women's reservation bill: महिला आरक्षण के मुद्दे पर विपक्ष को असहज करने की तैयारी में बीजेपी!

women's reservation bill: केंद्र सरकार की ओर से संसद के विशेष सत्र में महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण का बिल पेश किया जा सकता है।

women's reservation bill: महिला आरक्षण के मुद्दे पर विपक्ष को असहज करने की तैयारी में बीजेपी!

women's reservation bill: केंद्र सरकार की ओर से संसद का विशेष सत्र बुलाया गया है,  लेकिन अब तक इस एजेंडे का खुलासा नहीं किया गया है। खबर है कि विशेष सत्र में महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण का बिल पेश किया जा सकता है, लेकिन लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण(reservatrion) कोई नया मुद्दा नहीं है। वहीं विपक्षी दलों की सहमति भी इस मुद्दे पर भिन्न हो सकती है।

पहले भी हो चुका हैं विरोध
महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण बिल (reservation bill) पहले भी संसद में लाया जा चुका हैं। और पूर्व में राजद, जदयू, समाजवादी पार्टी(samajvadi party) जैसी पार्टियों ने संसद में इस बिल का विरोध भी किया था। 33 प्रतिशत आरक्षण पहली बार 1996 में एचडी देवेगौड़ा(h.d deve gowda) की संयुक्त मोर्चा सरकार के दौरान पेश किया गया था, लेकिन संसद के दोनों सदनों में ये पारित होने में विफल रहा था। इसके बाद अटल बिहारी वाजपेयी(atal bihari Vajpayee) सरकार के दौरान भी यही हुआ था। महिला आरक्षण बिल 2010 में मनमोहन सिंह(manmohan singh) के दूसरे कार्यकाल के दौरान पेश किया गया था। उस समय जदयू के शरद यादव, राजद के लालू प्रसाद यादव और समाजवादी पार्टी के मुलायम सिंह यादव(mulayam singh yadav) ने विधेयक पर कड़ी आपत्ति जताई थी। वहीं अबकी बार इंडिया' गठबंधन के गठन के बाद विपक्षी दल भाजपा के इस एजेंडे के खिलाफ एकजुट हैं और विरोध करने की तैयारी में है।

महिलायें नही कर सकती हैं प्रतिनिधित्व- शरद यादव

पिछली बार जब यह बिल राज्यसभा में लाया गया था, उस वक्त शरद यादव ने सबसे ज्यादा इस बिल का विरोध किया था। वह उच्च सदन के वेल में चले गए और वहां जाकर बिल फाड़ दिया। उन्होंने कहा कि बाल कटाने और स्टाइल करने वाली महिलाएं गांव की महिलाओं का प्रतिनिधित्व कैसे कर सकती हैं? उन दिनों को याद करते हुए शरद यादव के साथ जेडीयू के राज्यसभा सांसद रहे शिवानंद तिवारी ने दावा किया कि, उस वक्त बिल पर पार्टी प्रमुख नीतीश कुमार की राय अलग थी। जब यह बिल संसद के पटल पर रखा गया तो पार्टी की राय इसका समर्थन करने की थी। शरद यादव ने पार्टी लाइन के खिलाफ जाकर राज्यसभा(rajya sabha) में इस पर कड़ी आपत्ति जताई।