UP News: दीवाली से पहले एडेड शिक्षकों को मिली राहत, 17 महीने बाद सरकार ने जारी किया वेतन

सरकार ने लगभग 1,111 शिक्षकों को आखिरकार 17 महीने बाद वेतन देने के निर्देश दे दिए हैं। अब इन्हें बकाया वेतन के साथ-साथ फिलहाल आगे भी वेतन मिलता रहेगा। इसके साथ ही नियमानुसार नियुक्त न होने वाले इन तदर्थ शिक्षकों की सेवाएं समाप्त करने का भी फैसला लिया गया है।

UP News: दीवाली से पहले एडेड शिक्षकों को मिली राहत, 17 महीने बाद सरकार ने जारी किया वेतन

UP News: उत्तर प्रदेश सरकार ने दीवाली से पहले अशासकीय सहायता प्राप्त यानि एडेड माध्यमिक स्कूलों के सैकड़ों शिक्षकों को बड़ी राहत दी है। सरकार ने लगभग 1,111 शिक्षकों को आखिरकार 17 महीने बाद वेतन देने के निर्देश दे दिए हैं। अब इन्हें बकाया वेतन के साथ-साथ फिलहाल आगे भी वेतन मिलता रहेगा। इसके साथ ही नियमानुसार नियुक्त न होने वाले इन तदर्थ शिक्षकों की सेवाएं समाप्त करने का भी फैसला लिया गया है। अपर मुख्य सचिव माध्यमिक शिक्षा दीपक कुमार की ओर से शुक्रवार को तदर्थ शिक्षकों को 17 महीने का बकाया वेतन देने का आदेश जारी कर दिया है। अभी आगे भी इन शिक्षकों से पहले की तरह सेवाएं ली जाएंगी। 

तदर्थ शिक्षकों ने 54 दिनों तक किया प्रदर्शन

20 से 25 सालों से सेवाएं दे रहे प्रदेशभर के तदर्थ शिक्षकों ने वेतन को लेकर 54 दिनों तक माध्यमिक शिक्षा निदेशक कार्यालय पर प्रदर्शन किया था। जिसके बाद अब राज्य सरकार ने इन्हें मानवीय आधार पर वेतन देने का फैसला किया है। सरकार के इस फैसले से एडेड शिक्षकों को बड़ी राहत मिल गई है। लेकिन उन तदर्थ शिक्षकों को बकाया वेतन देकर नौकरी से बाहर भी कर दिया जाएगा, जो नियमों को पूरा नहीं करते है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने तदर्थवाद को खत्म करने का फैसला सुनाया था। 

1994 से एडेड शिक्षकों से ली जा रही सेवाएं

बता दें कि एडेड स्कूलों में साल 1994 के बाद नियमित शिक्षकों की संख्या कम होने पर प्रबंध तंत्र के माध्यम से तदर्थ शिक्षकों को पूरे वेतन पर रखकर सेवाएं लेना शुरू हुईं थी। इसके बाद साल 2000 के बाद प्रबंध तंत्र ने गलत ढंग से तदर्थ शिक्षक भर्ती करना शुरू कर दिया जो कि, वर्ष 2004 तक जारी रहा। ऐसे में नियमित पदों के सापेक्ष कार्य कर रहे इन शिक्षकों की संख्या बढ़ती गई और यह दो हजार के करीब पहुंच गई। 

2020 में सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा केस 

इस दौरान 20 से 25 वर्षों से अपनी सेवाएं दे रहे यह एडेड शिक्षक लगातार विनियमितिकरण की मांग करते रहे, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। वहीं माध्यमिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने भी गड़बड़ी की और कई जिलों में तदर्थ शिक्षकों को विनियमित कर दिया। इस बीच वर्ष 2020 में तदर्थ शिक्षक संजय सिंह ने विनियमितिकरण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में केस दायर किया।

अधिकारियों पर की गई कार्रवाई

सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर 26 अगस्त 2020 और सात दिसंबर 2021 को फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने तदर्थवाद को खत्म करने का निर्णय सुनाया और शिक्षकों को कोई राहत नहीं दी गई। सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षकों के खाली पदों पर भर्ती में इन्हें भारांक देने का निर्देश दिया। वर्ष 2021 में हुई भर्ती सिर्फ 12 शिक्षकों ही भारांक दिया गया। इसके बाद बीते वर्षों में विनियमित किए गए शिक्षकों के मामले में गड़बड़ करने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई शुरू हुई।

वर्ष 2022 में अयोध्या के संयुक्त शिक्षा निदेशक अरविंद पांडेय को गलत ढंग से विनियमितिकरण करने के आरोप में निलंबित भी कर दिया गया। माध्यमिक शिक्षा विभाग ने जून 2022 से एडेड शिक्षकों के वेतन पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई।

‘वेतन विहीन करना बेहद त्रासदी भरा फैसला था’
माध्यमिक तदर्थ शिक्षक संघर्ष समिति के संयोजक राजमणि ने बताया कि एडेड शिक्षकों ने वेतन को लेकर बीते सितंबर-अक्टूबर में आंदोलन किया। शिक्षकों ने माध्यमिक शिक्षा निदेशालय पर याचना कार्यक्रम के माध्यम से 54 दिन आंदोलन चलाया था, तब उन्हें आश्वासन दिया गया था कि जल्द ही कोई निर्णय होगा। वहीं अब सरकार ने राहत दे दी है। सरकार ने 17 माह से तदर्थ शिक्षकों के बकाया वेतन भुगतान का आदेश जारी कर दिया है। इसके लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रमुख सचिव माध्यमिक शिक्षा दीपक कुमार का आभार है। इन शिक्षकों ने अपना पूरा जीवन बच्चों के भविष्य को संवारने में लगा दिया। अब इस उम्र में उन्हें वेतन वंचित करने का फैसला बेहद त्रासदी भरा था। सरकार ने इन बातों को समझा और अब इस फैसले से इन सभी शिक्षकों के परिवारों में बड़ा बदलाव आएगा।