Ayodhya Ram Mandir: राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा- ‘भगवान किसी एक के नहीं, सबके हैं’
मंदिर की पूजा समेत कई मुद्दों को लेकर पुजारी सत्येंद्र दास ने बातचीत की। उन्होंने कहा कि भगवान किसी एक के नहीं हैं, सबके हैं। भगवान कोई एक पार्टी के नहीं हैं। इसलिए यदि भगवान में श्रद्धा विश्वास है, उसी के भगवान हैं।
Ayodhya Ram Mandir: आचार्य सत्येंद्र दास (Acharya Satyendra Das) राम जन्मभूमि (Ram Janmabhoomi) के मुख्य पुजारी हैं। वे बचपन से ही अयोध्या में रहे है। आचार्य सत्येंद्र दास लगभग 32 साल से रामलला मंदिर से जुड़े हुए हैं। वे 1992 में बाबरी विध्वंस (Babri demolition) से पहले से ही इसी मंदिर में पूजा अर्चना कर रहे हैं। वे अब भी राम मंदिर के मुख्य पुजारी हैं। उनका कहना है कि भगवान किसी एक पार्टी के नहीं, बल्कि सभी के हैं।
भगवान किसी एक पार्टी के नहीं हैं- आचार्य सत्येंद्र दास
मंदिर की पूजा समेत कई मुद्दों को लेकर पुजारी सत्येंद्र दास ने बातचीत की। उन्होंने कहा कि भगवान किसी एक के नहीं हैं, सबके हैं। भगवान कोई एक पार्टी के नहीं हैं। इसलिए यदि भगवान में श्रद्धा विश्वास है, उसी के भगवान हैं। यह राजनीति (Politics) से परे है और इसमें जिसका विश्वास, जिसकी श्रद्धा होगी, वही पूजा अर्चना करेगा। जा पर कृपा राम की होई ता पर कृपा करैं सब कोई, इसे उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए दर्शन करें और उनको ईश्वर के रूप में मान्यता दें और उससे आपको लाभ होगा और यदि नहीं ऐसा करते हैं तो कोई बात नहीं, उनको अपने ढंग से अपना काम करने दें।
राम मंदिर में शिवसेना सहयोगी रही- आचार्य सत्येंद्र दास
शिवसेना और कांग्रेस को लेकर आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा कि हम यह बात कहते हैं कि राम मंदिर में शिवसेना सहयोगी रही है। लेकिन कांग्रेस तो कभी सहयोगी नहीं रही है। बल्कि वह श्रीराम विरोधी रही है। शिवसेना (Shiv Sena) उस समय से साथ रही जब बाल ठाकरे थे। उनकी बहुत श्रद्धा और विश्वास रहा। आचार्य ने कहा कि कारसे वा के समय जब विवादित ढांचा गिरा तब भी शिवसेना के लोग शामिल रहे। शिवसेना को उसी रूप में मानना चाहिए जिस रूप में बाल ठाकरे मानते रहे और उनकी परंपरा को निर्वहन करें। भगवान को ईष्टदेव मानते रहें, भगवान का सम्मान करते रहें। विशेषकर उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) को भी वही पालन करना चाहिए। कांग्रेस के लोग भगवान राम के दर्शन करने आए थे, इस पर उन्होंने कहा कि आएंगे नहीं आएंगे। देखिए भगवान कहते हैं मोहे कपट छल छिद्र भाव से जो आते हैं, उनका कोई महत्व नहीं हैं। जो समर्पित होके आएंगे, उन्हीं को फल मिलेगा और उन्हीं को मान्यता मिलेगी।
‘चयनित पुजारियों को दिया जा रहा प्रशिक्षण’
श्रीरामलला के अस्थाई मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा कि अभी नवनिर्मित मंदिर के पुजारियों की नियुक्ति नहीं हुई है। यह श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र को करना है। हां, यह जरूर बता सकता हूं कि कुछ चयनित पुजारियों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। प्रशिक्षण पर उन्होंने कहा कि सनातन में अनेक पंथ हैं। सबकी अपनी-अपनी पूजा पद्धतियां हैं। शैव की अलग है, वैष्णव की अलग और शाक्त