West Bengal Bews: महुआ मोइत्रा ने 'कैश फॉर क्वेरी' विवाद में पीएमओ पर उठाई उंगली

तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा ने आरोप लगाया है कि प्रधानमंत्री कार्यालय ने व्यवसायी दर्शन हीरानंदानी से बलपूर्वक श्वेत पत्र पर हस्ताक्षर कराए, जो बाद में 'प्रेस में लीक' हो गया।

West Bengal Bews: महुआ मोइत्रा ने 'कैश फॉर क्वेरी' विवाद में पीएमओ पर उठाई उंगली

West Bengal Bews: तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा ने आरोप लगाया है कि प्रधानमंत्री कार्यालय ने व्यवसायी दर्शन हीरानंदानी से बलपूर्वक श्वेत पत्र पर हस्ताक्षर कराए, जो बाद में 'प्रेस में लीक' हो गया। मोइत्रा ने अपनी एक्स प्रोफाइल पर दो पन्नों का एक बयान साझा किया, जिसमें पांच सवाल पूछे गए।

तृणमूल कांग्रेस सांसद ने कहा कि तीन दिन पहले (16 अक्टूबर) हीरानंदानी समूह ने एक आधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति जारी की थी, जिसमें कहा गया था कि उनके खिलाफ लगाए गए सभी आरोप निराधार हैं।

उन्होंने कहा, "आज (19 अक्टूबर) एक 'अनुमोदनकर्ता हलफनामा' प्रेस में लीक हो गया है। यह 'शपथ पत्र' एक सफेद कागज के टुकड़े पर है, इसमें कोई लेटरहेड नहीं है और प्रेस लीक के अलावा इसकी कोई आधिकारिक उत्पत्ति नहीं है।" उन्होंने पांच सवाल उठाते हुए कहा, "हीरानंदानी को अभी तक सीबीआई या एथिक्स कमेटी या किसी भी जांच एजेंसी ने तलब नहीं किया है। फिर उन्होंने यह हलफनामा किसे दिया है? हलफनामा श्वेत पत्र पर है, न कि आधिकारिक लेटरहेड या नोटरीकृत पर।" भारत का सबसे प्रतिष्ठित या शिक्षित व्यवसायी श्वेत पत्र पर इस तरह के पत्र पर हस्ताक्षर क्यों करेगा, जब तक कि ऐसा करने के लिए उसके सिर पर बंदूक नहीं रखी गई हो?"

उन्होंने कहा कि पत्र की सामग्री एक "मजाक" है। "यह स्पष्ट रूप से पीएमओ में कुछ आधे-अधूरे लोगों द्वारा तैयार किया गया है, जो भाजपा के आईटी सेल में एक रचनात्मक लेखक के रूप में काम करते हैं। यह मोदी और गौतम अदाणी के लिए गीत गाते हैं, जबकि उनके हर प्रतिद्वंद्वी को मेरे और मेरे कथित भ्रष्टाचार से जोड़ते हैं। शार्दुल श्रॉफ सिरिल श्रॉफ के भाई हैं, जिनके व्यवसाय से कड़वाहट के कारण अलगाव हो गया है।

उन्‍होंने कहा श्रॉफ अदाणी के "समधी" हैं और हितों के पूर्ण टकराव में सेबी की समिति में थे। राहुल गांधी और शशि थरूर दोनों ऐसे लोग हैं, जिन्हें सरकार लगातार निशाना बनाती है। सुचेता दलाल एक खोजी पत्रकार हैं जो हमेशा सरकार को बेनकाब करती रहती हैं। स्पष्ट रूप से किसी ने कहा था 'सभ का नाम घुसा दो, ऐसा मौका फिर नहीं आएगा।'' मोइत्रा ने कहा, "दर्शन और उनके पिता भारत के सबसे बड़े व्यापारिक समूहों में से एक चलाते हैं और यूपी और गुजरात में उनकी हालिया परियोजनाओं का उद्घाटन प्रधान मंत्री और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा किया गया है।" हाल ही में दर्शन अपने व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल के हिस्से के रूप में प्रधान मंत्री के साथ विदेश गए थे।

