Guinness Book of World Records : 14 जुलाई को इंदौर में बनेगा ‘गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड’, तीन घंटे में लगाए जाएंगे 51 लाख पौधे
देश में सबसे स्वच्छ शहर के तौर पर पहचान बना चुका इंदौर अब हरियाली के मामले में भी डंका बजाने जा रहा है। यहां तीन घंटे में 51 लाख पौधे रोपे जाने हैं और उसकी तैयारी जोरों पर है।
Guinness Book of World Records : देश में सबसे स्वच्छ शहर के तौर पर पहचान बना चुका इंदौर अब हरियाली के मामले में भी डंका बजाने जा रहा है। यहां तीन घंटे में 51 लाख पौधे रोपे जाने हैं और उसकी तैयारी जोरों पर है।
इंदौर में हरियाली का संकल्प लिया
राज्य सरकार के नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय का इंदौर से नाता है। वह यहां के महापौर भी रहे हैं। इस बार उन्होंने इंदौर में हरियाली का संकल्प लिया है और इसके लिए 51 लाख पेड़ रोपे जाने हैं। अभियान को सफल बनाने के लिए तमाम सामाजिक संगठनों से लेकर सरकारी विभागों से भी संपर्क किया जा रहा है। बैठकों का भी दौर जारी है। तमाम सामाजिक संगठन और सरकारी विभाग अपनी क्षमता के अनुसार न केवल पौधे लगाने का वादा कर रहे हैं बल्कि उनकी रखवाली का भी भरोसा दिला रहे हैं।
हर व्यक्ति 10 पौधे लगाए
इंदौर स्वच्छता के बाद अब पौधारोपण के मामले में भी कीर्तिमान बनाने की तैयारी कर रहा है। इसके लिए गड्ढे खोदने का भी काम शुरू हो गया है। कहीं इस काम में मजदूरों को लगाया गया है तो कहीं मशीनों को। नगरीय प्रशासन मंत्री विजयवर्गीय ने इंदौर वासियों से अपील की है कि हर व्यक्ति 10 पौधे लगाए।
एमपी में साढ़े पांच करोड़ पौधों लगाए जाएंगे
उल्लेखनीय है कि राज्य में इस समय जल गंगा संवर्धन अभियान चलाया जा रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने राज्य में साढ़े पांच करोड़ पौधों लगाने का संकल्प लिया है। यह अभियान विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून से शुरू हुआ है और 16 जून को समाप्त होगा। उन्होंने इंदौर में 51 लाख पौधे रोपे जाने के संकल्प की भी सराहना की है। साथ ही प्रदेश की जल संरचनाओं के संरक्षण के साथ उनके आसपास पौधे लगाने का भी आह्वान किया है।
इंदौर को लगातार सात बार देश के सबसे साफ-सुथरे शहर का सम्मान मिल चुका
इंदौर को लगातार सात बार देश के सबसे साफ-सुथरे शहर का सम्मान मिल चुका है। स्थानीय लोगों में स्वच्छता को लेकर गजब की जागरूकता है। यहां दिन में दो बार घर-घर जाकर कचरा इकट्ठे किए जाने का सिलसिला शुरू हुआ था। रात में सड़कों पर झाड़ू लगाई जाती है और सूखे तथा गीले कचरे को अलग-अलग किया जाता है। अब तो इस कचरे से खाद भी बन रही है। अब इंदौर एक हरियाली की दिशा में कदम बढ़ा रहा है।