BHAI DOOJ 2024 : जानिए भाई दूज का शुभ मुहुर्त और पौराणिक कथा

कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर हर साल भाई-बहन का त्योहार भाई दूज मनाया जाता है। दिवाली के ठीक तीन दिन बाद भाई दूज का पर्व मनाया जाता है,  इस बार यह त्योहार 15 नवंबर को मनाया जाएगा।

BHAI DOOJ 2024 : जानिए भाई दूज का शुभ मुहुर्त और पौराणिक कथा

BHAI DOOJ 2024 :  कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर हर साल भाई-बहन का त्योहार भाई दूज मनाया जाता है। दिवाली के ठीक तीन दिन बाद भाई दूज का पर्व मनाया जाता है,  इस बार यह त्योहार 3 नवंबर को मनाया जाएगा। रक्षाबंधन की तरह ही भाई दूज भी भाई बहन का त्यौहार है,  इस दिन बहने अपने भाई की लंबी आयु के लिए पूजा करती हैं साथ ही व्रत भी करती हैं। जिस तरह रक्षाबंधन पर बहने भाई की कलाई पर धागा बांधती हैं उसी तरह, भाई दूज के दिन भी बहनें भाइयों का रोली से टीका करती हैं और मौली बांधती हैं। इसके बाद भाई को मिठाई खिलाकर उन्हें नारियल देती हैं। तो वहीं, पूर्वी भारत में शंखनाद के बाद तिलक लगाकर कुछ भी उपहार देने की मान्यता है। इस दिन बहने अपने भाईयों की दीर्घायु के लिए व्रत रखती हैं और भाई को भोजन कराने के बाद ही व्रत खोलती हैं।

क्यों मनाया जाता है, भाई दूज ?

भाई दूज पर भाई को तिलक करने के बाद भोजन कराने की धार्मिक मान्यता है। ऐसा कहा जाता है, कि जो बहन पूरी श्रद्धा और आदर के साथ तिलक लगाकर भोजन कराती हैं और जो भाई अपनी बहन का आतिथ्य स्वीकार करता है। उनकी सारी इच्छाएं पूरी होती हैं और यमराज का भय नहीं रहता है। मान्यता है, कि यदि कोई भाई बहन के घर जाकर भोजन करता है तो वह अकाल मृत्यु से बच सकता हैं। कहा जाता है कि जो भी भाई बहन यह पर्व पूरे विधि विधान से मनाते हैं, तो उनकी किसी दुर्घटना में मृत्यु होने की संभावना बहुत कम हो जाती है। साथ ही भाई दूज मनाने से बहनों-भाईयों को सुख-समृद्धि, संपत्ति और धन की प्राप्ति होती है।

जानिए भाई दूज की पौराणिक कथा (Mythology of Bhai Dooj)

इसको लेकर मान्यता है, कि इस पर्व को सबसे पहले यमी (यमुना जी) ने किया था। यमुना जी के भाई का नाम यम (यमराज) था। यम और यमी में काफी प्रेम था, एक दिन यम को अपनी बहन यमी की बहुत याद आ रही थी, वे अचानक से अपनी बहन के घर चले गए। अचानक भाई को आता देख बहन काफी खुश हो गई, उन्होंने कई तरह के पकवान बनाए। इसके बाद वे अपनी बहन से विदा लेकर जाने लगे, तभी उनकी बहन ने उन्हें तिलक लगाकर मिठाई खिलाई और नारियल भेंट की। इसके बाद यम ने अपनी बहन से कहा कि वे उपहार स्वरूप एक वरदान मांग लें।

बहन ने भाई से मांगा ये वचन

इसके बाद बहन यमी ने अपने भाई से कहा कि मेरे पास सबकुछ है, बस आपसे यह चाहिए कि आप साल में एक बार मुझसे मिलने जरूर आएं। यमराज ने अपनी बहन को बोला कि ऐसा ही होगा, मैं हर साल तुमसे मिलने एक बार जरुर आऊंगा। सिर्फ मैं ही नहीं इस दिन जो भाई अपनी बहन के घर जाएगा और अपनी बहन से तिलक कराएगा उसकी उम्र लंबी हो जाएगी और उसके जीवन की हर समस्या दूर हो जाएगी।

यम द्वितीया के पीछे की कहानी

इस पर्व को लेकर यह भी कहा जाता है, कि जिस दिन यम और यमी ने इस दिन के मनाने की शुरुआत की थी, उस दिन कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि थी। इस वजह से इस दिन को यम द्वितीया भी कहते हैं।

भाई को क्यों दिया जाता है नारियल?

इस को लेकर ऐसी मान्यता है, कि जब यम अपनी बहन के घर गए थे तो लौटते वक्त यमुना जी ने उसे नारियल देकर विदा किया था। इसके बाद से इस दिन बहने अपने भाई को नारियल देकर विदा करती हैं, तभी से यह प्रथा चली आ रही है।

इस बार का मुहुर्त (bhai dooj 2023 muhurat)

कार्तिक मास की शुक्ल द्वितीया तिथि का आरंभ 2 नवंबर 2024 को रात 8 बजकर 22 मिनट से शुरू होगा और इसका समापन 3 नवंबर को रात में 10 बजकर 6 मिनट पर होगा उदया तिथि के हिसाब से भाई-बहन का त्‍योहार भाई-दूज 3 नवंबर रविवार को मनाया जाएगा। भाई दूज पर वैसे तो राहुकाल को छोड़कर बहने कभी भी भाई को तिलक कर सकती हैं। लेकिन अगर अतिशुभ समय की बात करें तो इस साल भाई दूज पर तिलक लगाने का शुभ मुहूर्त 3 नवंबर को दोपहर 1 बजकर 10 मिनट से शुरू होकर दोपहर 3 बजकर 22 मिनट तक रहेगा। मुहूर्त की कुल अवधि 2 घंटे 12 मिनट की है।