Indian criminal justice system: भारतीय क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम में होंगे बड़े बदलाव, उपराष्ट्रपति को भेजी रिपोर्ट

मई 2020 में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने तीन कानूनों में परिवर्तन सुझाने के लिए एक कमेटी का गठन किया था। इसके बाद अंग्रेजी हुकूमत में बने कानूनों को आज के समय अनुसार बनाने के लिए 4 साल का दौर चला।

Indian criminal justice system: भारतीय क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम में होंगे बड़े बदलाव, उपराष्ट्रपति को भेजी रिपोर्ट

Indian criminal justice system: भारत में अंग्रेजों के जमाने में बने कानूनों में अब बदलाव का समय आ गया है। इंडियन पैनल कोड (IPC), 1860 की जगह पर भारतीय न्याय संहिता, 2023, क्रिमिनल प्रोसीजर कोड (CRPC), 1898 की जगह अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 और इंडियन एविडेंस एक्ट, 1872 की जगह भारतीय साक्ष्य विधेयक, 2023 स्थापित होगा।

ये हो सकते हैं बदलाव

जानकारी के अनुसार, IPC की 511 धाराओं की जगह 356 धाराएं होंगी। जिसका मतलब है इंडियन पैनल कोड की 175 धाराओं में बदलाव होने को हैं, वहीं इसमें 8 नई धाराएं जोड़ी जा रही हैं और 22 धाराओं को खत्म किया जा सकता है। जबकि CRPC में 167 धाराओं की जगह 170 धाराएं होंगी। 23 धाराओं को बदला जा रहा है, 9 नई धाराएं जोड़ी जा रही और 9 धाराओं को खत्म किया जा रहा। वहीं किसी भी केस में अधिकतम 3 साल में फैसला होने की भी उम्मीद है।

पूर्व डीजीपी ने दी जानकारी

गृह मामलों की संसदीय स्थायी समिति के चेयरमैन, उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी और राज्यसभा सदस्य बृजलाल ने कानून व्यवस्था में किए जाने वाले बदलावों को लेकर उपराष्ट्रपति और राज्यसभा सभापति जगदीप धनखड़ को 3 रिपोर्ट सौंपी है। 

साल 2020 में दिए थे सुझाव

बता दें कि मई 2020 में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने तीन कानूनों में परिवर्तन सुझाने के लिए एक कमेटी का गठन किया था। इसके बाद अंग्रेजी हुकूमत में बने कानूनों को आज के समय अनुसार बनाने के लिए 4 साल का दौर चला। कानूनों में करने वाले बदलावों के लिए केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के जजों समेत सांसदों, मुख्यमंत्रियों, राज्यपालों और आम जनता से कानूनों को लेकर सुझाव मांगे थे। 

प्रधानमंत्री कर चुके हैं घोषणा

देश के क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम में होने वाले बदलावों के शुरुआती संकेत साल 2019 में मिले थे। जब पीएम मोदी ने कहा था कि, "अंग्रेजों के समय के बनाए गए जितने भी कानून जिस विभाग में हैं, उनको आज के समय के अनुरूप और भारतीय समाज के हित में बनाना चाहिए।"