भाजपा-सपा के बीच होगी कड़ी टक्कर, यूपी में 10 राज्यसभा और 13 विधानसभा हो रही खाली
अगले साल मई के महीने में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले 2 अप्रैल को उत्तर प्रदेश से राज्यसभा की 10 सीटें खाली हो रही हैं।
अगले साल 2024 (lok sabha election 2024) में होने वाले लोकसभा चुनाव (lok sabha election) से पहले यूपी में राज्यसभा सीटों के लिए कड़ी टक्कर देखने को मिलेगी। दरअसल अगले साल मई के महीने में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले 2 अप्रैल को उत्तर प्रदेश से राज्यसभा की 10 सीटें खाली हो रही हैं।
2018 में हुए थे चुनाव
दरअसल पिछली बार राज्यसभा का चुनाव साल 2018 में हुआ था। जिसमें भाजपा ने 9 सीटों पर जीत हासिल की थी। जबकि 1 सीट पर सपा की तरफ से जया बच्चन ने जीत दर्ज की थी।
जया बच्चन की हो सकती छुट्टी
राज्यसभा में समाजवादी पार्टी से सांसद जया बच्चन का कार्यकाल खत्म होने वाला है पर जानकारी के मुताबिक, पार्टी प्रमुख अखिेलश यादव इस बार उन्हें मौका नहीं देने वाले हैं। वहीं अटकलें ये भी लगाई जा रही हैं कि इस बार अखिलेश यादव अपने परिवार से किसी को राज्यसभा में भेजने के प्लान में हैं, जिसके चलते जया बच्चन का पत्ता साफ हो सकता है।
किसके कार्यकाल हो रहे खत्म
भाजपा की ओर से जिन सांसदों का कार्यकाल खत्म हो रहा है उन्में अनिल अग्रवाल, अशोक वाजपेयी, अनिल जैन, कांता कर्दम, सकलदीप राजभर, जीवीएल नरसिम्हा राव, विजय पाल तोमर, सुधांशु त्रिवेदी, हरनाथ सिंह यादव शामिल हैं।
विधान परिषद की सीटें भी हो रही खाली
दरअसल यूपी विधान परिषद की कुछ सीटें भी अगले साल 5 मई को खाली हो रही है। जिसके बाद प्रदेश की सत्ता और विपक्ष दोनों पार्टियां केंद्र के साथ-साथ अपने एमएलसी बनाने के लिए भी सियासी गठजोड़ कर रही हैं। विधान परिषद की खाली होने वाली 13 सीटों में भाजपा के पास 10 तो उसके सहयोगी, अपना दल के पास 1 सीट है। जबकि समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के पास 1-1 सीट है।
विधान परिषद में कौन है सदस्य
भाजपा से विधान परिषद के सदस्य यशवंत सिंह, विजय बहादुर पाठक, विद्या सागर सोनकर, सरोजनी अग्रवाल, अशोक कटारिया, अशोक धवन, बुक्कल नवाब, महेंद्र कुमार सिंह, मोहसिन रजा, निर्मला पासवान के कार्यकाल पूरे हो रहे हैं। तो वहीं अपना दल से आशीष पटेल का और सपा से नरेश उत्तम का कार्यकाल पूरा होने वाला है।
राज्यसभा चुनाव की क्या है प्रक्रिया
बता दें कि राज्यसभा चुनाव में सीधे जनता वोटिंग नहीं करती है बल्कि राज्यों के विधायक मतदान करते हैं। राज्यसभा चुनाव में जीत के लिए कितने वोटों की जरूरत होती है ये पहले से ही तय होता है। वोटों की संख्या, कुल विधायकों की संख्या और राज्यसभा सीटों की संख्या के आधार पर निकाली जाती है। इसमें एक विधायक की वोट की वैल्यू 100 होती है। ऐसे में जिस पार्टी के पास विधायकों की संख्या अधिक होती है उस पार्टी के राज्यसभा उम्मीदवार की जीत तय मानी जाती है।
सपा को हो सकता है फायदा
जानकारी के अनुसार अब तक के आंकड़ों के हिसाब से यूपी में भाजपा कम से कम 9 एमएलसी की सीटें जीत सकती है, जबकि सपा गठबंधन के खाते में 4 सीटें जा सकती हैं। 4 सीटों पर जीत सपा को एक बड़ा फायदा दिला सकती है। 4 और सीटों पर जीत हासिल करने के बाद ये होगा कि विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष के लिए सपा की दावेदारी तय हो जाएगी। बता दें कि सपा के पास अभी 9 सदस्य हैं, जबकि नेता प्रतिपक्ष के लिए 1/10 सदस्य के मानक से वह एक सीट कम है।