Sunita Kejriwal : सुनीता केजरीवाल पंजाब, हरियाणा और गुजरात में करेंगी चुनाव प्रचार, दिल्ली से करेंगी शुरुआत

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और गुजरात में आम आदमी पार्टी का प्रचार करेंगी। प्रचार की शुरुआत 27 अप्रैल को दिल्ली से होने जा रही है। सुनीता केजरीवाल अपना पहला चुनावी रोड शो पूर्वी दिल्ली से शुरू करेंगी।

Sunita Kejriwal : सुनीता केजरीवाल पंजाब, हरियाणा और गुजरात में करेंगी चुनाव प्रचार, दिल्ली से करेंगी शुरुआत

Sunita Kejriwal : दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और गुजरात में आम आदमी पार्टी का प्रचार करेंगी। प्रचार की शुरुआत 27 अप्रैल को दिल्ली से होने जा रही है। सुनीता केजरीवाल अपना पहला चुनावी रोड शो पूर्वी दिल्ली से शुरू करेंगी।

AAP के लोकसभा उम्मीदवारों के लिए प्रचार करेंगी

दिल्ली की शिक्षा मंत्री आतिशी ने बताया कि सुनीता केजरीवाल आम आदमी पार्टी के सभी लोकसभा उम्मीदवारों के लिए प्रचार करेंगी। वह अलग-अलग संसदीय क्षेत्रों में रोड शो करेंगी। आम आदमी पार्टी के उम्मीदवारों का प्रचार करने के अलावा सुनीता केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी का मुद्दा भी लोगों के बीच उठाएंगी। 27 अप्रैल को पूर्वी दिल्ली में अपना पहला चुनावी रोड शो करने के उपरांत वह 28 अप्रैल को पश्चिमी दिल्ली में आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार महाबल मिश्रा के लिए रोड शो निकालेंगी।

दिल्ली की 7 में से चार सीटों पर चुनाव लड़ रही AAP

गौरतलब है कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन है। इस गठबंधन के तहत आम आदमी पार्टी दिल्ली की 7 में से चार सीटों पर चुनाव लड़ रही है। वहीं, कांग्रेस बाकी बची तीन सीटों पर चुनाव मैदान में है। दिल्ली के अलावा सुनीता केजरीवाल पंजाब भी जाएंगी, जहां कांग्रेस और आम आदमी पार्टी एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं। यहां वह आम आदमी पार्टी के सभी उम्मीदवारों के लिए पंजाब की जनता से वोट मांगेंगी।

डिप्टी मेयर का चुनाव रद्द होने पर आम आदमी पार्टी ने जताई नाराजगी

वहीं, आम आदमी पार्टी ने दिल्ली के मेयर और डिप्टी मेयर का चुनाव रद्द होने पर भी नाराजगी जताई है। दिल्ली की मेयर शैली ओबेरॉय का कहना है कि मेयर चुनाव की फाइल बिना मंत्री को दिए सीधे एलजी साहब के पास भेज दी गई। एलजी ने कहा कि इस पर मुख्यमंत्री की सहमति नहीं है, इसीलिए, इसे आगे नहीं बढ़ाया जा सकता। पिछली बार मेयर चुनाव में उपराज्यपाल ने बिना मुख्यमंत्री की सहमति के नगर निगम के मनोनीत सदस्यों की नियुक्ति की थी। उस समय उन्होंने सीएम की सहमति को अनिवार्य क्यों नहीं माना।