Paris Olympics 2024 : ओलंपिक 2024 इस बार कई मायनों में है खास,आईए जानते हैं ओलंपिक से जुड़े कुछ फैक्ट्स

ओलंपिक का 33वां संस्करण का आगाज आज यानी 26 जुलाई को होने जा रहा है। इस बार ओलंपिक का आयोजन फ्रांस की राजधानी पेरिस में हो रहा है। पेरिस ओलंपिक 2024 (Olympics 2024) कई मायनों में खास है।

Paris Olympics 2024 : ओलंपिक 2024 इस बार कई मायनों में है खास,आईए जानते हैं ओलंपिक से जुड़े कुछ फैक्ट्स

Paris Olympics 2024 : ओलंपिक का 33वां संस्करण (33rd olympic games) का आगाज आज यानी 26 जुलाई को होने जा रहा है। इस बार ओलंपिक का आयोजन फ्रांस की राजधानी (Capital of France) पेरिस में हो रहा है। पेरिस ओलंपिक 2024 (Olympics 2024) कई मायनों में खास है। 100 साल बाद ओलंपिक का आयोजन फिर से पेरिस में हो रहा है। इस बार पेरिस ओलंपिक में लगभग 10,500 एथलीट्स ने क्वालिफाई किया है। जिसमें सभी 32 खेलों के 329 इवेंट्स में अपना दमखम दिखाएंगे। हर बार ओलंपिक ओपनिंग सेरेमनी को स्टेडियम में होती थी, लेकिन इस बार यह ओपनिंग सेरेमनी किसी स्टेडियम में नहीं बल्कि पेरिस शहर के बीच से गुजरने वाली सीन नदी में आयोजित की जाएगी। जो अपने आप में एक अनोखा और ऐतिहासिक पल होने जा रहा है।

नीता अंबानी एक बार फिर से आईओसी की सदस्य चुनी गईं

इंटरनेशनल ओलंपिक कमेटी (International Olympic Committee) ने एक बार फिर नीता अंबानी में अपना भरोसा जताया है। नीता को सर्वसम्मति से दोबारा आईओसी की सदस्य चुन ली गई हैं। इस दौरान कुल 93 वोटर्स ने अपना वोट दिया और नीता अंबानी के पक्ष में सभी 93 वोट पड़े यानी पूरे 100 प्रतिशत। नीता अंबानी की लीडरशिप में ही पहली बार ओलंपिक में इंडिया हाउस बनाया गया है। जो पेरिस ओलंपिक में भारतीय खिलाड़ियों, समर्थकों और दर्शकों के लिए भारत से दूर एक घर की तरह है। 2016 में रियो डी जेनेरियो ओलंपिक खेलों में नीता अंबानी पहली बार आईओसी सदस्य चुनी गई थीं। बता दें इस बार शरद कमल (Sharath Kamal) और पीवी सिंधु (PV Sindhu)  2024 के ओलंपिक के ध्वज वाहक होगें।

ओलंपिक के 5 रिंग का मतलब और महत्व 

ओलिंपिक के बारे में जब भी कोई खबर आती है या उसे प्रदर्शित करना होता है तो इसके लिए पांच रंगों के छल्ले का उपयोग किया जाता है। नीला, पीला, काला, हरा, लाल दरअसल ये है वो पांच रंग। बता दें कि, ये ओलंपिक खेलों के चिन्ह होते है। ओलंपिक की ये पांच रिंग दुनिया के पांच मुख्य महाद्वीपों को दर्शाते हैं। इनमें एशिया, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, यूरोप और अफ्रीका शामिल हैं। आपको बता दें कि, ओलंपिक की इन पांच रिंग को पियरे डी कुबर्तिन ने बनाया था। इतना ही नहीं पियरे डी कुबर्तिन को ओलंपिक खेलों के सह-संस्थापक के नाम से भी जाना जाता है। इन पांच रिंग का डिजाइन वर्ष 1912 में किया था। हालांकि इन्हें सार्वजानिक रूप से वर्ष 1913 में स्वीकार किया गया था। अगर अलग- अलग कलर के तौर पर देखें तो पीला रंग एशिया के लिए, नीला रंग यूरोप के लिए, काला रंग अफ्रिका के लिए तो वहीं हरा रंग ऑस्ट्रेलिया के लिए और लाल रंग अमेरिका का प्रतीक होता है।


ओलंपिक मेडल को खिलाड़ी दांत से क्यों काटते हैं 

स्वर्ण पदक जीतने वाले खिलाड़ी अक्सर अपने पदक को  दांतों से काटते है। दरअसल, इसके पीछे कोई अंतरराष्ट्रीय खेल स्पर्धाओं की परंपरा नहीं है और न ही ओलिंपिक एसोसिएशन के नियम, बल्कि एक आसान सा तथ्य है। आपको बता दें कि, पुराने समय में सोने की सही परख को देखने के लिए उसको दांतों से काट कर देखा जाता था। और अगर उसपर दांतो के काटने के निशान बनते है, तो वो असली सोने को दर्शाता है। इतना ही नहीं, अब तो खिलाड़ी सिल्वर और ब्रोंज मेडल को भी ऐसे ही करते हैं।