UP Madarsa Funding: मदरसों की जांच पर यूपी में फिर सियासत, विदेशी फंडिंग और आय के स्रोतों पर जांच
एसआईटी ने नेपाल सीमा और पश्चिमी यूपी के मदरसों श्रावस्ती, बहराइच, सिद्धार्थ नगर, मुरादाबाद, रामपुर, अलीगढ़ सहारनपुर, देवबंद और आजमगढ़ से विदेशी फंडिंग से लेकर अन्य तरह के आय के स्रोतों के संबंध में हिसाब मांगा है
UP Madarsa Funding: यूपी में मदरसों से जुड़ा चौंकाने वाला मामला सामने आया है। दरअसल, यूपी में 80 ऐसे मदरसों की पहचान की गई है, जिन्हें पिछले 2 साल में करीब 100 करोड़ की फंडिंग मिली है। जांच में सामने आया है कि ये सारा पैसा विदेश से मदरसों को भेजा गया है। इस पर स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) पैनी नजर बनाए हुए हैं और इस बात की जांच कर रही है कि ये पैसा किसने भेजा, कहां से आया और किस काम में खर्च हुआ। बता दें कि उत्तर प्रदेश में मौजूद 25,000 मदरसों में से 16,500 मदरसे ऐसे हैं जो यूपी मदरसा शिक्षा बोर्ड से मान्यता प्राप्त हैं।
एसआईटी कर रही जांच
एसआईटी ने नेपाल सीमा और पश्चिमी यूपी के (Madrasas in UP) मदरसों श्रावस्ती, बहराइच, सिद्धार्थ नगर, मुरादाबाद, रामपुर, अलीगढ़ सहारनपुर, देवबंद और आजमगढ़ से विदेशी फंडिंग से लेकर अन्य तरह के आय के स्रोतों के संबंध में हिसाब मांगा है। ये जानकारी सामने आने के बाद अब इसपर सियासत तेज हो गई है।
मदरसा बोर्ड के चेयरमैन ने जताई आपत्ति
उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड के चेयरमैन डॉ. इफ्तिखार अहमद जावेद ने जांत पर आपत्ति जताते हुए कहा है कि मदरसों में अभी कंपार्टमेंट का परीक्षाफल घोषित किया जाना है। बोर्ड के फार्म भरे जा रहे हैं। मदरसों में जांच होने से महत्वपूर्ण कार्य और पढ़ाई प्रभावित होगी। इसलिए जांच प्रकिया स्थगित कराते हुए परीक्षा कार्य को सर्वोत्तम वरीयता दी जाए।
जांच टालने की मांग
जांच प्रक्रिया को टालने के लिए डॉ. इफ्तिखार अहमद जावेद ने अल्पसंख्यक कल्याण (Ministry of Minority Welfare) मंत्री धर्मपाल सिंह से मुलाकात कर उन्हें एक पत्र सौंपा और जांच को बोर्ड परीक्षा (Madrasa board exam) तक टालने और परीक्षा के बाद जांच कराने की बात कही है।
बिना मान्यता चल रहे मदरसे
योगी सरकार (UP government) ने जिला मजिस्ट्रेटों को बीते साल ही सर्वे के निर्देश दिए थे कि मदरसों में विदेशी फंडिंग को लेकर जांच की गई जिसके बाद दो महीनों तक चले सर्वे में पता लगा था कि 8449 मदरसे ऐसे थे जो बिना मान्यता के चल रहे हैं।
अल्पसंख्यक मंत्री ने क्या कहा
अल्पसंख्यक कल्याण, मुस्लिम वक्फ और हज मंत्री धर्मपाल सिंह ने कहा था कि नेपाल सीमा से लगे इलाकों में कई मदरसों ने जकात और दान को अपने धन का प्राथमिक स्रोत बताया था। हालांकि सर्वे टीमों ने पाया कि इन क्षेत्रों में रहने वाले लोग जकात या दान देने के लिए बहुत गरीब थे। जिसके बाद इन मदरसों की पहचान की गई और उनके फंडिंग के स्रोतों की दोबारा से जांच कराने के निर्देश जारी किए गए थे।