Nirmala Sitharaman: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के खिलाफ दर्ज होगी FIR, बेंगलुरु कोर्ट ने दिये आदेश
बेंगलुरु की एक स्पेशल कोर्ट ने 27 सितंबर को केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पर इलेक्टोरल बॉन्ड्स के जरिए जबरन वसूली का आरोप लगाया गया है।
Nirmala Sitharaman: बेंगलुरु की एक स्पेशल कोर्ट (special court in Bengaluru) ने 27 सितंबर को केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण (Union Minister Nirmala Sitharaman) के खिलाफ एफआईआर (FIR) दर्ज करने का आदेश दिया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) पर इलेक्टोरल बॉन्ड्स (electoral bonds) के जरिए जबरन वसूली का आरोप लगाया गया है।
42वीं ACMM कोर्ट ने FIR दर्ज करने के दिये आदेश
जनाधिकार संघर्ष संगठन (People's Rights Struggle Organization) के आदर्श अय्यर ने बेंगलुरु की एक कोर्ट में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Union Finance Minister Nirmala Sitharaman) और अन्य के खिलाफ एक निजी शिकायत (पीसीआर) दर्ज कराई थी। अय्यर ने आरोप लगाया था कि चुनावी बॉन्ड के जरिए जबरन वसूली की गई थी। याचिकाकर्ता ने कोर्ट से निर्मला सीतारमण और अन्य के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश देने की मांग की थी। वहीं आदर्श अय्यर की याचिका पर सुनवाई करते हुए 42वीं एसीएमएम कोर्ट (42nd ACMM Court) ने बेंगलुरु के तिलक नगर पुलिस स्टेशन (Tilak Nagar Police Station, Bengaluru) को केस दर्ज करने का आदेश दिया है। वहीं, अब केस की अगली सुनवाई 10 अक्टूबर को होगी।
जनाधिकार संघर्ष परिषद ने अप्रैल में की थी शिकायत
बता दें कि जनाधिकार संघर्ष परिषद (People's Rights Struggle Council) के आदर्श अय्यर ने अप्रैल 2024 में 42वीं एसीएमएम कोर्ट में एक याचिका दाखिल कर केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, ईडी अधिकारियों, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, बीजेपी के राष्ट्रीय नेताओं, तत्कालीन बीजेपी कर्नाटक अध्यक्ष नलिन कुमार कटील, बीवाई विजयेंद्र के खिलाफ शिकायत की थी। इस याचिका पर पर कोर्ट ने शुक्रवार (27 सितंबर) को सुनवाई की।
चुनावी बॉन्ड के जरिए करोड़ों रुपए वसूले
जानकारी के मुताबिक, याचिका में कहा गया है कि अप्रैल 2019 से अगस्त 2022 तक बिजनेसमैन अनिल अग्रवाल की फर्म से लगभग 230 करोड़ रुपए और अरबिंदो फार्मेसी से 49 करोड़ रुपए चुनावी बॉन्ड के माध्यम से वसूले गए।
केंद्र ने 2018 में शुरू की थी चुनावी बॉन्ड स्कीम
बता दें कि केंद्र सरकार ने 2018 में चुनावी बॉन्ड योजना की शुरुआत की थी और इसका उद्देश्य राजनीतिक दलों को दिए जाने वाले नकद दान या चंदे का स्थान लेना था, ताकि राजनीतिक फंडिंग की पारदर्शिता में सुधार हो सके। चुनावी बॉन्ड के जरिए राजनीतिक दलों को चंदा दिया जाता था लेकिन इसका खुलासा नहीं किया जाता था। हालांकि, बाद में विपक्ष के आरोपों और दायर याचिका के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट ने इसे रद्द कर दिया था।
बॉन्ड की गोपनीयता बनाए रखना असंवैधानिक- SC
15 फरवरी 2024 को मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक फंडिंग के लिए इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी थी। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा था कि यह स्कीम असंवैधानिक है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा था कि बॉन्ड की गोपनीयता बनाए रखना असंवैधानिक है। यह स्कीम सूचना के अधिकार का उल्लंघन है।
इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम वापस लाएंगे- वित्त मंत्री
वहीं लोकसभा चुनाव (Lok Sabha elections) से पहले केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बॉन्ड स्कीम को दोबारा लाने का संकेत दिया था। निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने एक इंटरव्यू में कहा था कि अगर हम सत्ता में आए तो इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम (Electoral Bond Scheme) को फिर से वापस लाएंगे। इसके लिए पहले बड़े पैमाने पर सुझाव लिए जाएंगे।