Assembly Elections 2023: 5 राज्यों में चुनाव के तारीख का हुआ ऐलान, सभी पार्टियों ने कसी कमर
भारत निर्वाचन आयोग ने पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव की तारीखों का एलान कर चुका है। सोमवार को हुए प्रेस कॉन्फ्रेंस में मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने चुनाव की तारीखों की घोषणा करते हुए जानकारी दी कि पांच राज्यों में 60.2 लाख नए मतदाता जुड़े हैं।
Assembly Elections 2023 भारत निर्वाचन आयोग ने पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव की तारीखों का एलान कर चुका है। सोमवार को हुए प्रेस कॉन्फ्रेंस में मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने चुनाव की तारीखों की घोषणा करते हुए जानकारी दी कि पांच राज्यों में 60.2 लाख नए मतदाता जुड़े हैं। पुरुष मतदाताओं की संख्या 8.2 करोड़ और महिला वोटर की 7.8 करोड़ है। सभी राज्यों को मिलाकर कुल 679 विधानसभा सीटों पर चुनाव होने हैं।
मिजोरम और मध्य प्रदेश में 7 नवंबर को एक-एक चरण में , छत्तीसगढ़ में दो चरणों में 7 और 17 नवंबर को तो वहीं राजस्थान में 23 नवंबर और तेलंगाना में 30 नवंबर को होंगे मतदान। जिनके नतीजे 3 दिसम्बर, रविवार को घोषित किए जाएंगे।
चुनाव आयोग ने बताया कि मिजोरम में कुल मिलाकर 8.52 लाख वोटर्स हैं, छत्तीसगढ़ में 2.03 करोड़, मध्य प्रदेश में 5.6 करोड़, राजस्थान में 5.25 करोड़ और तेलंगाना में 3.17 करोड़ वोटर्स हैं। आयोग ने यह भी कहा कि इन सभी राज्यों में 60 लाख से ज्यादा मतदाता बढे़ हैं और महिला मतदाताओं की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई है।
चुनाव आयोग की महत्वपूर्ण घोषणांए
- 17 अक्टूबर को जारी होगी मतदाता सूची।
- 17 से 23 अक्टूबर तक हो सकता है मतदाता सूची में संशोधन।
- 1.77 लाख पोलिंग बूथ बनाए जाएंगे।
- 2 किमी के अंदर होंगे सभी पोलिंग बूथ।
- 2900 पोलिंग बूथ पर युवा तो वहीं 8192 पोलिंग बूथ पर तैनात होंगी महिलाएं।
- 17,734 मॉडल पोलिंग बूथ होंगे।
- 621 पोलिंग स्टेशन के प्रबंधन का जिम्मा पीडब्ल्यूडी स्टाफ के पास होगा।
- बुज़ुर्ग और विकलांग घर से कर सकेंगे मतदान।
छत्तीसगढ़: पिछली बार किसकी थी सरकार, इस बार कौन मजबूत?
छत्तीसगढ़ में पिछले विधानसभा चुनाव में 90 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस को 68 सीटें मिलीं थीं तो वहीं, भाजपा 15 सीटों पर ही जीत हासिल कर पाई थी । जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) ने पांच सीटें जीते थीं, जबकि दो सीटें बसपा के खाते में गई थीं। नतीजों के बाद, छत्तीसगढ़ में 15 साल बाद कांग्रेस की सरकार बनी और भूपेश बघेल को मुख्यमंत्री बनाया गया।
कांग्रेस और भाजपा दोनों ने ही एड़ी चोटी का जोर लगाना शुरू कर दिया है। चुनाव के पहले कांग्रेस सरकार ने गारंटियों को लोगों के सामने रखा है। वहीं, भाजपा केंद्र की योजनाओं और प्रधानमंत्री के चेहरे के दम पर सत्ता में आने की उम्मीद कर रही है। इसके अलावा आम आदमी पार्टी ने भी फ्री बिजली और फ्री पानी की घोषणा करके राज्य में अपना दावा ठोक रही है।
मध्य प्रदेश में बीते पांच साल में क्या बदला, इस बार कौन मजबूत?
