Supreme Court: मदरसों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने दिये दो बड़े आदेश, UP-त्रिपुरा सरकार के फैसले पर लगाई रोक
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (20 अक्टूबर) को मदरसों को लेकर दो अहम फैसले दिए हैं। पहला- सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों के सरकारी मदरसों को बंद करने के निर्णय पर रोक लगा दी है।
Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार (21 अक्टूबर) को मदरसों को लेकर दो अहम फैसले दिए हैं। पहला- सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने केंद्र और राज्य सरकारों के सरकारी मदरसों को बंद करने के निर्णय पर रोक लगा दी है। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने 7 जून और 25 जून को राज्यों से इससे संबंधित सिफारिश की थी। केंद्र सरकार (Central government) ने इसका समर्थन करते हुए राज्यों से इस पर एक्शन लेने की बात कही थी।
UP-त्रिपुरा सरकार के आदेश पर भी रोक
वहीं दूसरे फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) और त्रिपुरा सरकार (Tripura Government) के उस आदेश पर भी रोक लगाई है, जिसमें मदरसों में पढ़ने वाले छात्रों को सरकारी स्कूल में ट्रांसफर करने को कहा गया था। इसमें गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों के साथ-साथ सरकारी सहायता प्राप्त मदरसों में पढ़ने वाले गैर-मुस्लिम छात्र शामिल हैं।
SC ने 4 हफ्ते में मांगा जवाब
चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ (Chief Justice D.Y. Chandrachur), जस्टिस जे.बी. पारदीवाला (Justice J.B. Pardiwala) और जस्टिस मनोज मिश्रा (Justice Manoj Mishra) की पीठ ने जमीयत उलेमा-ए-हिंद (Jamiat Ulema-e-Hind) की याचिका पर सुनवाई कर यह फैसला सुनाया है। पीठ ने केंद्र सरकार (Central government), NCPCR और सभी राज्यों को नोटिस जारी कर 4 हफ्ते के अंदर जवाब मांगा है।
मदरसों पर कोई कार्रवाई नहीं कर सकेंगीं राज्य सरकारें
पीठ ने आगे कहा कि यह रोक अंतरिम है। जब तक मामले पर फैसला नहीं आ जाता, तब तक राज्य सरकारें मदरसों पर कोई कार्रवाई नहीं कर सकेंगीं। सुप्रीम कोर्ट ने जमीयत उलेमा-ए-हिंद को उत्तर प्रदेश और त्रिपुरा के अलावा अन्य राज्यों को भी याचिका में पक्षकार बनाने की इजाजत दे दी है।
मदरसों में शिक्षा के अधिकार कानून का नहीं हो रहा पालन- NCPCR
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (National Commission for Protection of Child Rights) यानी NCPCR ने 12 अक्टूबर को कहा था कि 'राइट टु एजुकेशन एक्ट 2009' का पालन नहीं करने वाले मदरसों की मान्यता रद्द हो। इसके साथ ही उनकी जांच की जाए। NCPCR ने सभी राज्यों को लेटर लिखकर कहा था कि मदरसों को दिया जाने वाला फंड बंद कर देना चाहिए। ये राइट-टु-एजुकेशन (RTE) नियमों का पालन नहीं करते हैं।
‘मदरसों में पूरा फोकस धार्मिक शिक्षा पर’
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने 'आस्था के संरक्षक या अधिकारों के विरोधी: बच्चों के संवैधानिक अधिकार बनाम मदरसे' नाम से एक रिपोर्ट तैयार करने के बाद ये सुझाव दिया था। आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि, मदरसों में पूरा फोकस धार्मिक शिक्षा (religious education) पर रहता है, जिससे बच्चों को जरूरी शिक्षा नहीं मिल पाती और वे बाकी बच्चों से पिछड़ जाते हैं।
NCPCR की रिपोर्ट पर UP-त्रिपुरा ने दिए थे कार्रवाई के आदेश
आयोग की रिपोर्ट के बाद 26 जून 2024 को उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव (Chief Secretary of Uttar Pradesh) ने सभी जिला कलेक्टरों को राज्य के सभी सरकारी सहायता प्राप्त और मान्यता प्राप्त मदरसों की जांच करने और मदरसों के सभी बच्चों का स्कूलों में तत्काल ट्रांसफर करने को कहा था। इस प्रकार का निर्देश त्रिपुरा सरकार ने 28 अगस्त, 2024 को जारी किया था। 10 जुलाई, 2024 को केंद्र सरकार ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को NCPCR के निर्देशानुसार एक्शन करने के लिए लिखा था।
SC ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर लगाई रोक
सुप्रीम कोर्ट ने 5 अप्रैल 2024 को उत्तर प्रदेश बोर्ड ऑफ मदरसा एजुकेशन एक्ट 2004 (Uttar Pradesh Board of Madrasa Education Act 2004) को असंवैधानिक करार देने वाले इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) के आदेश पर रोक लगा दी थी। इसके साथ ही केंद्र और यूपी सरकार से जवाब भी मांगा था। सुप्रीम कोर्ट का कहना था कि हाईकोर्ट के फैसले से करीब 17 लाख छात्रों पर प्रभाव पड़ेगा। छात्रों को दूसरे स्कूल में ट्रांसफर करने का निर्देश देना ठीक नहीं है। दरअसल, 22 मार्च को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने उत्तर प्रदेश मदरसा एक्ट (Uttar Pradesh Madrasa Act) को असंवैधानिक घोषित कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि यह धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत का खिलाफ है।