Mamata Banerjee: पीएम पूरे देश को जेल में बदल दें, तब भी डरने वाली नहीं
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को कहा कि अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूरे संसद भवन को जेल में बदल दें तब भी वह डरने वाली नहीं हैं।लोकसभा चुनाव के बाद भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की प्रधानमंत्री की हालिया चेतावनी का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इस तरह के बयान सिर्फ भाजपा कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने के लिए दिए गए थे।
Mamata Banerjee: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को कहा कि अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूरे संसद भवन को जेल में बदल दें तब भी वह डरने वाली नहीं हैं।लोकसभा चुनाव के बाद भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की प्रधानमंत्री की हालिया चेतावनी का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इस तरह के बयान सिर्फ भाजपा कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने के लिए दिए गए थे।
ममता बनर्जी ने बांकुरा जिले में संबोधित की रैली
बनर्जी ने बांकुरा जिले में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कहा, “आप किसे धमकाने की कोशिश कर रहे हैं? हम डरे हुए नहीं हैं। प्रधानमंत्री 4 जून के बाद सभी को सलाखों के पीछे भेजने की धमकी दे रहे हैं। क्या ऐसे बयान प्रधानमंत्री को शोभा देते हैं? क्या वह संसद भवन को जेल में तब्दील करना चाहते हैं? पहले से ही केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग करके पूरे देश को एक आभासी जेल में तब्दील किया जा रहा है। आप जो कर सकते हैं, कर लें। लेकिन हमें धमकी मत दीजिए।'' उल्लेखनीय है कि 2019 में बांकुरा जिले की दोनों लोकसभा सीटों पर तृणमूल उम्मीदवार भाजपा प्रत्याशियों से हार गये थे।
भाजपा पर बोला तीखा हमला
मुख्यमंत्री ने मौजूदा भाजपा सांसद सौमित्र खान के खिलाफ तीखा व्यक्तिगत हमला किया, जिन्हें बांकुरा जिले के दो लोकसभा क्षेत्रों में से एक, बिष्णुपुर से फिर से टिकट दिया गया है। तृणमूल ने खान की अलग हो चुकी पत्नी सुजाता मंडल खान को मैदान में उतारा है। मुख्यमंत्री ने कहा, “मुझे नहीं पता कि तलाक अंततः हुआ है या नहीं। इस बार उनकी पत्नी यहां से उम्मीदवार हैं। अगर मैं उनकी कुछ तस्वीरें सार्वजनिक कर दूं, तो बिष्णुपुर के लोग समझ जाएंगे कि किस तरह के लोग भाजपा में आ रहे हैं। मेरे पास सभी तस्वीरें हैं।” उन्होंने समान नागरिक संहिता के मुद्दे पर भी भाजपा पर तीखा हमला बोला। मुख्यमंत्री ने कहा, “हिन्दू धर्म में भी उपजातियां हैं। जनजातीय आबादी में विवाह संबंधी अलग-अलग नियम हैं। मुसलमानों और ईसाइयों के लिए भी नियम अलग-अलग हैं। समान नागरिक संहिता का मतलब विभिन्न पहचानों का अंत होगा।”