Lalita Panchami: ललिता पंचमी आज, जानें पूजा विधि, मुहूर्त और उपाय
शारदीय नवरात्रि के पांचवे दिन यानी अश्विन मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को ललिता पंचमी का व्रत रखा जाता है। साथ ही इस दिन स्कंदमाता की भी पूजा करने का प्रावधान है। जिसे उपांग ललिता व्रत भी कहते हैं।
Lalita Panchami शारदीय नवरात्रि के पांचवे दिन यानी अश्विन मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को ललिता पंचमी का व्रत रखा जाता है। साथ ही इस दिन स्कंदमाता की भी पूजा करने का प्रावधान है। जिसे उपांग ललिता व्रत भी कहते हैं। मां ललिता दस महाविद्याओं में से एक है। जो त्रिपुरा सुंदरी के नाम से भी जानी जाती हैं। 19 इस बार ललिता पंचमी का यह व्रत 19 अक्तूबर को रखा जा रहा है। यह पर्व गुजरात और महाराष्ट्र में विशेष रूप से मनाया जाता है। इसमें देवी सती के रूप मां ललिता की आराधना की जाती है। ललिता माता के पूजन पद्धति देवी चंडी के समान है। इस व्रत के कुछ खास उपाय करने से गंभीर रोग समाप्त हो जाते हैं और व्यक्ति का जीवन उज्जवल रहता है। इस विशेष दिन पर ललिता चालीसा का पाठ करने से साधक के जीवन में आ रही बाधाएं दूर होती हैं।
क्या है ललिता पंचमी शुभ मुहूर्त
हिन्दू पंचाग के अनुसार अश्विन माह के पंचमी तिथि को ललिता पंचमी मनाया जाएगा और अयोध्या के ज्योतिषों के अनुसार शुभ मुहूर्त आश्विन माह के पंचमी तिथि की शुरूआत 19 अक्टूबर 2023 को सुबह 1:12 बजे होगी, जो 20 अक्टूबर 2023 को सुबह 12:31 बजे समाप्त होगी।
ललिता पंचमी से जुड़ी मान्यता
ललिता पंचमी का व्रत नवरात्रि के पांचवे दिन रखा जाता है। इस दिन मां दुर्गा की स्कंद माता रूप की पूजा की जाती है, साथ ही मां सती के रूप में माता ललिता की पूजा की जाती है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार इस दिन व्रत करने से सभी प्रकार के रोग-दोष से छुटकारा मिलता है और जीवन में सुख और समृद्धि आती है।
ललिता पंचमी व्रत कथा
जब पिता दक्ष प्रजापति ने भोलेनाथ का अपमान किया था तो उनकी पत्नी देवी सती सहन नहीं कर पाईं थी और उन्होंने यज्ञ में कूदकर अपने प्राण त्याग दिए थे। इसके बाद भगवान शिव उनकी देह को लेकर भ्रमण करने लगे। चारों ओर त्राहि-त्राहि मच गई। वहीं शिव का मोह भंग करने के लिए श्रीहरि विष्णु ने सुदर्शन चक्र से देवी सती के शरीर को विभाजित कर दिया था, तब भगवान शंकर ने उन्हें अपने हृदय में धारण किया, इसलिए ये ललिता कहलाईं ।
ललिता पंचमी पूजन विधि
सबसे पहले ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान कर लें। उसके बाद मां ललिता का ध्यान करके व्रत का संकल्प लें। एक चौकी पर लाल कपड़ा रखकर मां की मूर्ति स्थापित करें। सबसे पहले शिव परिवार की पूजा करें और ध्यान करें। इसके बाद मां ललिता की कथा सुनें और शुद्ध घी का दीप प्रज्जवलित करें। माता के मंत्रों का जाप करें।