Uttarkashi Tunnel Accident: उत्तरकाशी टनल हादसे के 100 घंटे पूरे, मजदूरों को निकालने में नहीं मिली कामयाबी

उत्तरकाशी के सिल्क्यारा सुरंग में फंसे 40 श्रमिकों को निकालने के लिए हर संभव उपाय किए जा रहे हैं। बचाव कार्य में केंद्रीय एजेंसियां भी लगी हुई हैं। इन एजेंसियों को राज्य सरकार के सभी विभागों से पूरा सहयोग मिल रहा है।

Uttarkashi Tunnel Accident: उत्तरकाशी टनल हादसे के 100 घंटे पूरे, मजदूरों को निकालने में नहीं मिली कामयाबी

Uttarkashi Tunnel Accident: उत्तराखंड के उत्तरकाशी टनल हादसे के करीब 100 घंटे से ज्यादा बीत जाने के बाद भी टनल में फंसे मजदूरों को निकाला नहीं जा सका है। सुरंग के अंदर 40 से अधिक मजदूर फंसे हुए हैं। निर्माण एजेंसी की ओर से मजदूरों को बाहर निकालने का काम तेजी से किया जा रहा है। 

24 घंटे हो रहा बचाव कार्य

उत्तरकाशी के सिल्क्यारा सुरंग में फंसे 40 श्रमिकों को निकालने के लिए हर संभव उपाय किए जा रहे हैं। बचाव कार्य में केंद्रीय एजेंसियां भी लगी हुई हैं। इन एजेंसियों को राज्य सरकार के सभी विभागों से पूरा सहयोग मिल रहा है। इसके साथ ही जिला प्रशासन और राज्य सरकार भी लॉजिस्टिक सपोर्ट कर रही है। नेशनल हाईवे एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, आईटीबीपी, बीआरओ और नेशनल हाईवे की 200 से ज्यादा लोगों की टीम फंसे लोगों के रेस्क्यू के लिए 24 घंटे काम कर रही है। रेस्क्यू ऑपरेशन में भारतीय वायु सेना की भी मदद ली गई। 

नॉर्वे और थाईलैंड की भी मदद ली जा रही

जानकारी के मुताबिक, सुरंग में फंसे हुए 40 मजदूरों को सुरक्षित निकालने के लिए नॉर्वे और थाईलैंड की विशेष टीमों की भी मदद ली जा रही है। रेस्क्यू टीम ने थाईलैंड की एक रेस्क्यू कंपनी से संपर्क किया है। इस कंपनी ने कुछ समय पहले थाईलैंड की एक गुफा में फंसे बच्चों को बाहर निकाला था। जानकारी के मुताबिक, रेस्क्यू टीम ने नॉर्वे की एनजीआई एजेंसी से भी संपर्क किया है, जिससे सुरंग के भीतर ऑपरेशन के लिए सुझाव लिया जा सके। साथ ही, भारतीय रेल, आरवीएनएल, राइट्स और इरकॉन के विशेषज्ञों से भी सुरंग के अंदर ऑपरेशन चलाने से संबंधित सुझाव लिए जा रहे हैं।'

12 नवंबर को हुआ था हादसा

बता दें कि निर्माणाधीन सिलक्यारा टनल 12 नवंबर यानी दिवाली के दिन सुबह करीब 4 बजे धंस गई थी। चारधाम प्रोजेक्ट के तहत यह टनल ब्रह्मखाल और यमुनोत्री नेशनल हाईवे पर सिल्क्यारा और डंडलगांव के बीच बनाई जा रही है। जानकारी के मुताबिक, फंसे हुए मजदूर बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के हैं। 

रेस्क्यू में लगी सभी एजेंसियां

रेस्क्यू ऑपरेशन में नेशनल हाईवे एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एनएचआईडीसीएल), एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, आईटीबीपी, बीआरओ और नेशनल हाईवे की 200 से ज्यादा लोगों की टीम 24 घंटे काम कर रही हैं। रेस्क्यू टीम ने 14 नवंबर को स्टील पाइप के जरिए मजदूरों को निकालने का काम शुरू किया था। इसके लिए ऑगर ड्रिलिंग मशीन और हाइड्रोलिक जैक की मदद से 35 इंच के डायमीटर का स्टील पाइप टनल के अंदर डालने की कोशिश की गई। हालांकि, इसमें सफलता नहीं मिली।

दिल्ली से लाई गई ड्रिल मशीन

सेना का मालवाहक विमान हरक्यूलिस दिल्ली से हैवी ऑगर मशीन लेकर चिन्यालीसौर हैलीपेड पहुंचा। यहां से मशीन सिलक्यारा लाई गई। यहां 25 टन की हैवी ड्रिलिंग मशीन अमेरिकन ऑगर्स का इंस्टालेशन करने के बाद ऑपरेशन शुरू हो जाएगा। एनएचआईडीसीएल के डायरेक्टर अंशू मनीष खलखो ने बताया कि मशीन प्रति घंटे पांच से छह मीटर तक ड्रिल करती है। अनुमान के मुताबिक, इस मशीन से मलबे को पूरी तरह से ड्रिल करने में 10 से 12 घंटे लग सकते हैं। 

सीएम ने लिया रेस्क्यू ऑपरेशन का अपडेट 

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी बुधवार रात उत्तरकाशी के सिल्कयारा पहुंचे। यहां उन्होंने निर्माणाधीन सुरंग में चल रहे रेस्क्यू ऑपरेशन का अपडेट लिया और मुख्य सचिव को अलर्ट रहने का निर्देश दिया। सीएम धामी ने कहा कि शासन एवं प्रशासन को पहले ही सारे दिशा निर्देश दिए जा चुके हैं। राहत एवं बचाव कार्यों में लगी हुई केंद्रीय एजेंसियों की टीम की हौसला अफजाई कर सुरंग में फंसे श्रमिकों को जल्द ही सकुशल निकाला जाए। उन्‍होंने कहा कि फंसे हुए श्रमिकों के परिजनों से निरंतर संपर्क एवं संचार के लिए प्रशासन ने दूरभाष नंबर जारी किए हैं।