OBC Reservation: लोकसभा चुनावों से पहले आ सकता है OBC आरक्षण, मोदी सरकार दोबारा बढ़ाएगी आरक्षण !
OBC Reservation: अगामी लोकसभा चुनावों से पहले मोदी सरकार OBC आरक्षण बढ़ाने की तैयारी में है। बता दें कि देश में करीब 2600 से ज्यादा OBC जातियां हैं। जिनके लिए सरकार काफी समय से आरक्षण लाना चाह रही है।
OBC Reservation: 2024 लोकसभा चुनावों से पहले सरकार एक बड़ा दांव चलने जा रही है। माना जा रहा है कि सरकार OBC आरक्षण बढ़ाने की तैयारी में है। खबर है कि रिटायर्ड जस्टिस रोहिणी (Justice Rohini) की अध्यक्षता वाली एक समीति ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (President Draupadi Murmu) को एक हज़ार पन्नों की रिपोर्ट सौंपी है। सूत्रों का कहना है कि रिपोर्ट में आरक्षण बढ़ाने की सिफारिश की गई है। इसके अलावा माना जा रहा है कि आरक्षण में समानता बनी रहे, इसके लिए OBC कटैगरी में ही कुछ सब-कटैगरी या फिर सब-डिवीजन बांट दिए जाएं। रिपोर्ट के मुताबिक पहला हिस्सा इस बात से जुड़ा है कि OBC कोटा किस तरह से आवंटित किया जाए और दूसरा, देश भर की उस 45 प्रतिशत यानि लगभग 2,633 OBC जातियों की एक लिस्ट है। बता दें कि रोहिणी आयोग का गठन 2017 में हुआ था।
इस आयोग (Rohini Commission) को 12 हफ्तों के अंदर अपनी रिपोर्ट सौंपनी थी। लेकिन जानकारी और डेटा इकट्ठा कर रिपोर्ट तैयार करने में समिति को काफी समय लग गया और अब इसी वर्ष 2023 में समिति ने रिपोर्ट बनाकर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंप दी है। बिहार में जातीय जनगणना (caste census) का मामला अभी भी गर्म है और ऐसे में इस रिपोर्ट के आने से देश की राजनीति में एक तीखी बहस छिड़ सकती है।
2021 में बढ़ाया था 27 प्रतिशत OBC आरक्षण
साल 2021 में केंद्र सरकार (Central government) ने मद्रास हाईकोर्ट (Madras High Court) के एक फैसले के बाद शैक्षणिक संस्थानों में OBC के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण बढ़ा दिया था। OBC में भी पूरे देश में ऐसी लगभग कई जातियां हैं, लेकिन फिर भी आरोप यही लगता आया है कि उनमें से केवल 50 जातियों को ही आरक्षण का लाभ मिल पाता है। यही वजह है कि बिहार में जातिए जनगणना की मांग जोरों पर है।
लोकसभा चुनाव से पहले लागू होगा आरक्षण
लोकसभा के चुनाव (lok sabha election 2024) अगले साल हैं, ऐसे में कुछ विश्लेषकों का मानना है कि कहीं बीजेपी OBC आरक्षण को बढ़ाकर OBC वोटरों को लुभाने के लिए किसी तरह का कोई नया दांव तो नहीं खेलने जा रही है। इस बात को ध्यान में रखते हुए उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री वी.पी सिंह (Prime Minister V.P Singh) की आरक्षण नीतियों का हवाला भी दिया। वी.पी सिंह जाने माने कद्दावर नेता थे, लेकिन आरक्षण के इसी पेंच में फंसकर उन्हें मध्यम वर्ग और ऊंची जाति के लोगों के वोटों से हाथ धोना पड़ा था। हैरान करने वाली बात तो ये है कि जिसके लिए उन्होंने इतना किया उसका वोट भी उन्हें नहीं मिला था। उनका मानना है कि सरकार को ये बात ध्यान में रखनी चाहिए कि चुनाव से पहले इसे लागू करना BJP के लिए फायदेमंद साबित नहीं होगा।