की अलग है। नाथपंथियों की व्यवस्था भी अलग है। इनकी पूजा पद्धतियों की जानकारियां सबको होती है। श्रीरामलला के पूजन अर्चन के लिए भी प्रशिक्षण दिया जा रहा है। श्रीरामलला का मंदिर रामानंदी वैष्णव परंपरा का मंदिर है। यहां इसी परंपरा के अनुसार पूजा होगी। चयनित पुजारियों को इसी तरह का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। रामलला के नए मंदिर में काफी प्रयोग हो रहे हैं। नए पुजारियों के प्रशिक्षण के बारे उन्होंने कहा कि अयोध्या में बने भव्य राम मंदिर में पूजा-अर्चना करने के लिए नए पुजारियों का चयन किया गया है। हाल ही में पूजा के लिए आवेदन जारी किये गए थे, जिसके बाद इनका चयन हुआ है। प्रशिक्षण बहुत जरूरी होता है। हर मंदिर में ऐसी व्यवस्था हो, जिसे पूजा अर्चना की जानकारी हो। रामलला के मुख्य पुजारी ने कहा कि अभी मंदिर में मैं और मेरे चार सहायक पुजारी हैं, अभी कितने और रखे जायेंगे, यह सब ट्रस्ट तय करेगा। इतने दिनों का विवाद चला आ रहा है, जिसका पटाक्षेप कोर्ट ने कर दिया।
‘प्राण प्रतिष्ठा के बाद खत्म हो जाएंगी समस्याएं’
अब आपको अयोध्या कैसी लग रही है, इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि 28 वर्ष तक रामलला तिरपाल में रहे अब वह समस्या खत्म हो गई है। अब भव्य मंदिर बन गया है। 22 तारीख को प्राण प्रतिष्ठा हो जाएगी। इसके बाद रामलला उसमें विराजमान हो जाएंगे। इसलिए जो समस्याएं थीं सब खत्म हैं। जो शंकाएं रहीं होंगी वह भी समाप्त हो गई। अब केवल रामलला की पूजा अर्चना हो और जो हमारे भक्तगण हैं वह उनके सुलभता से दर्शन करें।
पीएम मोदी ने अयोध्या के विकास में खास रुचि ली- सत्येंद्र दास
अयोध्या के विकास को लेकर उन्होंने कहा कि यहां बहुत अच्छा विकास हो रहा है। विशेषकर हमारे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ यहां बराबर आते रहते हैं। कम से कम 40 से 45 बार यहां आ चुके हैं और यहां समीक्षा करते हैं। इसीलिए काम और तेज हो रहा है। इसके पहले जितनी सरकारें थी, उसने इसे उपेक्षित रखा। अब अयोध्या नए ढंग से संवर रही है। पीएम मोदी ने भी यहां के विकास में खास रुचि ली है। उन्हीं के कारण यहां नया एयरपोर्ट बन गया। बस स्टेशन, रेलवे स्टेशन बन गया, सड़कें चौड़ी हो रही हैं। इस तरह से अयोध्या का बहुत अच्छा विकास हुआ है, जिससे अब जो लोग आते हैं, वे बहुत प्रसन्न होते हैं। अब यहां देश विदेश से लोग दर्शन के लिए आ सकते हैं। उन्हें अब कोई कोई समस्या नहीं होगी।
5 मार्च, 1992 से रामलला की पूजा कर रहे हैं आचार्य सत्येंद्र दास
बता दें कि 83 साल के सतेंद्रदास 1992 में बाबरी विध्वंस से करीब नौ माह पहले से पुजारी के तौर पर रामलला की पूजा करते आ रहे हैं। आचार्य सत्येंद्र दास 1975 में संस्कृत विद्यालय से आचार्य की डिग्री भी हासिल की थी। इसके बाद 1976 में उन्हें अयोध्या के संस्कृत महाविद्यालय में व्याकरण विभाग में सहायक अध्यापक की नौकरी मिल गई। विवादित ढांचा के विध्वंस से पहले 5 मार्च, 1992 को तत्कालीन रिसीवर ने मेरी पुजारी के तौर पर नियुक्ति की। शुरूआती दौर में केवल 100 रुपये मासिक पारिश्रमिक मिलता था, लेकिन पिछले कुछ साल पहले से बढ़ोत्तरी होनी शुरू हुई। पिछले साल तक केवल 12 हजार मासिक मानदेय मिल रहा था, लेकिन इस साल रिसीवर व अयोध्या के कमिश्नर ने और बढ़ा दिया है।