मोइत्रा ने कहा, "इतना धनी, सफल व्यवसायी, जिसकी हर मंत्री और पीएमओ तक सीधी पहुंच है, उसे पहली बार के विपक्षी सांसद द्वारा उसे उपहार देने और उसकी मांगों को पूरा करने के लिए क्यों मजबूर किया जाएगा? यह पूरी तरह से अतार्किक है और केवल इस सच्चाई को पुख्ता करता है कि यह पत्र पीएमओ द्वारा तैयार किया गया था, दर्शन द्वारा नहीं।“ तृणमूल नेता ने यह भी पूछा कि दर्शन ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस क्यों नहीं की और इसे क्यों नहीं पढ़ा या इसे खुद ट्वीट नहीं किया या उनकी कंपनी ने इसे सामने क्यों नहीं रखा। उन्होंने कहा, "अगर वास्तव में उन्होंने यह 'कबूल' कर लिया है तो वह बैक चैनल लीक के बजाय इसे आधिकारिक तौर पर जारी क्यों नहीं कर रहे हैं? सच्चाई स्पष्ट है।"

उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार बेसब्री से इंतजार कर रही है कि किसी तरह अदाणी मुद्दे पर उनका मुंह बंद कर दिया जाए। जय देहाद्राई पर पलटवार करते हुए उन्होंने कहा कि वह कोई 'सुप्रीम कोर्ट वकील' नहीं हैं, जिन्होंने उन पर कड़ी मेहनत की है।

उन्‍होंने कहा,"वह मेरे साथ कटुता रखने वाला व्यक्ति है, जो किसी भी तरह मुझ पर पलटवार करना चाहता था। यदि वास्तव में वह मेरे सभी भ्रष्टाचारों का गवाह था, तो वह उस समय मेरे साथ क्यों था। इसके अलावा अगर उन्होंने सीबीआई और लोकसभा अध्यक्ष को लिखा, तो 543 सांसदों में से उन्होंने निशिकांत दुबे को पत्र क्यों भेजा, एक ऐसा व्यक्ति जिसे मैंने बार-बार संसद और बाहर उजागर किया है, और जिसके खिलाफ मैंने लंबित विशेषाधिकार प्रस्ताव दायर किया है? उन्‍होंने कहा, क्यों देहाद्राई के असत्यापित पत्र की सामग्री को निशिकांत ने तुरंत लीक कर दिया और किसी भी जांच से पहले सामग्री का इस्तेमाल मीडिया सर्कस बनाने के लिए किया गया ?"

केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि एक बार जमीन तैयार हो जाने के बाद भाजपा दूसरे कदम पर चली गई और पीएमओ ने दर्शन और उनके पिता पर दबाव डाला व इस पत्र पर हस्ताक्षर करने के लिए 20 मिनट का समय दिया।

उन्होंने कहा, "उन्हें अपने सभी व्यवसायों को पूरी तरह से बंद करने की धमकी दी गई थी। उनके पिता रियल एस्टेट में हैं, जो सरकारी लाइसेंस पर निर्भर हैं। और वह ऊर्जा, डेटा सेंटर और सेमीकंडक्टर चिप निर्माण में हैं, जो भी सरकारी लाइसेंस पर निर्भर है। उनके पास 30,000 करोड़ से अधिक का निवेेेश अकेले यूपी में है। उन्हें बताया गया कि वे समाप्त हो जाएंगे, सीबीआई उन पर छापा मारेगी और सभी सरकारी व्यवसाय बंद कर दिए जाएंगे और सभी पीएसयू बैंकों का वित्तपोषण तुरंत बंद कर दिया जाएगा।''