Sonia Gandhi attacks PM Modi : सोनिया गांधी ने NEET पेपर ली और इमरजेंसी पर पीएम मोदी पर साधा निशाना

कांग्रेस संसदीय दल की नेता सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार पर बड़ा हमला बोला है। द हिंदू में लिखे अपने लेख में सोनिया गांधी ने NEET परीक्षा में धांधली को लेकर कहा, परीक्षा पर चर्चा करने वाले पीएम पेपर लीक पर चुप्पी साधे हुए हैं। इस परीक्षा ने देश भर के तमाम परिवारों को तबाह कर रखा है।

Sonia Gandhi attacks PM Modi : सोनिया गांधी ने NEET पेपर ली और इमरजेंसी पर पीएम मोदी पर साधा निशाना

Sonia Gandhi attacks PM Modi : कांग्रेस संसदीय दल की नेता सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार पर बड़ा हमला बोला है। द हिंदू में लिखे अपने लेख में सोनिया गांधी ने NEET परीक्षा में धांधली (NEEt exam paper leaked 2024) को लेकर कहा, परीक्षा पर चर्चा करने वाले पीएम (Prime Minister Narendra Modi) पेपर लीक पर चुप्पी साधे हुए हैं। इस परीक्षा ने देश भर के तमाम परिवारों को तबाह कर रखा है।

मोदी सरकार के प्रस्ताव को लेकर सोनिया गांधी दिया जवाब

लोकसभा में इमरजेंसी पर मोदी सरकार (Modi government) के प्रस्ताव को लेकर सोनिया गांधी (Leader of Congress Parliamentary Party) ने जवाब दिया। सोनिया ने कहा, 1977 के चुनाव में लोगों ने इमरजेंसी पर अपना फैसला सुना दिया, जिसे बेझिझक स्वीकार किया गया। लेकिन तीन सालों के भीतर कांग्रेस को इतना बड़ा बहुमत मिला, जिसे पीएम मोदी की पार्टी (BJP) अब तक हासिल नहीं कर पाई।

डिप्टी स्पीकर पद को लेकर विपक्ष की मांग को नहीं माना

सोनिया (Sonia Gandhi) ने कहा, "डिप्टी स्पीकर (lok sabha deputy speaker) पद को लेकर विपक्ष की मांग को मंजूर नहीं किया गया। पीएम, उनकी पपार्टी  द्वारा इमरजेंसी को खोद कर निकाला गया। इसमें स्पीकर (lok sabha speaker) भी शामिल थे, जिस पद को तटस्थता के लिए जाना जाता है। इन सब से आपसी सम्मान और एकसाथ की एक नई शुरुआत की उम्मीदें धुल गई हैं।"

सांप्रदायिक झूठी बातें फैलाई पीएम ने झूठी बातें फैलाई- सोनिया

सोनिया गांधी ने कहा, चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री (PM Modi) ने अपनी मर्यादा और जिम्मेदारी को नजरंदाज कर सांप्रदायिक झूठी बातें फैलाई।उनके शब्दों ने सामाजिक तानेबाने को काफी नुकसान पहुंचाया है। उन्होंने कहा, चुनाव नतीजे (lok sabha election 2024) पीएम मोदी के लिए निजी, राजनीतिक और नैतिक हार का संकेत है। जनादेश ने नफरत और विभाजनकारी राजनीति को खारिज किया है। वो आम सहमति का उपदेश देते हैं लेकिन टकराव को बढ़ावा देते हैं. लगता ही नहीं कि उन्होंने जनादेश को समझा है।