Adhir Ranjan Chowdhury: अधीर रंजन ने सीएम ममता को दी चुनौती, कहा- लोकसभा चुनाव में उनके खिलाफ लड़ें
अधीर रंजन ने ममता को दी चुनौती, कहा- आपने प्रियंका गांधी को प्रधानमंत्री के खिलाफ चुनाव लड़ने का सुझाव दिया। अब मैं आपको इस बार मेरे खिलाफ चुनाव लड़ने की चुनौती दे रहा हूं।''
Adhir Ranjan Chowdhury: पश्चिम बंगाल कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी (Congress President Adhir Ranjan Chowdhury) ने गुरुवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Chief Minister Mamata Banerjee) को आगामी लोकसभा चुनाव (upcoming lok sabha elections) में उनके खिलाफ चुनाव लड़ने की चुनौती दी है। चौधरी मुर्शिदाबाद जिले (Murshidabad district) के बहरामपुर से 5वीं बार सांसद हैं।
अधीर रंजन ने दी ममता को चुनौती
चौधरी ने अपने निर्वाचन क्षेत्र में मीडियाकर्मियों से कहा कि ममता ने प्रियंका गांधी वाड्रा (Priyanka Gandhi Vadra) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) के खिलाफ वाराणसी से चुनाव लड़ने का सुझाव दिया था। उनके सुझाव का हवाला देते हुए चौधरी ने कहा, ''आपने प्रियंका गांधी को प्रधानमंत्री के खिलाफ चुनाव लड़ने का सुझाव दिया। अब मैं आपको इस बार मेरे खिलाफ चुनाव लड़ने की चुनौती दे रहा हूं।''
उन्होंने आगे कहा, ''मैं भी देखना चाहता हूं कि आप कितनी शक्तिशाली हैं। यह मत भूलिए कि 2019 में हमने आपकी कृपा से सीटें नहीं जीती थीं।'' चौधरी ने कहा कि ममता ने पश्चिम बंगाल की दो लोकसभा सीटों बहरामपुर और मालदा दक्षिण से कोई भी उम्मीदवार नहीं उतारने पर सहमति जताई है, जहां 2019 में कांग्रेस के उम्मीदवार निर्वाचित हुए थे।
कांग्रेस चुनाव लड़ने में सक्षम – अधीर रंजन
उन्होंेने कहा, "हमने उन दो निर्वाचन क्षेत्रों से तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवारों को हराकर जीत हासिल की। हमारी जीत तृणमूल कांग्रेस या मुख्यमंत्री की कृपा से नहीं हुई थी। याद रखें कि कांग्रेस अन्य निर्वाचन क्षेत्रों से भी अपने दम पर चुनाव लड़ने में सक्षम है।"
अधीर ने असम, मेघालय और गोवा में सीटों की तृणमूल की मांग का भी मजाक उड़ाया और कहा, ''याद रखें कि कांग्रेस के पास पश्चिम बंगाल में खोने के लिए कुछ नहीं है। हमारी पार्टी की राज्य इकाई सीपीआई (एम) के नेतृत्व वाले वाम मोर्चे के साथ सीट-बंटवारे का समझौता करने की इच्छुक है।''
पश्चिम बंगाल कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने कहा, ''हालांकि, गठबंधन या सीट बंटवारे पर समझौते का अंतिम फैसला पार्टी आलाकमान का होगा। आलाकमान यह भी तय करेगा कि ऑल इंडिया सेक्युलर फ्रंट वहां सहयोगी के तौर पर स्वीकार्य होगा या नहीं।''