BJP election strategy: 2024 के लिए भाजपा के सेनानायक तैनात , इस बार अगड़ों के साथ पिछड़ों को भी तहरीज दी है
BJP election strategy: 2024 का किला फतह करने के लिए बीजेपी ने अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं। जिसके तहत शुक्रवार को उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी ने बड़ा बदलाव करते जिलाअध्यक्षों के रूप में सेनानायकों की नई टीम तैयार कर दी है
BJP election strategy: 2024 का किला फतह करने के लिए बीजेपी ने अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं। जिसके तहत शुक्रवार को उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने बड़ा बदलाव करते जिलाअध्यक्षों के रूप में सेनानायकों की नई टीम तैयार कर दी है। चुनाव से ठीक 6 महीने पहले संगठन में बदलाव को कई नजरिए से अहम माना जा रहा है। जिलाअध्यक्षों की जारी सूची में अगड़ों के साथ-साथ पिछड़ों को भी तवज्जो दी गई है। इस लिस्ट से भाजपा (Bharatiya Janata Party) ने सामाजिक संतुलन को साधने का प्रयास किया है।
भाजपा का सभी 80 सीटों पर जीत का लक्ष्य
इस बार लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2024) में भाजपा ने 60 फीसदी वोटों के साथ सभी 80 सीटें जीतने का लक्ष्य बनाया है। पार्टी ने अपने इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए 2 महीने के मनथन के बाद जिलाध्यक्षों (BJP District President) की नई टीम तैयार की है। यूपी में भाजपा अपने नए सेनानायकों के साथ 2024 लोकसभा चुनाव के रण में उतरने का फैसला किया है। भारतीय जनता पार्टी की इसी टीम के ऊपर लोकसभा चुनाव का पूरा दारोमदार होगा। बीजेपी ने प्रदेश में जातिगत और सामाजिक समिकरण को देखते हुए जिलाध्यक्षों की न्युक्ति की है, जिससे वोटरों को आसानी से साधा जा सके।
अगड़ी जातियों को दी तहरीज
भारतीय जनता पार्टी ने प्रदेश के सभी 98 जिलाध्यक्षों की सूची में 57 अगड़ी जातियों के लोगों को शामिल किया है। जिसमें ब्राह्मण समाज को ज्यादा तहरीज देते हुए 21 जिलाध्यक्ष, ठाकुर समाज से 29, वैश्य समाज से 8, कायस्थ समाज से 5 और भूमिहार समाज के 3 जिलाध्यक्ष बनाए गए हैं। वहीं पिछड़ा वर्ग से कुल मिलाकर 36 लोगों को जिलों की कमान सौंपी गई है। इसमें पार्टी ने अपने परंपरागत जाट, गुर्जर, कुर्मी, सैनी, मौर्य, शाक्य, कुशवाहा, लोधी और पाल समाज को पूरा मौका दिया है। वहीं दलित वर्ग की बात करें तो पार्टी ने सिर्फ पांच जिलों की कमान दलित वर्ग को दी है।
महिलाओं और दलितों की संख्या कम
भाजपा ने 2024 की रणनीति तैयार करने में पूरा जोर लगा दिया है। पार्टी सभी को साथ लेकर चलने की बात कर रही है लेकिन इस लिस्ट में 22 फीसदी आबादी को कम तहरीज देते हुए सिर्फ 5 दलित जिलाध्यक्षों को कमान सौंपी है। वहीं महिलाओं की बात करें तो उनको भी 5 फीसदी से कम का प्रतिनिधित्व दिया है। पार्टी ने सिर्फ 4 महिलाओं को जिले की कमान दी है। अगर निवर्तमान जिलाध्यक्षों की बात करें तो उनमें केवल 3 ही महिलाएं थी।
राजभर और निषाद समाज को भी नहीं मिली जगह
भाजपा के द्वारा जारी जिलाध्यक्षों की लिस्ट में राजभर और निषाद समाज से भी किसी को जगह नहीं दी गई है। जबकी इन दोनों समाज के वोटों को साधने के लिए पार्टी ने ओम प्रकाश राजभर की सुभासपा और संजनिषाद की निषाद पार्टी से गठबंधन कर रखा है।
मोदी और योगी के साथ इस क्षेत्र में नहीं किया गाया बदलाव
बीजेपी के यूपी में बदलाव की बयार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी और सीएम योगी के क्षेत्र गोरखपुर में कोई बदलाव नहीं किया गया। साथ ही राज्यमंत्री एसपी सिंह बघेल के संसदीय क्षेत्र आगरा में महानगर और जिला के अध्यक्ष नहीं बदले गए हैं।
जोखिम भरा काम
राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो चुनाव से ठी 6 महीने पहले इतने बड़ा बदलाव करके भारतीय जनता पार्टी ने जोखिम भरा काम किया है। पार्टी ने ऐसे भी कई नेतोओं को मौका दिया है, जो पहले भी जिलाध्यक्ष रह चुके हैं। इनमें पश्चिमी यूपी में सुधीर सैनी, वेदपाल उपाध्याय, सुरेश जैन (ऋतुराज) और शिव कुमार राणा जैसे नेताओं की टीम में फिर से वापसी हुई है।