Bilkis Bano Case: सुप्रीम कोर्ट दोषियों को सजा में छूट के खिलाफ याचिकाओं पर 8 जनवरी को सुनाएगा फैसला

बिलकिस बानो सामूहिक बलात्कार और बेटी समेत उसके परिवार के सदस्‍यों की हत्या के मामले में दोषियों की जल्द रिहाई की अनुमति देने वाले गुजरात सरकार के फैसले के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट सोमवार, 8 जनवरी को अपना फैसला सुनाएगा।

Bilkis Bano Case: सुप्रीम कोर्ट दोषियों को सजा में छूट के खिलाफ याचिकाओं पर 8 जनवरी को सुनाएगा फैसला

Bilkis Bano Case:  बिलकिस बानो सामूहिक बलात्कार और बेटी समेत उसके परिवार के सदस्‍यों की हत्या के मामले में दोषियों की जल्द रिहाई की अनुमति देने वाले गुजरात सरकार के फैसले के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट सोमवार, 8 जनवरी को अपना फैसला सुनाएगा। उसके और उसके परिवार के सदस्यों के साथ दरिंदगी 2002 के गुजरात दंगों के दौरान की गई थी।

शीर्ष अदालत की वेबसाइट पर प्रकाशित वाद सूची के अनुसार, न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्‍ना और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की विशेष पीठ 8 जनवरी को फैसला सुनाएगी।

शीर्ष अदालत ने अक्टूबर 2023 में 15 अगस्त, 2022 को राज्य की छूट नीति के तहत 11 दोषियों को रिहा करने की गुजरात सरकार की कार्रवाई की वैधता के सवाल पर सभी पक्षों को सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।

सुनवाई के दौरान केंद्र, गुजरात सरकार और दोषियों ने सजा में छूट के आदेश के खिलाफ सीपीआई-एम नेता सुभाषिनी अली, तृणमूल कांग्रेस नेता महुआ मोइत्रा, नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वुमेन, आसमां शफीक शेख और अन्य द्वारा दायर जनहित याचिकाओं का विरोध करते हुए कहा था कि जब पीड़िता ने स्वयं अदालत का दरवाजा खटखटाया है, तो दूसरों को इस मामले में हस्तक्षेप करने की अनुमति नहीं दी जा सकती।

साथ ही, दोषियों ने दलील दी थी कि उन्हें शीघ्र रिहाई देने वाले माफी आदेशों में न्यायिक आदेश का सार है और इसे संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत रिट याचिका दायर करके चुनौती नहीं दी जा सकती।

दूसरी ओर, एक जनहित याचिका वादी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने दलील दी थी कि छूट के आदेश 'कानून की दृष्टि से खराब' हैं और 2002 के दंगों के दौरान बानो के खिलाफ किया गया अपराध धर्म के आधार पर किया गया "मानवता के खिलाफ अपराध" था। जयसिंह ने कहा था कि शीर्ष अदालत के फैसले में देश की अंतरात्मा की आवाज झलकेगी।

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