Agaria Tribe: कच्छ के छोटे रण में सौर ऊर्जा से नमक बनाकर अगरिया हो रहे सशक्‍त

गुजरात में कच्छ के छोटे रण (LRK) के सूखे इलाके में, अगरिया जनजाति के बीच एक शांत क्रांति हो रही है। यहां के किसान नमक का उप्‍तादन कर रहे हैं। वे देश के अंतर्देशीय नमक उत्पादन में 30 प्रतिशत का योगदान देते हैं।

Agaria Tribe: कच्छ के छोटे रण में सौर ऊर्जा से नमक बनाकर अगरिया हो रहे सशक्‍त

Agaria Tribe: गुजरात में कच्छ के छोटे रण (LRK) के सूखे इलाके में, अगरिया जनजाति के बीच एक शांत क्रांति हो रही है। यहां के किसान (people who produce salt people) नमक का उप्‍तादन (salt production) कर रहे हैं। वे देश के अंतर्देशीय नमक उत्पादन में 30 प्रतिशत का योगदान देते हैं। भूमिगत नमक भंडार के लिए प्रसिद्ध यह क्षेत्र, पारंपरिक ईंधन-आधारित तरीकों से टिकाऊ सौर ऊर्जा की ओर एक परिवर्तनकारी बदलाव का गवाह बन रहा है।

नमक उत्पादन के लिए पहले डीजल पंपो पर निर्भर थे 

एक दशक पहले, अगरिया (Agaria Tribe in Gujrat) लोग धरती के नीचे से पानी निकालने के लिए दिन-रात चलने वाले डीजल पंपों पर बहुत अधिक निर्भर थे। इसके परिणामस्वरूप न केवल उच्च ईंधन लागत हुई, इससे उनके इनपुट खर्च का 70 प्रतिशत खर्च हो जाता था, बल्कि पंपों के निरंतर शोर और जहरीले धुएं के बीच रहना भी पड़ता था।

गैर-लाभकारी संस्थाओं के हस्तक्षेप से हुआ बड़ा बदलाव

कड़ी मेहनत के बावजूद, किसानों (Agaria Tribe) को उनके नमक के लिए खुदरा मूल्य का केवल एक अंश प्राप्त होता था, इससे अल्प लाभ और भारी ऋण का चक्र शुरू हो गया। इस क्षेत्र में गैर-लाभकारी संस्थाओं का हस्तक्षेप एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ। 2008 में, एलआरके की विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुरूप सौर पंपों का परीक्षण शुरू हुआ। ये सोलर पंप गेम चेंजर रहे हैं। आज, एलआरके में 7,000 अगरिया परिवारों में से अनुमानित 80 प्रतिशत ने सौर प्रौद्योगिकी को अपनाया है, इससे महंगे और पर्यावरण के लिए हानिकारक डीजल पर उनकी निर्भरता कम हो गई है।

सौर पंप के इस्तेमाल से ईंधन खपत में कमी आई है

सौर ऊर्जा (Salt production with the help of solar energy) पर इस स्विच का प्रभाव अगरियाओं की कहानियों में स्पष्ट है। साठ वर्षीय भानुबेन, जिन्होंने अपने जीवनकाल में नमकीन पानी निकालने के तरीकों का विकास देखा है, बताती हैं कि कैसे सौर पंपों (solar pumps) पर स्विच करने से उनके परिवार की ईंधन खपत और लागत में भारी कमी आई, इससे उनकी बचत बढ़ गई। लाभ बढ़ने से परिवार अपने प्रवासी पैटर्न को बदलने में सक्षम हो गए। अब पुरुष प्रतिदिन नमक क्षेत्रों की यात्रा करते हैं, इससे उनके बच्चों को एक स्थिर वातावरण में अपनी शिक्षा जारी रखने का मौका मिलता है।

सौर पंपों ((solar pumps)) ने रण में रहने की कुछ कठोर स्थितियों को भी कम कर दिया है, जो एक वन्यजीव अभयारण्य है, जो अपने अत्यधिक तापमान के लिए जाना जाता है। पीने योग्य पानी और बुनियादी सुविधाओं की कमी, विशेष रूप से महिलाओं के लिए चुनौतीपूर्ण, अब आंशिक रूप से कम हो गई है क्योंकि कनुबेन जैसे परिवार अपने गांवों में अधिक बार जाने का खर्च उठा सकते हैं।

अगरिया जनजाति को नमक उत्पादन में अच्छा लाभ मिल रहा है

सौर ऊर्जा (solar energy) में परिवर्तन केवल आर्थिक लाभ के बारे में नहीं है, यह समुदाय के भीतर सामाजिक गतिशीलता को बदलने के बारे में है। अगरिया लोग, जिन्होंने एक बार स्थानीय व्यापारियों के दबाव में झुक गए थेे, अब अपने नमक (salt production) के लिए बेहतर कीमतों पर बातचीत करने के लिए सशक्त हैं। यह नया आत्मविश्वास कम परिचालन लागत और बढ़ी हुई बचत से पैदा हुआ है। सौर ऊर्जा अपनाने की दिशा में अगरियाओं की यात्रा आशा की किरण है। यह उदाहरण देता है कि कैसे टिकाऊ प्रथाओं को अपनाने से गहन सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन हो सकते हैं और सशक्तिकरण व सामुदायिक एकजुटता की भावना को बढ़ावा मिल सकता है।