PM Modi: पीएम मोदी ने कन्याकुमारी में ध्यान पर लिखा लेटर, कहा- ‘मेरी आंखें नम हो रही थीं, मैं शून्यता में जा रहा था’

लोकसभा चुनाव का अंतिम चरण खत्म हो चुका है। मतदान पूरा होते ही प्रचार में जुटे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कन्याकुमारी में 45 घंटे तक ध्यान लगाया। पीएम मोदी ने अपना ध्यान पूरा करते ही देशवासियों को एक पत्र लिखा है। इस लेटर में पीएम मोदी ने ध्यान से मिला अपना अनुभव साझा किया।

PM Modi: पीएम मोदी ने कन्याकुमारी में ध्यान पर लिखा लेटर, कहा- ‘मेरी आंखें नम हो रही थीं, मैं शून्यता में जा रहा था’

PM Modi: लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) का अंतिम चरण खत्म हो चुका है। मतदान पूरा होते ही प्रचार में जुटे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने कन्याकुमारी (Kanyakumari) में 45 घंटे तक ध्यान लगाया। पीएम मोदी (PM Modi) ने अपना ध्यान पूरा करते ही देशवासियों को एक पत्र लिखा है। इस लेटर में पीएम मोदी ने ध्यान से मिला अपना अनुभव साझा किया। पीएम मोदी ने बताया कि शुरुआत में चुनावों का कोलहाल मेरे दिल और दिमाग में गूंज रहा था। लेकिन, धीरे-धीरे मेरी आंखें नम हो रही थीं और मैं शून्यता में जा रहा था। 

पीएम मोदी ने ये पत्र 1 जून को कन्याकुमारी से दिल्ली वापस आने के दौरान यानी रास्ते में लिखा था। पत्र का शीर्षक है- कन्याकुमारी में साधना से नए संकल्प। इस पत्र में उन्होंने कहा कि आज भारत का गवर्नेंस मॉडल दुनिया के कई देशों के लिए एक बड़ा उदाहरण है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने पत्र में लिखा-

मेरे प्यारे देशवासियों,

लोकतंत्र की जननी में लोकतंत्र के सबसे बड़े महापर्व का समापन हो चुका है। तीन दिन तक कन्याकुमारी में आध्यात्मिक यात्रा के बाद, कितने सारे अनुभव हैं, कितनी सारी अनुभूतियां हैं। मैं एक असीम ऊर्जा का प्रवाह स्वयं में महसूस कर रहा हूं। वाकई, 2024 के इस चुनाव में कितने ही सुखद संयोग बने हैं। अमृतकाल के इस पहले लोकसभा चुनाव में मैंने प्रचार अभियान, 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की प्रेरणास्थली मेरठ से शुरू किया था। मां भारती की परिक्रमा करते हुए इस चुनाव की मेरी आखिरी सभा पंजाब के होशियारपुर में हुई।

मैं सबकुछ आत्मसात कर रहा था- पीएम मोदी

इसके बाद मुझे कन्याकुमारी में भारत माता के चरणों में बैठने का अवसर मिला। उन शुरुआती पलों में चुनाव का कोलाहल मन-मस्तिष्क में गूंज रहा था। रैलियों में, रोड शो में देखे अनगिनत चेहरे मेरी आंखों के सामने आ रहे थे। माताओं-बहनों-बेटियों का असीम प्रेम, उनका आशीर्वाद, उनकी आंखों में मेरे लिए वो विश्वास, वो दुलार। मैं सबकुछ आत्मसात कर रहा था। मेरी आंखें नम हो रही थीं। मैं शून्यता में जा रहा था, साधना में प्रवेश कर रहा था।

मैं ईश्वर का आभारी हूं- पीएम मोदी

कुछ ही क्षणों में राजनीतिक वाद-विवाद, वार-पलटवार, आरोपों के स्वर-शब्द शून्य में समाते चले गए। मेरे मन में विरक्ति का भाव और तीव्र हो गया। मेरा मन बाहरी जगत से पूरी तरह निकल गया। इतने बड़े दायित्वों के बीच ऐसी साधना कठिन होती है, लेकिन कन्याकुमारी की भूमि और स्वामी विवेकानंद की प्रेरणा ने इसे आसान बना दिया। मैं ईश्वर का भी आभारी हूं कि उन्होंने मुझे जन्म से ये संस्कार दिए। मैं ये भी सोच रहा था कि स्वामी विवेकानंद जी ने उस स्थान पर साधना के समय क्या अनुभव किया होगा! मेरी साधना का कुछ हिस्सा इसी तरह के विचार प्रवाह में बहा।

