SUPREME COURT: आपराधिक केस में पुलिसकर्मियों की मीडिया ब्रीफिंग पर व्यापक नियमावली होगी तैयार
SUPREME COURT: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को केंद्रीय गृह मंत्रालय को पुलिस अधिकारियों द्वारा दी गई 'मीडिया ब्रीफिंग'पर एक व्यापक मैनुअल तैयार करने का निर्देश दिया है।
SUPREME COURT: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को केंद्रीय गृह मंत्रालय (Union Home Ministry) को पुलिस अधिकारियों द्वारा दी गई 'मीडिया ब्रीफिंग'पर एक व्यापक मैनुअल तैयार करने का निर्देश दिया है। जिसमें कहा गया कि जांच एजेंसियों द्वारा जारी किए गए प्रेस नोट आरोपियों पर अपराध को प्रभावित करने वाली व्यक्तिपरक राय पर आधारित नहीं होने चाहिए। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) की अध्यक्षता वाली और जस्टिस पीएस नरसिम्हा और मनोज मिश्रा की पीठ ने आदेश दिया,हम निर्देश देते हैं कि सभी पुलिस महानिदेशक एक महीने के भीतर उचित दिशानिर्देश तैयार करने के लिए अपने सुझाव देंगे। इसके बाद, गृह मंत्रालय दिशानिर्देश तैयार करने के लिए आगे बढ़ेगा।
संविधान पीठ (constitution bench) ने कहा कि किसी आरोपी को फंसाने वाली मीडिया रिपोर्टें अनुचित है क्योंकि वे सार्वजनिक संदेह को जन्म देती है कि उस व्यक्ति ने केवल जांच के चरण में ही अपराध किया है, जब हर आरोपी निर्दोष होने का अनुमान लगाने का हकदार है। शीर्ष अदालत ने आदेश दिया कि दिशानिर्देश जनवरी 2024 के मध्य तक उसके समक्ष रखे जाएंगे।
वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने सीबीआई सहित अन्य न्यायालयों में पुलिस द्वारा अपनाई जाने वाली मीडिया संबंधी प्रथाओं का मिलान करने के बाद मसौदा दिशानिर्देशों के रूप में अपने सुझाव प्रस्तुत किए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि पुलिस द्वारा मीडिया में किया गया कोई भी खुलासा न सिर्फ अपराध बल्कि जांच पर भी असर डालता है।
इससे पहले 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने आरोपियों के अधिकारों को ध्यान में रखते हुए 'मीडिया ब्रीफिंग' पर पुलिस दिशानिर्देशों का एक नया ज्ञापन तैयार करने का आदेश दिया था ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मुकदमे के दौरान उनके बचाव में पूर्वाग्रह न हो।
इसमें कहा गया था कि ये दिशानिर्देश इसी तरह सुनिश्चित करेंगे कि अपराध के पीड़ितों के संवेदनशील अधिकारों से गलत तरीके से समझौता नहीं किया जाएगा।
हमें आरोपी के अधिकारों का भी ध्यान रखना है: CJI चंद्रचूड़
CJI चंद्रचूड़ ने सरकार से कहा है कि वो तीन महीने में मीडिया ब्रीफिंग के लिए पुलिस को प्रशिक्षित करने के लिए दिशानिर्देश तय करें।CJI कहा कि ये बेहद अहम मामला है।एक तरफ लोगों के सूचना हासिल करने का अधिकार है, लेकिन जांच के दौरान अहम सुबूतों का खुलासा होने पर जांच भी प्रभावित हो सकती है।हमें आरोपी के अधिकार का भी ध्यान रखना है।एक स्तर पर, जिस आरोपी के आचरण की जांच चल रही है, वह पुलिस द्वारा निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच का हकदार है। जांच के चरण में प्रत्येक आरोपी निर्दोषता का अनुमान लगाने का हकदार है।मीडिया ट्रायल से उनका हित प्रभावित होता है।किसी आरोपी को फंसाने वाली मीडिया रिपोर्ट अनुचित है।