2018 के चुनाव के बाद 230 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस की 114 और भाजपा की 109 सीटें थीं। दो सीटें बसपा, एक सीट सपा और चार निर्दलीय उम्मीदवारों के खाते में गई थीं। 2020 में सिंधिया समर्थक विधायकों ने पाला बदल लिया था और कांग्रेस को अलविदा कह भाजपा का दामन थामा था। इसके बाद नवंबर 2020 में 28 सीटों पर उपचुनाव हुए जिसके बाद कांग्रेस 2020 में सत्ता से बेदखल हो गई थी। राज्य के मौजूदा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह हैं, लेकिन भाजपा इस बार उनके चेहरे के बिना चुनाव में जाएगी। वहीं, राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस कमलनाथ को ही मुख्यमंत्री पद का चेहरा प्रोजेक्ट कर रही है।
राजस्थान में क्या है राजनीतिक समिकरण, इस बार कौन मजबूत?
200 सदस्यीय राजस्थान विधानसभा के लिए चुनाव दिसंबर 2018 में हुए थे। चुनाव में कांग्रेस ने भाजपा को पटखनी देते हुए 99 सीटें जीतीं। भाजपा को 73, मायावती की पार्टी बसपा को छह तो अन्य को 20 सीटें मिलीं। बहुमत के लिए 101 विधायकों की जरूरत थी, जो कांग्रेस ने निर्दलियों और अन्य की मदद से जुटाईं और सत्ता में वापसी की थी।
चुनाव नतीजों के बाद कांग्रेस के सामने मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर सवाल खड़ा हो गया क्योंकि कांग्रेस की अंदरूनी कलह, सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच जारी शीतयुद्ध से कोई भी अनजान नहीं है।
गहलोत ने सत्ता वापसी को लेकर एक बड़ा ऐलान भी कर दिया है जिसमें उन्होंने बिहार की तरह राजस्थान में जाति जनगणना कराने की बात कही है। यह देखना दिलचस्प होगा कि इसका उन्हें फायदा होता है या नुकसान।
तेलंगाना थी किसी सरकार, इस बार कौन मजबूत?
119 सदस्यीय तेलंगाना विधानसभा चुनावों में 2018 में मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव की पार्टी टीआरएस ने अपना परचम लहराते हुए 88 सीटों पर जीत हासिल की थी, वहीं कांग्रेस, तेलुगु देशम पार्टी, तेलंगाना जन समिति और वाम दलों के प्रजा कुटामी गठबंधन ने 21 सीटों जीती थीं। भाजपा ने 1 तो वहीं, ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने 7 सीटों पर जीत हासिल की थी।
बीजेपी अब तक दक्षिण भारत में बहुत सफल नहीं हुई है। सिर्फ कर्नाटक ही एक ऐसा राज्य है जहां बीएस येदियुरप्पा के नेतृत्व में बीजेपी ने 2008 के विधानसभा चुनावों में जीत हासिल की थी। हालांकि इसी साल अप्रैल-मई में हुए कर्नाटक विधानसभा चुनावों में यह राज्य भी भाजपा के हाथ से निकल गया था।
इस बार बीआरएस के सामने सरकार बचाने की चुनौती होगी। तो वहीं, भाजपा और कांग्रेस राज्य की सत्ता में लौटने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं।
मिजोरम पिछली बार किसकी थी सरकार, इस बार कौन मजबूत?
मिजोरम विधानसभा की 40 सीटों पर 2018 में हुए चुनावों में मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) ने 26 सीटें जीतकर बहुमत हासिल की थी, और 10 साल बाद राज्य में अपनी सरकार बनाई थी। कांग्रेस ने 5 सीट पर जीत हासिल की थी, तो वहीं बीजेपी ने पहली बार मिजोरम में खाता खोल एक सीट पर कब्जा किया था।
मिजोरम में कांग्रेस दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनी हुई है और चुनाव से पहले राज्य में दो स्थानीय पार्टियों पीपुल्स कॉन्फ्रेंस (पीसी) और जोरम नेशनलिस्ट पार्टी (जेडएनपी) के साथ मिलकर 'मिजोरम सेक्युलर अलायंस' (एमएसए) बनाया है। । इस चुनाव में मुख्य मुकाबला एमएनएफ, जेडपीएम, कांग्रेस और भाजपा के बीच होने की उम्मीद है।