UP Madarsa: मदरसों की जांच में शिक्षा विभाग के दखल पर मदरसा परिषद ने दर्ज की आपत्ति

उत्तर प्रदेश के मदरसों में विदेशी फंडिंग मामले की जांच शिक्षा विभाग के अधिकारियों के करने पर मदरसा परिषद बोर्ड ने नाराजगी जाहिर की है। मदरसा परिषद के अध्यक्ष डॉ. इफ्तिखार अहमद जावेद ने सभी 75 जिले के जिलाधिकारी को पत्र लिखा है।

UP Madarsa: मदरसों की जांच में शिक्षा विभाग के दखल पर मदरसा परिषद ने दर्ज की आपत्ति

UP Madarsa: उत्तर प्रदेश के मदरसों में विदेशी फंडिंग मामले की जांच शिक्षा विभाग के अधिकारियों के करने पर मदरसा परिषद बोर्ड ने नाराजगी जाहिर की है। मदरसा परिषद के अध्यक्ष डॉ. इफ्तिखार अहमद जावेद ने सभी 75 जिले के जिलाधिकारी को पत्र लिखा है। उन्होंने पत्र में मदरसा शिक्षा नियमावली का हवाला दिया है। डॉ. इफ्तिखार अहमद जावेद ने कहा कि मदरसों की जांच केवल अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के ही अधिकारी कर सकते हैं। इसके अलावा कोई नहीं। 

उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद के चेयरमैन डॉ. इफ्तिखार अहमद जावेद ने पत्र में कहा कि 1995 में अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के गठन के बाद शिक्षा विभाग में व्यवहरित हो रहे मदरसों का समस्त कार्य अल्पसंख्यक कल्याण विभाग को हस्तानान्तरित कर दिया गया. इसके बाद उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद अधिनियम 2004 प्रतिस्थापित किया गया जिसके माध्यम से उत्तर प्रदेश अशासकीय अरबी और फारसी मदरसा मान्यता, प्रशासन और सेवा विनियमावली 2016 बनाई गई। जिसके बाद से जिला मदरसा शिक्षा अधिकारी का तात्पर्य जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी से हो गया। 

‘शिक्षा विभाग को अधिकार नहीं’
डॉ. इफ्तिखार अहमद जावेद ने कहा कि अब जिला मदरसा शिक्षा अधिकारी का मतलब जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी से है। निरीक्षक अरबी मदरसा अथवा अध्यक्ष या निदेशक के नामित किसी अधिकारी द्वारा कभी भी मदरसों का निरीक्षण किया सकेगा। शिक्षा विभाग के अधिकारी नियमों से हटकर नोटिस दे रहे हैं। उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद अधिनियम 2004/विनियमवाली 2016 में दिए व्यवस्था के तहत अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के अलावा किसी भी विभाग के अधिकारी ना तो निरीक्षण करें और ना ही किसी प्रकार की नोटिस दी जाएगी।  

डॉ. इफ्तिखार अहमद जावेद ने कहा कि अक्सर संज्ञान में आता है कि नियमों से हट कर शिक्षा विभाग के अधिकारी जो सक्षम प्राधिकारी ना होने के बावजूद उनके द्वारा जिलों में संचालित मदरसों का निरीक्षण किया जाता है। इसके बाद नोटिस भी दी जाती है, जो अधिनियम के विपरीत है। 

क्या है पूरा मामला 
बता दें कि उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में 11 अक्टूबर को बेसिक शिक्षा विभाग ने एक नोटिस जारी किया है। इसमें कहा गया है कि बिना रजिस्ट्रेशन के संचालित होने वाले मदरसों को प्रतिदिन 10 हजार रुपए का जुर्माना देना होगा। इसके साथ ही उन मदरसों को संबंधित दस्तावेज भी पेश करने होंगे। मुजफ्फरनगर बेसिक शिक्षा अधिकारी शुभम शुक्ला ने कहा था कि जिला अल्पसंख्यक विभाग ने बीएसए कार्यालय को सूचित किया है कि मुजफ्फरनगर में चलाए जा रहे 100 से अधिक मदरसों के पास पंजीकरण या मान्यता नहीं है और वे मानदंडों के खिलाफ काम कर रहे हैं।   

यूपी में लगभग 24 हजार मदरसे
अधिकारियों के मुताबिक, यूपी में लगभग 24 हजार मदरसे हैं। इनमें से 16 हजार मान्यता प्राप्त और 8 हजार गैर-मान्यता प्राप्त हैं। जिन मदरसों को नोटिस जारी किया गया है। उन्हें आदेश प्राप्त होने के तीन दिनों के भीतर अपने संबंधित दस्तावेज पेश करने के लिए कहा गया है। यदि वह दस्तावेज पेश नहीं करते हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। नोटिस में कहा गया है 'अगर मदरसे बिना मान्यता के चलते पाए गए तो उन पर प्रतिदिन 10 हजार रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा'।

ज्यादातर मदरसे भारत-नेपाल सीमा पर संचालित
आपको बता दें कि बीते दिनों जांच में यह बात सामने आई कि ज्यादातर मदरसे भारत-नेपाल सीमा पर संचालित हैं। जिन्हें कथित तौर पर विदेशों से फंडिंग हो रही है। अधिकारी के मुताबिक, एसआईटी इस बात की जांच करेगी कि क्या उनके द्वारा प्राप्त धन का इस्तेमाल आतंकवाद या जबरन धर्म परिवर्तन जैसी किसी अवैध गतिविधियों में किया गया है। 

आधुनिक शिक्षा और खेल से जुड़े मदरसे- मंत्री 
वहीं इस मामले पर उत्तर प्रदेश के अल्पसंख्यक कार्य मंत्री दानिश आजाद अंसारी ने कहा है कि पीएम मोदी के मुस्लिम युवाओं के एक हाथ में कुरान और दूसरे हाथ में लैपटॉप के नारे के साथ यूपी सरकार जमीन पर काम कर रही है। आज मदरसे आधुनिक शिक्षा और खेल से जुड़ गए हैं। एआई को लेकर कक्षाएं भी चला रहे हैं ताकि मदरसे के एक छात्र को अधिक अवसर मिलें।

गौरतलब है कि यूपी सरकार ने बीते साल राज्य में मदरसों का सर्वेक्षण कराया था। रिपोर्ट में विदेश फंडिंग होने का खुलासा हुआ। अब इस मदरसों में विदेशी फंडिंग की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया। प्रदेश के सभी मदरसों पर एसआईटी की नजर हैं।