Batla House Encounter: आरिज खान को नहीं होगी फांसी, जानें बाटला हाउस कांड की पूरी कहानी

दिल्ली हाई कोर्ट ने सिद्धार्थ मृदुल और जस्टिस अमित शर्मा की पीठ ने साकेत कोर्ट के फैसले को पलटते हुए आतंकी आरिज खान की मौत की सजा को उम्रकैद में तबदील कर दिया है।

Batla House Encounter: आरिज खान को नहीं होगी फांसी, जानें बाटला हाउस कांड की पूरी कहानी

Batla House Encounter: आज यानी 12 अक्टूबर, बृहस्पतिवार को दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने बाटला हाउस एनकाउंटर (Batla House Encounter) केस में साकेत कोर्ट द्वारा दोषी करार दिए गए आतंकी आरिज खान (Aariz Khan) की सजा को लेकर एक नया फैसला सुनाया है। दिल्ली हाई कोर्ट की जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और जस्टिस अमित शर्मा की पीठ ने साकेत कोर्ट के फैसले को पलटते हुए आतंकी आरिज खान की मौत की सजा को उम्रकैद में तबदील कर दिया है।

बता दें कि साल 2021 में दिल्ली की साकेत कोर्ट ने आतंकवादी आरिज खान को बाटला हाउस एनकाउंटर केस में मृत्युदंड यानि मौत की सज़ा सुनाई थी।

क्यों हुआ बाटला हाउस एनकाउंटर

13 सितंबर, 2008 को दिल्‍ली के कनॉट प्‍लेस, ग्रेटर कैलाश, करोलबाग और इंडिया गेट जैसे भीड़भाड़ वाले इलाकों में कई बम धमाके  हुए थे जिनकी जिम्मेदारी इंडियन मुजाहिद्दीन (Indian Mujahiddin) ने ली थी, बम धमाकों में 26 लोगों की मौत हुई थी और 133 लोग घायल हुए थे। 2021 में इन धमाकों में हुई कार्रवाई के बाद कोर्ट ने इस मामले को रेयरेस्‍ट ऑफ द रेयर' (Rarerst of Rare) करार दिया था।

क्या है बाटला हाउस एनकाउंटर

बाटला हाउस एनकाउंटर, सितंबर 19, 2008 को दिल्ली के जामिया नगर इलाके में इंडियन मुजाहिद्दीन और दिल्ली पुलिस के बीच मुठभेड़ हुई थी। 13 सितंबर, को हुए ब्लास्ट के बाद 19 सितंबर को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल को सूचना मिली थी कि इंडियन मुजाहिद्दीन के पांच आतंकी जामिया नगर स्थित बटला हाउस के एक मकान में मौजूद हैं। जानकारी मिलने के बाद पुलिस टीम ने मकान में छापा मारा, पुलिस को देख आतंकियों ने फायरिंग शुरू कर दी, जिसमें दो आतंकवादी आतिफ अमीन और मोहम्मद साजिद मारे गए थे, वहीं दो अन्य आतंकवादी (Terrorist) सैफ मोहम्मद और आरिज़ खान भागने में कामयाब हो गए, जबकि एक और आरोपी ज़ीशान को गिरफ्तार कर लिया गया। इस मुठभेड़ के दौरान इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा शहीद हो गए थे।

कैसे पकड़ा गया था आरिज 

मुठभेड़ के दौरान आतंकी आरिफ नेपाल भाग गया था, जहां से साल 2018 में आरिज को गिरफ्तार कर लिया गया था। जिसके बाद 8 मार्च, 2021 को आरिज खान को दोषी ठहराया था और 15 मार्च, 2021 को मृत्युदंड की सजा सुनाई गई थी और 11 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया था। कोर्ट ने कहा था कि 10 लाख रुपये तत्काल  शहीद मोहन चंद शर्मा के परिवार के सदस्यों को दिये जाने चाहिए।
मामला क्यों पहुंचा हाई कोर्ट

दरअसल जब निचली अदालत किसी व्यक्ति को मृत्युदंड की सजा सुनाती है तो हाई कोर्ट अपराधी को फांसी देने से पहले सजा की पुष्टि करती है। वहीं, आरिज खान ने साकेत कोर्ट के फैसले को दिल्ली HC में चुनौती भी दी थी।