Mohan bhagwat meet sant premanand: संत प्रेमानंद महाराज से मिलने पहुंचे मोहन भागवत, बोले-वीडियो देखा, तो सोचा मिल लूं

मोहन भागवत से बात करते हुए संत प्रेमानंद महाराज ने कहा, "भारतवासियों को वस्तु और व्यवस्था से सुखी नहीं कर सकते। भगवान ने जन्म दिया है, वह सिर्फ सेवा के लिए दिया है। व्यवहार की सेवा और अध्यात्म की सेवा, यह दोनों सेवा अत्यंत अनिवार्य हैं।" 

Mohan bhagwat meet sant premanand: संत प्रेमानंद महाराज से मिलने पहुंचे मोहन भागवत, बोले-वीडियो देखा, तो सोचा मिल लूं

Mohan bhagwat meet sant premanand: राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत आज बुधवार को मथुरा के केली कुंज आश्रम पहुंचे। यहां उन्होंने प्रेमानंद महाराज से 15 मिनट तक बातचीत की। भेंट के दौरान मोहन भागवत ने प्रेमानंद महाराज से कहा, "बस आपके दर्शन करने थे। मैने आपका वीडियो देखा था उसमें आपकी बात सुनी, तो लगा कि आपसे मिलना चाहिए। 'चाह मिटी चिंता गई मन बेपरवाह' ऐसे लोग कम देखने को मिलते हैं।"

इस पर संत प्रेमानंद महाराज ने कहा, "भारतवासियों को वस्तु और व्यवस्था से सुखी नहीं कर सकते। भगवान ने जन्म दिया है, वह सिर्फ सेवा के लिए दिया है। व्यवहार की सेवा और अध्यात्म की सेवा, यह दोनों सेवा अत्यंत अनिवार्य हैं।" 

प्रेमानंद महाराज ने कही ये बात 

मोहन भागवत से बात करते हुए प्रेमानंद ने कहा-जितने राम-कृष्ण प्रिय उतना भारत देश प्रिय जैसे राम भक्त, कृष्ण भक्त वैसे भारत का जन-जन राष्ट्र भक्त हो। लेकिन, अब जो मानसिकता बन रही है, वह हमारे धर्म और देश के लिए लाभदायक नहीं होगी।"

व्यसन, व्यभिचार और हिंसा का बढ़ता स्वरूप ये बहुत ही विपत्ति जनक है। अगर ये बढ़ता रहा, तो हम विविध प्रकार की सुख-सुविधा देने पर भी अपने देश वासियों को सुखी नहीं कर पाएंगे। क्योंकि, सुख का स्वरूप विचार से होता है। सुख और दुख की स्थिति सत्य नहीं हैं।"

राजनीति पर प्रेमानंद जी ने कही ये बात 

मोहन भागवत से बात करते हुए प्रेमानंदजी महाराज ने कहा कि हमारी जो नई पीढ़ी है, वही राष्ट्र की रक्षा करने वाले हैं। अभी जो विद्यार्थी हैं, उन्हीं में कोई एमएलए बनता है, कोई एमपी बनता है, कोई मुख्यमंत्री बनता है, कोई राष्ट्रपति अथवा प्रधानमंत्री बनता है। हमारी शिक्षा सिर्फ आधुनिकता का स्वरूप लेती जाए, यह तो ठीक नहीं है। व्यभिचार, व्यसन और हिंसात्मक प्रवृत्ति नई पीढ़ी में इन तीन चीजों को देखकर बहुत असंतोष होता है।

प्रेमानंदजी महाराज ने कहा कि हमें जितना भगवान राम, भगवान कृष्ण प्रिय है उतना ही भारत देश भी प्रिय है। जिस तरीके से राम भक्त और कृष्ण भक्त हैं, उसी तरीके से भारत का हर भक्त वंदनीय है, लेकिन अब जो मानसिकता बन रही है, वह हमारे धर्म और देश के लिए लाभदायक नहीं है।