Appointment of DGP in UP: यूपी में DGP की नियुक्ति के बदले नियम, योगी कैबिनेट में मिली मंजूरी

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने पुलिस महानिदेशक की नियुक्ति को लेकर बड़ा फैसला लिया है। योगी सरकार अब खुद ही पुलिस महानिदेशक की नियुक्ति करेगी।

Appointment of DGP in UP: यूपी में DGP की नियुक्ति के बदले नियम, योगी कैबिनेट में मिली मंजूरी

Appointment of DGP in UP: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की योगी सरकार (yogi government) ने पुलिस महानिदेशक (DGP) की नियुक्ति को लेकर बड़ा फैसला लिया है। योगी सरकार अब खुद ही पुलिस महानिदेशक (Director General of police) की नियुक्ति करेगी। यानी सरकार को अब संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। डीजीपी का न्यूनतम कार्यकाल 2 साल तय किया गया है। वही अब माना जा रहा है कि अब प्रशांत कुमार को स्थायी डीजीपी बनाया जाएगा। 

प्रशांत कुमार को बन सकते हैं स्थायी डीजीपी 

दरअसल, मौजूदा डीजीपी प्रशांत कुमार (Current DGP Prashant Kumar) यूपी के चौथे कार्यवाहक डीजीपी हैं। वह 31 मई 2025 को रिटायर्ड होंगे। उनका कार्यकाल पूरा होने में अभी 6 महीने से ज्यादा का समय है। ऐसे में नई नियमावली के लागू होने पर समिति पुलिस महानिदेशक की नियुक्ति को लेकर प्रशांत कुमार के नाम पर विचार कर सकती है। 

कैबिनेट बैठक में मिली मंजूरी

सीएम योगी की अध्यक्षता में सोमवार को हुई कैबिनेट बैठक में पुलिस महानिदेशक (DGP) की नियुक्ति के लिए पुलिस महानिदेशक, उत्तर प्रदेश (उत्तर प्रदेश के पुलिस बल प्रमुख) चयन एवं नियुक्ति नियमावली 2024 बनाई है। जिसे कैबिनेट ने मंजूरी दी है। इस नियमावली में हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में 6 सदस्यीय मनोनयन समिति गठित की जाएगी। उत्तर प्रदेश में बीते तीन सालों से स्थायी डीजीपी की नियुक्ति नहीं की गई है। अब नई नियमावली बनने के बाद, सरकार के स्थायी रूप से डीजीपी की नियुक्ति के लिए यूपीएससी के मंजूरी लेने की आवश्यकता नहीं होगी। 

नई नियमावली बनाने वाला चौथा राज्य बना यूपी 

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश समेत 7 राज्यों में कार्यवाहक डीजीपी की नियुक्ति को लेकर नाराजगी जताई है। कोर्ट ने कार्यवाहक डीजीपी की नियुक्ति को अवमानना का मामला मानते हुए राज्य सरकारों को फटकार लगाते हुए नोटिस दिया है। इस मामले में 14 नवंबर को सुनवाई होनी है। इससे पहले, योगी सरकार ने डीजीपी की नियुक्ति को लेकर यह बड़ा फैसला लिया है। इसके साथ ही डीजीपी की नियुक्ति के लिए नई नियमावली बनाने वाला उत्तर प्रदेश चौथा राज्य बन गया है। 

स्थायी डीजीपी का ऐसे होगा चयन 

नए नियम के मुताबिक, हाईकोर्ट के रिटायर जज की अध्यक्षता में एक 6 सदस्यीय कमेटी बनेगी। इस समिति में मुख्य सचिव, संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) से एक सदस्य, यूपी लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष या उनकी ओर से नामित अधिकारी के अलावा अपर मुख्य सचिव या प्रमुख सचिव गृह व पूर्व डीजीपी भी शामिल किये रहेंगे। इसके साथ ही ‌वही अफसर DGP बन पाएगा, जिसकी कम से कम 6 महीने की नौकरी बची हो। 

पद से हटाने के लिए भी नियमों में बदलाव

डीजीपी की नियुक्ति के लिए नई नियमावली में यह प्रावधान किया गया है कि डीजीपी की नियुक्ति कम से कम दो वर्षों के लिए की जाएगी, लेकिन डीजीपी के कार्यों से असंतुष्ट होने पर राज्य सरकार उन्हें हटा भी सकती है। DGP को हटाने के लिए भी कुछ नियम बनाए गए हैं। अब कर्तव्यों और दायित्वों का निर्वहन करने में विफल रहने पर सरकार 2 साल से पहले ही डीजीपी को हटा सकती है।

अभी तक स्थायी डीजीपी के चयन के लिए ये थे नियम

डीजीपी की नियुक्ति के लिए पहले की व्यवस्था के मुताबिक, राज्य सरकार ‌अभी तक पुलिस सेवा में 30 साल पूरे कर चुके उन अधिकारियों के नाम UPSC को भेजता है। UPSC इनमें से तीन सीनियर अधिकारियों के नाम का चयन करता है और उनमें से राज्य सरकार को किसी 1 को चुनने का ऑप्शन देता है। राज्य सरकार इसमें से 1 अधिकारी के नाम पर मुहर लगाती है।