनाने में सहायता करेगा। जयराम रमेश (JaiRam Ramesh) ने बीजेपी और पीएम मोदी से सवाल किया कि इसे भगवा पार्टी शासित राज्यों में क्यों लागू नहीं किया गया।
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि कैसे पिछले साल राजस्थान में भारत जोड़ो यात्रा के दौरान ओबीसी के प्रतिनिधिमंडल ने राहुल गांधी से मुलाकात की थी और जाति आधारित जनगणना की मांग की थी।
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कांग्रेस के महासचिव संचार प्रभारी रमेश ने एक्स पर हिंदी में एक पोस्ट में कहा कि जब भारत जोड़ो यात्रा राजस्थान में थी, तो कई समुदायों के प्रतिनिधिमंडलों ने राहुल गांधी से मुलाकात की थी। उस दौरान ओबीसी प्रतिनिधिमंडल ने विशेष रूप से जाति जनगणना के लिए मांग उठाई थी। राहुल गांधी ने उनकी बातों को बहुत गंभीरता से लिया। जयराम ने कहा कि, 'अब राजस्थान सरकार ने उनकी भावनाओं के अनुरूप जाति आधारित सर्वेक्षण कराने का निर्णय लिया है। यह एक स्वागत योग्य कदम है। इससे खास तौर से अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए नीतियां बनाने में सहायता मिलेगी।
कांग्रेस के राज्यसभा सांसद जयराम रमेश ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि 'सवाल यह है कि बीजेपी शासित किसी भी राज्य में ऐसी पहल क्यों नहीं की जा रही है और प्रधानमंत्री मोदी (Prime Minister Modi) जाति जनगणना के मुद्दे पर चुप क्यों हैं?' उनकी यह टिप्पणी राजस्थान सरकार (Rajasthan Government) द्वारा राज्य में जाति सर्वेक्षण कराने का आदेश जारी करने के एक दिन बाद आई है।
बता दें कि राजस्थान के सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग द्वारा शनिवार रात जारी किया गया आदेश बिहार के जाति सर्वेक्षण के आंकड़े जारी करने और राजस्थान में आगामी विधानसभा चुनावों से पहले जारी किया गया है। राज्सथान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Chief Minister Ashok Gehlot) ने शनिवार शाम एक कार्यक्रम में सर्वे कराने की बात कही थी, जिसे राजनीतिक जानकारों के मुताबिक आचार संहिता से पहले सरकार का बड़ा दांव माना जा रहा है। सर्वेक्षण में नागरिकों के सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक स्तर के संबंध में जानकारी और डेटा एकत्र किया जाएगा।