Maneka Gandhi News: इस्कॉन है सबसे बड़ा धोखेबाज, कसाइयों को बेचता है गाय- मेनका गांधी, जानें इस्कॉन की सच्चाई!
Maneka Gandhi News: बीजेपी सांसद मेनका गांधी ने इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस के ऊपर गंभीर आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि इस्कॉन सबसे बड़ा धोखेबाज है, वह गौकशी के लिए बूढ़ी गायों को कसाइयों को बेच देता है।
Maneka Gandhi News: बीजेपी सांसद मेनका गांधी (Maneka Gandhi) ने 'इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शसनेस' (ISKCON) पर गंभीर आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि इस्कॉन देश के अंदर 'सबसे बड़ा धोखेबाज' संगठन है। मेनका के इस बयान का विडियो सोशल मीडिया पर काफी तेजी से वायरल हो रहा है। उनके इस बयान का वीडियो सोशल मीडिया पर लोग खूब देख रहे हैं और अपनी प्रतिक्रियाएं दे रहे। मेनका ने आरोप लगाया है कि इस्कॉन (ISKCON) अपनी गौशालाओं की गाएं जो बूढ़ी हो जाती हैं उन्हें कसाइयों (Butchers) को बेच देता है। बता दें मेनका गांधी (Maneka Gandhi) एक पशु अधिकार कार्यकर्ता भी हैं। मेनका (Maneka) ने अपने आरोप में कहा कि उनका जीवन पूरी तरह से दूध पर निर्भर करता है। लेकिन शायद ही किसी ने इतनी ज्यादा गायें कसाइयों (Butchers) को बेची हों, जितनी इन्होंने बेची हैं। अगर ये लोग ऐसा कर रहे हैं तो जरा सोचिए कोई और तो फिर अन्य लोगों के बारे में सोचिए आपको बता दें ' बीजेपी सांसद (BJP MP) का ये वीडियो तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। लोगों ने इस पर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं भी दी हैं। साथ ही साथ इस्कॉन (ISKCON) भी इस पर जवाब देने वालों में शामिल रहा है।
क्या है इस्कॉन
भगवान श्री कृष्ण की उपासना के दुनिया भर में कई केंद्र बने हुए हैं। इसके अलावा दुनिया भर में ढेरों मंदिर भी हैं, अनेकों संस्थाएं हैं, अनेकों उपासक हैं जो कृष्ण की भक्ति और भगवद गीता के संदेश को दुनिया भर में पहुंचाने का काम करते हैं। कुछ इसी तरह की संस्था है इस्कॉन (ISKCON) जिसका पूरा नाम इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉनशियस्नेस (International Society for Krishna Consciousness) है। इस्कॉन (ISKCON) के दुनिया भर में 1 हजार से अधिक केंद्र हैं। अकेले भारत में इसके 400 केंद्र हैं और यहां तक कि हमारे पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान (Pakistan) में भी इस्कॉन (ISKCON) के 12 मंदिर बने हुए हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं इस्कॉन (ISKCON) संस्था की स्थापना का विचार उत्तर प्रदेश की वीर भूमि झांसी (Jhansi) में ही आया था। जी हां, इस्कॉन (ISKCON) के संस्थापक भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद (Swami Prabhupada) जी महाराज ने इसकी शुरुआत झांसी (Jhansi) से ही करना चाहते थे।
इस्कॉन की स्थापना भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद ने की
दरअसल, धर्म गुरु बनने से पहले भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद (Swami Prabhupada) आयुर्वेदिक बनाते थे। इस्कॉन (ISKCON) समिति के वरिष्ठ सदस्य अन्योर प्रभु ने बताया कि आयुर्वेदिक दवाओं के सिलसिले में स्वामी प्रभुपाद अक्सर झांसी (Jhnasi) के आयुर्वेदिक कॉलेज में आया करते थे। 1952 से उन्होंने नियमित रूप से यहां आना शुरू दिया था। झांसी (Jhnasi) के दो व्यक्ति उनके अनुयायी हो गए। इन्हीं यात्राओं के दौरान स्वामी प्रभुपाद (Swami Prabhupada) की नजर आंतिया तालाब के सामने बने राधा बाई स्मारक पर पड़ी। स्मारक पर कृष्ण मंत्र लिखा हुआ था। स्वामी प्रभुपाद (Swami Prabhupada) ने अपने उन दोनों अनुयायियों से कहा कि हम यहां कृष्ण भक्ति की एक संस्था की स्थापना करेंगे।
1957 में की भक्तों के संघ की स्थापना।
अन्योर के अनुसार स्वामी प्रभुपाद (Swami Prabhupada) ने शुरुआत में इस संस्था का नाम भक्तों का संघ (association of devotees) रखा। इसकी स्थापना के लिए उन्होंने अखबारों मे विज्ञापन भी दिया। जहां कहा गया कि ऐसे शिक्षित युवाओं की जरुरत है जो दुनिया भर में भगवद गीता के संदेश को फैला सकें। उनकी यात्रा, भोजन और वस्त्र का खर्च संस्था खुद उठाएगी। स्वामी प्रभुपाद (Swami Prabhupada) 1957 में ही इस संस्था को स्थापित करना चाहते थे, लेकिन उनके ही अनुयायियों ने कुछ लोगों के साथ मिलकर छल के साथ जमीन को हड़प लिया जिसके चलते भारत में इस्कॉन (ISKCON) की स्थापना नहीं हो पाई।
1966 में हुई इस्कॉन की स्थापना
इसके स्वामी प्रभुपाद (Swami Prabhupada) वृंदावन चले गए, जहां उन्होंने 16 साल गुजारे। इसके बाद वे अमेरिका (America) चले गए, जहां उन्होंने उन्होंने 13 जुलाई 1966 को अमेरिका (America) के न्यूयॉर्क शहर (Newyork City) में इसकी स्थापना की। शुरुआत में उन्होंने उन अमेरिकी लोगों को इससे जोड़ा जिन्हें समाज से बहिष्कृत कर दिया गया था। ऐसे लोगों को हिप्पी कहा जाता था। इस्कॉन (ISKCON) के माध्यम से इन लोगों को भगवत गीता (Bhagwata Geeta) का अर्थ समझाया और आज देश-विदेश में लाखों लोग इस्कॉन संस्था के अनुयायी बन गए हैं। हालांकि देखा जाए तो इस संस्था का पूरी दुनिया में किसी के पास कोई मालिकाना हक नहीं इस्कॉन दुनिया भर में शहरी स्तर पर निकाय आयोगों (GBC) द्वारा शासित किया जाता है। लेकिन संपत्ति की देखरेख का जिम्मा के पास ही होता है। भारत में इस्कॉन (ISKCON) का ब्यूरो मुंबई में है। अन्य देशों में अन्य ब्यूरो हैं, प्रत्येक मंदिर को संपत्ति के मामले में उन्हें रिपोर्ट करना पड़ता है।
प्रभुपाद जीबीसी (Prabhupada GBC) के बाद शुरू की गई यह प्रणाली आध्यात्मिक गुणवत्ता बनाए रखती है। संस्थापक होने के नाते आचार्य प्रभुपाद वास्तविक मुखिया हैं, उन्हीं के नाम से सब कुछ चल रहा है, हालांकि वे अब इस दुनिया में नहीं हैं।
प्रत्येक मंदिर राष्ट्रपति द्वारा शासित होता है, उसे अपने संबंधित प्राधिकारी को रिपोर्ट को हर महीने राष्ट्रपति को सौंपनी होती है।