सागर की विशालता ने मेरे विचारों को विस्तार दिया- पीएम मोदी

इस विरक्ति के बीच भारत के लक्ष्यों के लिए निरंतर विचार उमड़ रहे थे। कन्याकुमारी के उगते हुए सूर्य ने मेरे विचारों को नई ऊंचाई दी, सागर की विशालता ने मेरे विचारों को विस्तार दिया, क्षितिज के विस्तार ने ब्रह्मांड की गहराई में समाई एकात्मकता, "वननेस' का निरंतर एहसास कराया। ऐसा लग रहा था जैसे दशकों पहले हिमालय की गोद में किए गए चिंतन और अनुभव पुनर्जीवित हो रहे हों।

कन्याकुमारी हमेशा मेरे मन के करीब रहा- पीएम मोदी 

साथियो, कन्याकुमारी का ये स्थान हमेशा मेरे मन के अत्यंत करीब रहा है। कन्याकुमारी में विवेकानंद शिला स्मारक का निर्माण श्री एकनाथ रानडे जी ने करवाया था। कश्मीर से कन्याकुमारी... ये हर देशवासियों के अन्तर्मन में रची-बसी हमारी साझी पहचान हैं। ये वो शक्तिपीठ है, जहां मां शक्ति ने कन्याकुमारी के रूप में अवतार लिया था। इस दक्षिणी छोर पर मां शक्ति ने उन भगवान शिव के लिए तपस्या और प्रतीक्षा की, जो भारत के सबसे उत्तरी छोर के हिमालय पर विराज रहे थे।

कन्याकुमारी संगमों के संगम की धरती- पीएम मोदी

कन्याकुमारी संगमों के संगम की धरती है। हमारे देश की पवित्र नदियां अलग-अलग समुद्रों में जाकर मिलती हैं और यहां उन समुद्रों का संगम होता है। और यहां एक और महान संगम दिखता है- भारत का वैचारिक संगम! यहां विवेकानंद शिला स्मारक के साथ ही संत तिरुवल्लूवर की विशाल प्रतिमा, गांधी मंडपम और कामराजर मणि मंडपम हैं। महान नायकों के विचारों की ये धाराएं यहां राष्ट्र चिंतन का संगम बनाती हैं। जो लोग भारत के राष्ट्र होने और देश की एकता पर संदेह करते हैं, उन्हें कन्याकुमारी की धरती एकता का अमिट संदेश देती है। कन्याकुमारी में संत तिरुवल्लूवर की विशाल प्रतिमा, समुंदर में मां भारती के विस्तार को देखती हुई प्रतीत होती है। उनकी रचना ‘तिरुक्कुरल’ तमिल साहित्य के रत्नों से जड़ित एक मुकुट के जैसी है। इसमें जीवन के हर पक्ष का वर्णन है, जो हमें स्वयं और राष्ट्र के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ देने की प्रेरणा देता है।

भारत का गवर्नेंस मॉडल दुनिया के लिए उदाहरण- पीएम मोदी 

आज भारत का गवर्नेंस मॉडल दुनिया के कई देशों के लिए एक उदाहरण है। सिर्फ 10 वर्षों में 25 करोड़ लोगों का गरीबी से बाहर निकलना अभूतपूर्व है। गरीब के सशक्तिकरण से लेकर लास्ट माइल डिलीवरी तक, समाज की अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति को प्राथमिकता देने के हमारे प्रयासों ने विश्व को प्रेरित किया है। नए भारत का ये स्वरूप हमें गर्व और गौरव से भर देता है, लेकिन, साथ ही ये 140 करोड़ देशवासियों को उनके कर्तव्यों का अहसास भी करवाता है। अब एक भी पल गंवाए बिना हमें बड़े दायित्वों-बड़े लक्ष्यों की दिशा में कदम उठाने होंगे। हमें नए स्वप्न देखने हैं। सपनों को अपना जीवन बनाना है और उन सपनों को जीना शुरू करना है। हमें भारत के विकास को वैश्विक परिप्रेक्ष्य में देखना होगा, इसके लिए ये जरूरी है कि हम भारत के सामर्थ्य को समझें।

हमें अगले 50 वर्ष केवल राष्ट्र के लिए समर्पित करने होंगे- पीएम मोदी

स्वामी विवेकानंद ने 1897 में कहा था कि हमें अगले 50 वर्ष केवल और केवल राष्ट्र के लिए समर्पित करने होंगे। उनके इस आह्वान के ठीक 50 वर्ष बाद, 1947 में भारत आजाद हो गया। आज हमारे पास वैसा ही स्वर्णिम अवसर है। हम अगले 25 वर्ष केवल और केवल राष्ट्र के लिए समर्पित करें। हमारे ये प्रयास आने वाली पीढ़ियों और आने वाली शताब्दियों के लिए नए भारत की सुदृढ़ नींव बनकर अमर रहेंगे। मैं देश की ऊर्जा को देखकर ये कह सकता हूं कि लक्ष्य अब दूर नहीं है। आइए, तेज कदमों से चलें...मिलकर चलें, भारत को विकसित बनाएं।