Hardeep Singh Nijjar Killing: जानिए कौन था हरदीप सिंह निज्जर, कैसे पहुंचा कनाडा
Hardeep Singh Nijjar Killing: कुछ दिनों पहले कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भारत सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि ब्रिटिश कोलंबिया में सिख अलगाववादी की हत्या में भारतीय एजेंटो का हाथ है।
Hardeep Singh Nijjar Killing: कनाडा (Cananda) में सिख अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर (Hardeep Singh Nijjar) की हत्या के बाद से कूटनीतिक चहलकदमी बढ़ गई है। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो (Prime Minister Justin Trudeau) ने आरोप लगाया था कि इस हत्या में भारतीय एजेंटो का हाथ है। जहां एक तरफ कनाडा (Canada) ने भारतीय राजदूत को तलब कर वापस भेज दिया है। तो वहीं दूसरी ओर भारत (India) ने भी कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कनाडा (Canada) के राजदूत कैमरून मकाय (Cameron Mackay) को तलब कर 5 दिनों के भीतर देश छोड़ने का आदेश जारी कर दिया है।
बता दें इस गर्मी में ही कनाडा (Canada) के ब्रिटिश कोलंबिया (British Columbia) में इस हत्या के बाद से ही अचानक कनाडा और भारत के बीच एक बड़ा राजनयिक विवाद शुरु हो गया था। बता दें कि हरदीप सिंह स्वतंत्र (Hardeep Singh Nijjar) राष्ट्र खालिस्तान की मांग करने वालों का एक प्रमुख समर्थक व लीडर था। कनाडा (Canada) में खालिस्तान (Khalistan) की मांग करने वाले लोगों ने कुछ दिनों पहले इसका नक्शा भी जारी किया था। जिसमें भारत के पंजाब, हरियाणा, और राजस्थान के कुछ हिस्से शामिल किए गए थे। एक रिपोर्ट के अनुसार, 45 वर्षीय हरदीप सिंह निज्जर (Hardip Singh Nijjar) 1990 के दशक के आस-पास कनाडा चले गया था। जहां उसने कनाडा सरकार से बतौर शरणार्थी शरण मांगी थी।
हालांकि, भारत सरकार के लिए वह कथित तौर पर खालिस्तान टाइगर फोर्स (Khalistan Tiger Force) का सदस्य और प्रमुख था। जिसे भारत सरकार ने एक आतंकवादी समूह के रूप में नामित किया हुआ था। साल 1997 में वह भारत से भाग कर कनाडा चला गया। लेकिन यहां भी सरकार ने उसे शरण देने से इंकार कर दिया क्योंकि उसने अपने पासपोर्ट में अपना नाम रवि शर्मा लिख रखा था। पासपोर्ट की गड़बड़ी का हवाला देकर उस वक्त की कनाडा सरकार ने निज्जर को नागरिकता देने से इंकार कर दिया था। 9 जून 1998 को उसने एक एफिडेविट (Affidavit) में लिखा था कि “मेरा जीवन खतरे में पड़ जाएगा अगर मैं अपने देश वापस गया”।
नागरिकता लेने के लिए अपनाए तमाम पैंतरे
नागरिकता के रिजेक्ट होने के करीब 11 दिन बाद निज्जर ने वहां ही एक औरत से शादी कर ली। इस प्रयास में कि उसे अब आसानी से नागरिकता मिल जाएगी। नागरिकता देने से पहले एक आवेदन पत्र पर भी उससे पूछा गया कि क्या वह किसी ऐसे समूह से जुड़े हैं जो "राजनीतिक, धार्मिक या सामाजिक उद्देश्यों तक पहुंचने के लिए किसी तरह के सशस्त्र संघर्ष या हिंसा" का इस्तेमाल करता था या उसकी वकालत करता था। तब उसने ऐसी किसी भी संभावना के होने से इंकार कर दिया था। हालांकि, जानबूझ कर एक उद्देश्य के रूप में इस शादी को मानकर निज्जर के सारे आवेदन को खारिज कर दिया गया। निज्जर ने अदालतों में अपील भी की लेकिन वह 2001 में हार गया। हालांकि, 12 सितंबर 2023 को कनाडा के इमीग्रेशन मिनिस्टर ने कहा कि मार्क मिलर ने इस बात की पुष्टी की कि हरदीप सिंह निज्जर (Hardip Singh Nijjar) को कनाडा की नागरिकता 3 मार्च 2015 को ही दी जा चुकि थी।
प्लंबिंग के बिजनेस से की थी शुरुआत
निज्जर ने सरे ब्रिटिश कोलंबिया (British Columbia) में एक प्लंबिंग के बिजनेस से शुरुआत की थी। धीरे-धीरे वह कनाडा से ही अपना खालिस्तान (Khalistan) का एजेंडा चलाने लगा। जिसे उसने खालिस्तान (Khalistan)में रह रही सिख कम्यूनिटी तक फैलाया और लोगों को साथ लाना शुरु कर दिया।
उसने दुनिया भर में कई देशों की यात्रा की और खालिस्तान पर जनमत संग्रह (Referendum) करवाने की जोर-शोर से अपील की। 2016 में इंटरपोल (Interpol) ने एक नोटिस जारी कर 2007 में पंजाब के एक सिनेमाघर में हुए बम विस्फोट में शामिल होने का आरोप भी निज्जर पर ही लगाया गया था। जिसे बाद में उसने सिरे से नकार दिया। आपको बता दें इसी साल 18 मई को हरदीप सिंह निज्जर की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।