Hajj Yatra Death: हज यात्रा पर गए 900 लोगों की हुई मौत, 68 भारतीय शामिल

हज यात्रा दुनिया भर के मुसलमानों के लिए धार्मिक यात्रा है एक फर्ज है। ये वो जगह है जहां लोग दीन-दुनिया की तरक्की और अपनी खुशहाली के लिए दुआ मांगने जाते हैं। लेकिन इस साल यहां 577 लोगों ने अपनी जान गंवा दी।

Hajj Yatra Death: हज यात्रा पर गए 900 लोगों की हुई मौत,  68 भारतीय शामिल

Hajj Yatra Death: इस्लाम में 5 फर्ज में से एक फर्ज हज है। मान्यताओं के हिसाब से हर मुस्लिम व्यक्ति को जीवन में कम से कम एक बार इस फर्ज को पूरा करना ही होता है। इस्लाम के अनुयायियों के मुताबिक साल 628 में पैगंबर मोहम्मद ने अपने 1400 शिष्यों के साथ एक यात्रा शुरू की थी। ये इस्लाम की पहली तीर्थयात्रा बनी और इसी यात्रा में पैगंबर इब्राहिम (prophet ibrahim) की धार्मिक परंपरा को फिर से स्थापित किया गया। इसी को हज कहा जाता है। हर साल दुनियाभर के मुस्लिम सऊदी अरब के मक्का में हज के लिए जाते हैं। इस यात्रा में कुल पांच दिन लगते हैं और ये ईद उल अजहा यानी बकरीद के साथ पूरी हो जाती है। 

हज यात्रा में 900 लोगों की हुई मौत

हज यात्रा दुनिया भर के मुसलमानों के लिए धार्मिक यात्रा है एक फर्ज है। ये वो जगह है जहां लोग दीन-दुनिया की तरक्की और अपनी खुशहाली के लिए दुआ मांगने जाते हैं। लेकिन इस साल यहां 900 लोगों ने अपनी जान गंवा दी। मक्का में हुई इतने लोगों की मौत की वजह क्या है और कितने यात्री इस बार हज करने मक्का पहुंचे, साउदी सरकार(saudi government)  का इस पर क्या कहना है। ये सब कुछ जानेंगे। 

क्या है हज यात्रा

हज यात्रा वो यात्रा है जिसपर सारी दुनिया के मुसलमान जाना चाहते हैं। ये यात्रा साउदी अरब के मक्का में होती है। मुसलमानों के बीच मान्यता है कि जिंदगी में उन्हें एक बार हज पर जरूर जाना चाहिए। उसके पीछे का कारण ये है कि ये कलमा, नमाज, दान और रोजे के बाद इस्लाम के पांच पिलर्स में से एक है यानी पांचवा हज ही है। हमेशा की तरह हज पर जाने से पहले दुनिया भर के मुसलमान रिश्ते दारों से मिलते हैं खुशियां मनाते हैं, फिर हज का रुख करते हैं इस बार भी करीब 18 लाख मुसलमानों ने ऐसा ही किया। इसमें से करीब 16 लाख लोग दूसरे देशों से थे और 1 लाख 75 हजार भारतीय थे। 14 जून से 19 जून तक इन सभी यात्रियों को यात्रा करनी थी। यात्रा करने के लिए सभी मक्का के काबा पहुंचे, काबा  वो इमारत है जिसकी तरफ मुंह करके सभी मुसलमान नमाज़ पड़ते हैं। इस बार भी ऐसा ही होना था लेकिन स्थितियां कुछ सामान्य नहीं थीं। इस बार हज यात्रा करने गए 900 लोगों को अपनी जान गवानी पड़ी, जिनमें 68 भारतीय थे। इनकी मौत के पीछे का कारण भीषण गर्मी को बताया जा रहा है।  मृतकों में कई बुजुर्ग तीर्थयात्री भी शामिल हैं। हालांकि सऊदी अरब ने हीट स्ट्रोक के कारण मरने वालों के आंकड़े पर अभी तक कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की है। 

सबसे ज्यादा हैं मिस्र के नागरिक 

समाचार एजेंसी AFP के मुताबिक ज्यादातर मौतें गर्मी की वजह से बीमार पड़ने के चलते हुई हैं। जिन लोगों की मौत हुई है उनमें सबसे ज्यादा 323 नागरिक मिस्र के, 144 इंडोनेशिया के, 68 भारत के और 60 जॉर्डन के हैं। इसके अलावा ईरान, ट्यूनीशिया और सेनेगल के हज यात्रियों की भी मौत हुई है।
वहीं बात भारत की करें तो हज कमेटी ऑफ इंडिया के मुताबिक, इस साल सबसे ज्यादा 1,75,000 भारतीय हज यात्रा के लिए मक्का गए थे। जिनका अपडेट भारत सरकार लगातार साउदी अरब से ले रही है। 


वहीं मिस्र के विदेश मंत्री ने मंगलवार को कहा कि वे सऊदी के अधिकारियों के साथ मिलकर लापता लोगों को खोजने के लिए ऑपरेशन चला रहे हैं। सऊदी अरब ने बताया कि गर्मी की वजह से बीमार हुए करीब 2 हजार हज यात्रियों का इलाज भी करवाया जा रहा है।

पिछले साल भी हुई थी लोगों की मौत 

पिछले साल हज पर गए 240 हज यात्रियों की मौत हुई थी। इनमें से ज्यादातर इंडोनेशिया के थे। सऊदी ने सभी यात्रियों को छाते इस्तेमाल करने की सलाह दी है। इसके अलावा उन्हें लगातार पानी पीने और धूप से बचने के लिए कहा जा रहा है।
हालांकि माउंट अराफात की इबादत के साथ हज के ज्यादातर रिवाज दिन में किए जाते हैं। और दिन में ही धूप भी ज्यादा होती है। इसके लिए हज यात्रियों को लंबे समय तक बाहर धूप में रहना पड़ता है। कुछ हज यात्रियों ने बताया कि हज के दौरान अक्सर उन्हें सड़क के किनारे बीमार यात्री नजर आते हैं। कई लोगों की मौत हो चुकी होती है। इसी के चलते हज के रास्ते पर लगातार एंबुलेंस का जमावड़ा लगा ही रहता है।