Bhadra in Raksha Bandhan:कौन हैं भद्रा जो हर शुभ काम में डालती हैं विघ्न, कैसे हुई उत्पत्ति

हिन्दू धर्म में रक्षाबंधन पर्व का विशेष महत्व होता है। भाई बहन का पवित्र त्यौहार रक्षाबंधन हर साल श्रावण माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस दिन बहने अपने भाई को राखी बांधती है और उनसे रक्षा करने का वचन मांगती है। लेकिन इस दिन हमारी खुशियां में बाधा बनकर उत्पन्न होती है भद्रा...क्या होती है भद्रा नक्षत्र और क्यों ये रक्षा बंधन में लगती है चलिए आपको बताते है। 

Bhadra in Raksha Bandhan:कौन हैं भद्रा जो हर शुभ काम में डालती हैं विघ्न, कैसे हुई उत्पत्ति

Bhadra in Raksha Bandhan: हिन्दू धर्म में रक्षाबंधन पर्व का विशेष महत्व होता है। भाई बहन का पवित्र त्योहार रक्षाबंधन(Raksha Bandhan) हर साल श्रावण माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस दिन बहने अपने भाई को राखी बांधती है और उनसे रक्षा करने का वचन मांगती है। लेकिन इस दिन हमारी खुशियां में बाधा बनकर उत्पन्न होती है भद्रा...क्या होती है भद्रा नक्षत्र और क्यों ये रक्षा बंधन में लगती है चलिए आपको बताते है। 

क्या होता है भद्रा

भद्रा एक अशुभ मुहूर्त(Bhadra an inauspicious time) है जिसके होने पर कोई भी शुभ कार्य करने के अशुभ परिणाम सामने आते हैं। इसलिए भद्रा होने पर राखी बांधना अशुभ माना जाता है। भद्रा के खत्म होने के पश्चात ही राखी बांधनी चाहिए।

कैसे हुआ भद्रा का आविर्भाव 

भद्रा से जुड़ी हुई एक पौराणिक कथा है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भद्रा भगवान सूर्य और उनकी पत्नी छाया की कन्या और शनिदेव की बहन हैं। धार्मिक ग्रंथों की मानें तो भद्रा की उत्पत्ति दैत्यों के नाश के लिए सूर्य नारायण और देवी छाया की पुत्री के रूप में, गधे के मुंह, लंबी पूंछ और तीन पैर युक्त हुई थी। यह काले वर्ण, लंबे केश, बड़े दांत और भयंकर वेश वाली है। जन्म लेते ही भद्रा यज्ञ में विघ्न डालने लगी, मंगल कार्यों में उपद्रव कर सारी सृष्टि को प्रताड़ित करने लगी। भद्रा के इस दुर्व्यवहार के कारण सूर्य देव को इसके विवाह की चिंता थी, पर कोई भी देवता इसके के लिए राजी नहीं था। इस पर सूर्य नारायण ने ब्रह्माजी से परामर्श मांगा। तब ब्रह्माजी ने विष्टि से कहा कि, भद्रे! तुम बव, बालव, कौलव आदि करणों के अंत में निवास करो और जब व्यक्ति तुम्हारे समय में गृह प्रवेश और मांगलिक कार्य करे तभी विघ्न डालो। जो तुम्हारा आदर न करे, उसका काम बिगाड़ देना। यह उपदेश देकर ब्रह्माजी चले गए और भद्रा देव दानव मानव सभी प्राणियों को कष्ट देने लगी। 

भद्रा काल में क्यों नही बांधनी चाहिए राखी ?

ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक एक बार ब्रह्मा जी ने भद्रा को श्राप दिया था कि जो भी व्यक्ति भद्रा काल में किसी भी तरह का शुभ कार्य करेगा उसे उस काम में सफलता नहीं मिलेगी। यही कारण है कि भद्रा काल में कोई भी शुभ कार्य करने की मनाही होती है। 

रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त

रक्षाबंधन सावन की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इस बार यह 19 अगस्त को मनाया जायेगा। रक्षाबंधन पर राखी बांधने का शुभ मुहूर्त 1 बजकर 24 मिनट से शुरु होगा। औऱ इसके बाद बहनें अपने भाई को प्रेमपूर्वक राखी बांध सकती है।