Mac Mohan Birthday: "शोले" का प्रीमियर देखकर क्यों रो पड़ा था "सांभा"!

90 का एक फेमस डॉयलाग है ‘कितना इनाम रखी है सरकार हम पर’ और जवाब है 'पूरे पचास हजार'। यह डॉयलाग हर किसी को याद होगा, हो भी क्यों न आखिर इतनी आइकॉनिक फिल्म का जो है। इस डॉयलाग के पीछे आवाज है मोहन माकीजनी की जिन्हें लोग मैक मोहन के नाम से जानते है।

Mac Mohan Birthday: "शोले" का प्रीमियर देखकर क्यों रो पड़ा था "सांभा"!

Mac Mohan Birthday: 90 का एक फेमस डॉयलाग है ‘कितना इनाम रखी है सरकार हम पर’ और जवाब है 'पूरे पचास हजार'। यह डॉयलाग हर किसी को याद होगा, हो भी क्यों न आखिर इतनी आइकॉनिक फिल्म का जो है। इस डॉयलाग के पीछे आवाज है मोहन माकीजनी की जिन्हें लोग मैक मोहन (Mac Mohan) के नाम से जानते है। मैक मोहन का जन्म 24 अप्रैल 1938 को भारत के कराची में हुआ था। उनका असली नाम मोहन माखीजानी था, लेकिन दोस्तों ने इन्हें मैक कहकर पुकारना शुरू कर दिया। माखीजानी के पिता ब्रिटिश आर्मी में कर्नल थे और वो चाहते थे कि उनका बेटा भी बड़े होकर आर्मी ही जॉइन करे, लेकिन किस्मत को तो कुछ और ही मंजूर था। ये जब मात्र 2 साल के थे तब इनके पिता का ट्रांसफर कराची से लखनऊ हो गया। जिसके चलते इनकी शुरूआती पढ़ाई भी लखनऊ में ही हुई। 

फिल्म के तीन शब्दों ने बदल दी मैक की किस्मत

मैक ने बॉलीवुड में करीब 200 से ज्यादा फिल्मों में काम किया था। उन्होंने सन 1946 में ‘हकीकत’ फिल्म से अपने अभिनय की शुरुआत की और इसके बाद उनके पास एक से बढ़कर एक फिल्मों के ऑफर आए। ‘जंजीर’, ‘सलाखें’, ‘शागिर्द’, ‘सत्ते पे सत्ता’, ‘डॉन’, ‘दोस्ताना’, ‘काला पत्थर’ जैसी कई फिल्मों में उन्होंने एक्टिंग की। हालांकि जिस फिल्म के लिए मैक को सबसे ज्यादा याद किया जाता है वो फिल्म थी ‘शोले’। इस फिल्म में उन्होंनें सांभा का रोल प्ले किया था। दिलचस्प है कि इस फिल्म में उनके बहुत से सीन काट दिए गए थे और सिर्फ एक ही सीन रखा गया। इसमें वो गब्बर के सवाल ‘कितना इनाम रखी है सरकार हम पर’ का जवाब देते हैं और वो जवाब है ‘पूरे पचास हजार'। फिल्म में बोले गए ये तीन शब्द आज तक हर किसी को याद है। 

शोले के प्रीमियर पर रोने लगे थे मैक

वहीं इस मूवी से जुड़ा एक और किस्सा है,जो फिल्म का प्रीमियर से जुड़ा था। उस दिन शोले का ट्रायल शो चल रहा था। इस दौरान डायरेक्टर रमेश सिप्पी सहित फिल्म के सभी बड़े स्टार्स वहां मौजूद थे। फिल्म जब खत्म हुई तो सभी ने ज़ोर-ज़ोर से तालियां बजाई। सभी खुश थे। लेकिन इस दौरान जो एक इंसान दुखी था वो थे  मैक मोहन उनकी आंखों में आंसू थे और वो आंसू खुशी के नहीं थेबल्कि दुख के आंसू थे। मैकमोहन रो रहे थे। इन सबके बीच जब रमेश सिप्पी की नज़र मैक पर पड़ी तो उन्होंने मैक से उनके रोने की वजह पूछी। मैक ने उनसे कहा,"आप प्लीज़ मेरा रोल फिल्म में से काट दीजिए। वैसे भी कुछ खास तो बचा ही नहीं है। तब रमेश सिप्पी ने मैकमोहन से कहा, फिल्म की लेंथ काफी बढ़ गई थी इसलिए तुम्हारे सीन्स कटे..सिर्फ तुम्हारे नही और लोगों के भी सीन काटे है। लेकिन  एक बात मैं तुमसे कहना चाहूंगा मैक, अगर ये फिल्म हिट हो गई तो मैं तुम्हें गारंटी देता हूं तुम्हारा ये रोल लोगों को सालों तक याद रहेगा।"  और हुआ भी कुछ ऐसा ही रमेश सिप्पी की बात सही साबित हुई। सांभा का उनका ये रोल इतना पॉपुलर हुआ कि न्यूयॉर्क में एक इमीग्रेशन आफिसर ने उन्हें सचमुच गब्बर सिंह का आदमी समझ लिया था। फिल्म की रिलीज़ के बाद उसमें सांभा बने मैक मोहन का डायलॉग पूरे 'पचास हज़ार' हर किसी को आज भी याद है।

फेफड़े में ट्यूमर के चलते हुए निधन

मैक ने अपने 46 साल लंबे करियर में 175 से अधिक फिल्मों में काम किया था। वहीं फिल्म ‘अतिथि तुम कब जाओगे’ की शूटिंग के दौरान मैकमोहन की तबियत अचानक बिगड़ गई। जिसके बाद उन्हें कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां डॉक्टर्स ने बताया कि उनके फेफड़े में ट्यूमर है। वहां उनका लंबा इलाज चला, लेकिन एक साल बाद 10 मई, 2010 को मैक मोहन इस दुनिया को अलविदा कह गए।