Ayodhya News: अयोध्या में भगवान श्रीराम की प्राण-प्रतिष्ठा बनेगी ऐतिहासिक, 1500 साल बाद होगा भारत का सबसे बड़ा धार्मिक अनुष्ठान
भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा काशी के विद्वान पंडित लक्ष्मीकांत मथुरादास दीक्षित कराएंगे। इस दौरान उनके नेतृत्व में देशभर से अलग-अलग शाखाओं के 121 वैदिक और कर्मकांडी ब्राह्मण इस पूजन को संपादित कराएंगे।
Ayodhya News: 22 जनवरी 2024 को अयोध्या में बने रहे भव्य राम मंदिर का इंतजार खत्म हो जाएगा। इस दिन भगवान राम की प्राण-प्रतिष्ठा की जाएगी और रामलला मंदिर में विराजमान हो जाएंगे। कार्यक्रम में यजमान के तौर पर पीएम मोदी शामिल होंगे। इस समारोह को ऐतिहासिक बनाने के लिए तैयारियां पूरे जोर-शोर से चल रहीं हैं।
16 जनवरी से शुरू होगी पूजन की प्रक्रिया
भगवान श्रीराम की प्राण-प्रतिष्ठा के 6 दिन पहले ही यानि 16 जनवरी से पूजन की प्रक्रिया विधि-विधान से शुरू हो जाएगी। इसको लेकर तैयारियां शुरू हो गई हैं। मुख्य मंदिर के ठीक सामने पूजन के लिए भूमि का चयन किया गया है और यहीं पर 45-45 हाथ के 2 मंडप और 9 हवन कुंड भी बनाए जा रहे हैं। जानकारी के मुताबिक, 10 जनवरी तक मंडप और कुंड बन कर तैयार हो जाएंगे। एक मंडप में गणेश पूजन और राम पूजन से लेकर सभी पूजा-कार्य होंगे। जबकि, दूसरे छोटे मंडप में राम जी के विग्रह के सारे संस्कार किये जाएंगे। जिसमें 100 कलश से स्नान, अन्नाधिवास और जलाधिवास होगा।
प्राण प्रतिष्ठा में यजमान की भूमिका में रहेंगे पीएम मोदी
भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा काशी के विद्वान पंडित लक्ष्मीकांत मथुरादास दीक्षित कराएंगे। इस दौरान उनके नेतृत्व में देशभर से अलग-अलग शाखाओं के 121 वैदिक और कर्मकांडी ब्राह्मण इस पूजन को संपादित कराएंगे। जिसमें काशी से ही लगभग 40 विद्वान शामिल होंगे। 16 जनवरी से प्राण प्रतिष्ठा से संबंधित पूजन शुरू हो जाएगा और प्राण प्रतिष्ठा से 60 घंटे पहले तक यज्ञ, हवन, 4 वेदों का परायण और कर्मकांडों का वाचन किया जाएगा। इस दौरान ट्रस्ट की तरफ से निर्धारित व्यक्ति प्रधान यजमान के रूप में रहेगा। जबकि मुख्य पूजा में 22 जनवरी को होने वाली प्राण प्रतिष्ठा में पीएम मोदी यजमान की भूमिका में रहेंगे।
अब तक नहीं हुआ ऐसा धार्मिक अनुष्ठान
माना जा रहा है कि यह भारत का सबसे बड़ा धार्मिक अनुष्ठान होगा। काशी के वैदिक ब्राह्मणों और इतिहासकारों का कहना है कि 1500 साल बाद देश में इस तरह का भव्य धार्मिक अनुष्ठान देखने को मिलेगा। कन्नौज के महान हिंदू शासक हर्षवर्धन के काल में प्रयाग में दान-पुण्य के बाद भव्य यज्ञ-अनुष्ठान के बारे में सुना-पढ़ा गया था। इसका प्रमाण हर्षवर्धन के बांसखेड़ा अभिलेख में है। उसके बाद ऐसा कोई प्रमाण नहीं मिला है।