PM Modi: लाओस की यात्रा पर पीएम मोदी, 21वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन में होंगे शामिल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार (10 अक्टूबर) को लाओस की दो दिवसीय दौरे पर रवाना हो गए हैं। पीएम मोदी इस दौरान 21वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन और 19वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में भी शामिल होंगे।

PM Modi: लाओस की यात्रा पर पीएम मोदी, 21वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन में होंगे शामिल

PM Modi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) गुरुवार (10 अक्टूबर) को लाओस (laos) की दो दिवसीय दौरे पर रवाना हो गए हैं। पीएम मोदी इस दौरान 21वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन (21st ASEAN-India Summit) और 19वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन (19th East Asia Summit) में भी शामिल होंगे। पीएम मोदी की यह यात्रा लाओ पीपुल्स डेमोक्रेटिक रिपब्लिक (Lao People's Democratic Republic) के प्रधानमंत्री सोनेक्से सिफांडोन (Prime Minister Sonex Sifandon) के विशेष निमंत्रण पर हो रही है। लाओस (laos) 21वें आसियान सम्मेलन (21st ASEAN Summit) की अध्यक्षता कर रहा है। आसियान-भारत शिखर सम्‍मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) 10वीं बार हिस्‍सा लेंगे। वह आसियान देशों के अन्‍य शासनाध्‍यक्षों के साथ भारत और आसियान के बीच रिश्तों की प्रगति की समीक्षा और परस्‍पर संबंधों की दिशा भी तय करेंगे। 

कई नेताओं के साथ होंगी द्विपक्षीय बैठकें

पीएम मोदी ने लाओस दौरे पर रवाना होने से पहले एक्स पर पोस्ट कर कहा कि 21वें आसियान-भारत और 19वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए लाओ पीडीआर के लिए रवाना हो रहा हूं। यह एक विशेष वर्ष है क्योंकि हम अपनी एक्ट ईस्ट नीति के एक दशक पूरे कर रहे हैं, जिसके कारण हमारे देश को काफी फायदा हुआ है। इस यात्रा के दौरान दुनिया भर के नेताओं के साथ विभिन्न द्विपक्षीय बैठकें और बातचीत भी होंगी।

क्या है एक्ट ईस्ट नीति

एक्ट ईस्ट नीति का उद्देश्य द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और बहुपक्षीय स्तरों पर निरंतर संपर्क के माध्यम से आर्थिक सहयोग, सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ावा देना और हिंद-प्रशांत क्षेत्र के देशों के साथ रणनीतिक संबंधों को विकसित करना है। ऐसा होने से राजनीतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और लोगों के आपसी संबंध समेत व्यापक अर्थों में बेहतर कनेक्टिविटी दी की जा सकेगी।

देशों के राष्ट्राध्यक्षों के साथ हो सकती है द्विपक्षीय बैठक

21वें आसियान-भारत (21st ASEAN-India) और 19वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन (19th East Asia Summit) के बाद पीएम मोदी कई देशों के राष्ट्राध्यक्षों के साथ द्विपक्षीय बैठक भी कर सकते हैं। 

आसियान में 10 देश और आठ भागीदार

बता दें कि दक्षिण-पूर्व एशियाई राष्ट्र संघ (Association of Southeast Asian Nations) यानी आसियान में 10 देश और आठ भागीदार है। इसमें भारत के साथ लाओ पीडीआर, इंडोनेशिया., मलयेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड, वियतनाम, कंबोडिया और ब्रुनेई दारएस्सलाम शामिल हैं। वर्तमान में इसका अध्यक्ष लाओ पीडीआर है। वहीं 8 भागीदार ऑस्ट्रेलिया, चीन, जापान, कोरिया गणराज्य, न्यूजीलैंड, रूस और संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल हैं। वहीं पर्यवेक्षक के रूप में तिमोर-लेस्ते भी इस सम्मेलन में शामिल होगा। आसियान का गठन साल 2005 में हुआ था।. इसके गठन का उद्देश्य क्षेत्र में रणनीतिक विश्वास का निर्माण करना, शांति और स्थिरता समेत समृद्धि को बढ़ावा देना था।

लाओस रणनीतिक रूप से भारत के लिए क्यों इतना जरूरी 

लाओस की कुल आबादी 77 लाख के करीब है। लेकिन यह दक्षिण पूर्व एशिया में अकेला लैंडलॉक देश है। लाओस की सीमा उत्तर-पश्चिम में म्यांमार और चीन, पूर्व में वियतनाम, दक्षिण-पूर्व में कंबोडिया और पश्चिम और दक्षिण-पश्चिम में थाईलैंड से लगती है। चीन और म्यांमार से घिरे होने के कारण भारत के लिए इस देश का रणनीतिक काफी महत्व बढ़ जाता है। 

1953 में लाओस को मिली थी आजादी  

दरअसल, दक्षिण पूर्व एशिया में अपनी भौगोलिक स्थिति के कारण, लाओस हमेशा से व्यापारिक क्षेत्र में भी अहम रहा है। यही कारण है कि इसपर कभी फ्रांस ने तो कभी जापान ने कब्जा जमाया था। 1953 में लाओस को आजादी मिली थी। इसके बाद ही पड़ोसी देश चीन ने भी लाओस में अपना प्रभाव जमाना शुरू किया। भारत और लाओस के बीच संबंध फरवरी 1956 में स्थापित हुए थे। भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने 1954 में लाओस का दौरा किया था, जबकि भारत के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने 1956 में लाओस गए थे। दक्षिण चीन सागर में चीन की बढ़ती विस्तारवादी नीतियों के चलते भारत लाओस को रणनीतिक रूप से काफी महत्वपूर्ण मानता है।