Fake visa- passport accused arrested: केरल से फर्जी वीजा रैकेट के पीछे के मास्टरमाइंड की हुई गिरफ्तारी

फर्जी वीजा रैकेट के पीछे के मास्टरमाइंड की गिरफ्तारी दो साल बाद हुई, जब आईजीआई एयरपोर्ट पुलिस ने 2019 में फर्जी स्पेन वीजा पर यात्रा कर रहे दो एजेंटों और एक यात्री को गिरफ्तार किया था।

Fake visa- passport accused arrested: केरल से फर्जी वीजा रैकेट के पीछे के मास्टरमाइंड की हुई गिरफ्तारी

Fake visa and passport accused arrested: दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी ने सोमवार को कहा कि फर्जी वीजा और पासपोर्ट (Fake Visa and Passport) पर विदेश भेजने के नाम पर लोगों को कथित तौर पर ठगने के आरोप में 49 वर्षीय एक व्यक्ति को केरल (keral) से गिरफ्तार किया गया है। आरोपी की पहचान केरल के जिला मलप्पुरम निवासी मुजीब पीपी. के रूप में की गई और आरोपी के खिलाफ गैर-जमानती वारंट भी जारी किया गया था।

दो साल बाद हुई गिरफ्तारी 

फर्जी वीजा रैकेट के पीछे के मास्टरमाइंड की गिरफ्तारी दो साल बाद हुई, जब आईजीआई एयरपोर्ट पुलिस ने 2019 में फर्जी स्पेन वीजा पर यात्रा कर रहे दो एजेंटों और एक यात्री को गिरफ्तार किया था।

पुलिस उपायुक्त (आईजीआई) उषा रंगनानी ने कहा, ''2019 में एक मामला दर्ज किया गया था, जिसमें यह आरोप लगाया गया था कि 29 अगस्त, 2026 तक वैध पासपोर्ट रखने वाले राजस्थान, जोधपुर के विशाल खुल्ला को 2 मार्च, 2019 से 2 अप्रैल, 2019 तक वैध शेंगेन वीजा के आधार पर मैड्रिड (स्पेन) के लिए प्रस्थान आव्रजन मंजूरी दी गई थी। बाद में, बोर्डिंग गेट पर यात्री के यात्रा दस्तावेजों की जांच के दौरान, उसके पासपोर्ट पर चिपकाए गए उपरोक्त शेंगेन वीज़ा स्टिकर को एयर इंडिया सुरक्षा कर्मचारियों द्वारा नकली पाया गया।''

इसके बाद, नई दिल्ली स्थित जर्मनी के संघीय गणराज्य के दूतावास में सुरक्षा, जांच और धोखाधड़ी रोकथाम सेल (एनआर), एयर इंडिया और जर्मन एएलओ द्वारा वीजा के नकली होने की पुष्टि की गई। मामले की जांच के दौरान मुजीब पीपी. के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया गया था और उसे हाल ही में उसके पैतृक स्थान कुट्टीपुरम, जिला मलप्पुरम से गिरफ्तार किया गया था।

डीसीपी ने कही ये बात 

डीसीपी ने कहा, "उसे केरल के मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया और ट्रांजिट रिमांड पर दिल्ली लाया गया और एक दिन की पुलिस हिरासत रिमांड हासिल की गई है।" पूछताछ में आरोपी ने खुलासा किया कि वह अन्य एजेंटों के साथ कमीशन के आधार पर काम कर रहा था। डीसीपी ने कहा, ''उसे प्रत्येक टारगेट के लिए 50,000 रुपये मिलते थे।

उसने अपना अपराध स्वीकार किया और खुलासा किया कि उसने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर आसान पैसा कमाने के लिए लोगों को धोखा देना शुरू कर दिया ताकि एक शानदार जीवन शैली के लिए अपने खर्चों को पूरा किया जा सके।'' अधिकारी ने कहा, "उसके बैंक खातों की जांच करने और इसी तरह की अन्य शिकायतों में उनकी संभावित संलिप्तता का पता लगाने के लिए और प्रयास किए जा रहे हैं।"