Holi in Vrindavan: वृंदावन में फूलों और काशी में क्यों खेली जाती है रंगभरी होली, जाने क्या है मान्यता?

होली एक ऐसा त्योहार है जिसे देशभर में कई तरह से मनाया जाता है। यूपी के बनारस में रंगभरी होली खेली जाती है। तो वहीं काशी में आज रंग भरी होली है । तो चलिए आज आपको बतातें है कि दोनों जगह की होलियों में क्या खास है और ये क्यों मनाई जाती है।

Holi in Vrindavan: वृंदावन में फूलों और काशी में क्यों खेली जाती है रंगभरी होली, जाने क्या है मान्यता?

Holi in Vrindavan:हिन्दू धर्म में होली का त्योहार बड़े ही हर्षोंल्लास से मनाया जाता है। ये ऐसा त्योहार है जिसमें हर कोई अपने गिल शिकवे मिटाकर एक दूसरे को प्रेम से रंग लगाता है औऱ गले मिलते है। होली एक ऐसा त्योहार है जिसे देशभर में कई तरह से मनाया जाता है। वृंदावन में होली का त्योहार 1 हफ्ते पहले से शुरु हो जाता है। जिसमें लठ्ठमार होली, लड़्डू होली, फूलों की होली, छड़ी मार होली।

वहीं इसी तरह यूपी के बनारस में रंगभरी होली खेली जाती है। इस होली का विशेष मह्तव है। इस साल 2024 में होली 25 मार्च को मनाई जायेगी। जहां एक ओर आज 20 मार्च को वृंदावन में फूलों की होली है।  तो वहीं काशी में आज रंग भरी होली है । तो चलिए आज आपको बतातें है कि दोनों जगह की होलियों में क्या खास है और ये क्यों मनाई जाती है।

वृंदावन की फूलों की होली

देशभर में इस समय होली की धूम है। हर साल फाल्गुन माह की पूर्णिमा पर होली का त्योहार मनाया जाता है। वृंदावन में कई तरह की होलियां खेली जाती है इसी में से एक है फूलों की होली। इस होली के पीछे की मान्यता है कि भगवान कृष्ण ने राधा रानी औऱ उनकी सखियों के साथ फूलों से होली खेली थी। जिसके बाद से यहां फूलों से होली खेलने का प्रचलन चल गया। औऱ हर साल यहां होली से 4 दिन पहले फूलों से होली खेली जाती है। 

रंगभरी होली

उत्तर प्रदेश के काशी में होली के त्योहार की शुरुआत रंगभरी होली से होती है। इसे रंगभरी एकादशी भी कहा जाता है। इस होली को मनाने क पीछे की कहानी ये है कि पुराणों के अनुसार इस दिन ही भगवान शिव और माता पार्वती शादी के बाद पहली बार काशी आये थे। माता पार्वती के स्वागत में यहां के वासियों ने उनका भव्य रुप से स्वागत किया था। इस दौरान उन्होंने उनपर गुलाल औऱ अबीर का छिड़कांव किया था। जिसके बाद से ही काशी में रंगभरी होली मनाई जाने लगी।