Manipur Violence Reason 2023: मणिपुर के छात्रों को देश के विभिन्न विश्‍वविद्यालयों में समायोजित करने पर विचार करें

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को केंद्र और मणिपुर सरकार से पूर्वोत्तर राज्य में जातीय संघर्ष के कारण विस्थापित हुए छात्रों को विभिन्न केंद्रीय विश्‍वविद्यालयों में समायोजित करने पर विचार करने का निर्देश दिया। शीर्ष अदालत ने विस्थापित छात्रों के एक समूह द्वारा दायर याचिका पर यह निर्देश दिया।

Manipur Violence Reason 2023: मणिपुर के छात्रों को देश के विभिन्न विश्‍वविद्यालयों में समायोजित करने पर विचार करें

Manipur Violence Reason 2023: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को केंद्र और मणिपुर सरकार से पूर्वोत्तर राज्य में जातीय संघर्ष (Manipur caste violence) के कारण विस्थापित हुए छात्रों को विभिन्न केंद्रीय विश्‍वविद्यालयों (Central Universities of India) में समायोजित करने पर विचार करने का निर्देश दिया। शीर्ष अदालत ने विस्थापित छात्रों के एक समूह द्वारा दायर याचिका पर यह निर्देश दिया। इन छात्रों ने उनका एक शैक्षणिक वर्ष का नुकसान होने से बचाने की मांग की है।

छात्र देशभर में रह रहे हैं और सभी के लिए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाना संभव नहीं

सीजेआई डी.वाई. चंद्रचूड़ (Chief Justice of India) की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुईं वरिष्ठ अधिवक्ता मीनाक्षी अरोड़ा से पहले तो मणिपुर उच्च न्यायालय (Manipur High Court) का रुख करने को कहा, लेकिन बाद में उनके तर्क को सही माना। मीनाक्षी ने तर्क दिया कि विस्थापित छात्र देशभर के विभिन्न राज्यों में रह रहे हैं और इन सभी के लिए मणिपुर उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाना संभव नहीं होगा।

इसी तरह की राहत केंद्रीय विश्‍वविद्यालयों में कश्मीर के प्रवासी छात्रों को भी दी गई थी

उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता 284 छात्र पहले ही शैक्षणिक वर्ष के मूल्यवान छह महीने खो चुके हैं। इन छात्रों ने मणिपुर यूनिवर्सिटी (Manipur University) एमी वेलफेयर सोसाइटी (Amy Welfare Society) की मदद से याचिका दायर की है। वरिष्ठ वकील ने कहा कि इन छात्रों की मांग उचित है, क्‍योंकि इसी तरह की राहत केंद्रीय विश्‍वविद्यालयों में कश्मीर के प्रवासी छात्रों को भी दी गई थी।

केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता (Solicitor General Tushar Mehta) ने कहा कि शीर्ष अदालत द्वारा नियुक्त समिति को संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत दायर याचिका में प्रतिवादी के रूप में शामिल नहीं किया जाना चाहिए। पीठ में शामिल न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला (Justice J.B. Pardiwala) और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा ने मेहता (Justice Manoj Mishra told Mehta) और मणिपुर के महाधिवक्ता से याचिका में उठाई गई मांग पर गौर करने को कहा और मामले की सुनवाई के लिए 4 दिसंबर की तारीख तय कर दी।