Paris Olympic 2024: ये है दुनिया का सबसे बड़ा ओलंपियन, भारत के गोल्ड मेडल से दुगना ज्यादा है इसके पास सोना
ओलंपिक 2024 (olympics 2024) के लिए फ्रांस की राजधानी पेरिस पूरी तरह से तैयार है। खेल प्रेमियों की अगवानी और स्वागत में कोई कोर कसर ना बाकी रह जाए इसकी पूरी तैयारी कर ली गई है। अब इंतजार है तो सिर्फ शुरुआत की।
ओलंपिक 2024 (olympics 2024) के लिए फ्रांस की राजधानी पेरिस पूरी तरह से तैयार है। खेल प्रेमियों की अगवानी और स्वागत में कोई कोर कसर ना बाकी रह जाए इसकी पूरी तैयारी कर ली गई है। अब इंतजार है तो सिर्फ शुरुआत की। खेलों का ये महाकुंभ 26 जुलाई से शुरू होगा जिसमे दुनिया भर के एथलीट अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन कर अपने देश का नाम रोशन करने उतरेंगे। दुनिया भर के हजारों एथलीट इस महासमर में 32 खेलों में दांव पर लगे 329 गोल्ड के लिए एक दूसरे से मुकाबला करेंगे। वहीं इस खेले के इतिहास में कई बड़े बड़े एथलीट हुए हैं जिसमे एक एथलीट ऐसा भी है जिसके जीते गोल्ड मेडल कई देशों के आज तक जीते गए गोल्ड मेडल से भी ज्यादा है। इस खिलाड़ी को सर्वकालीन महान ओलंपियन का दर्जा मिला हुआ है। वहीं इस ओलंपिक में भारत का 117 सदस्ययी दल भी हिस्सा ले रहा। टोक्यो के पिछले ओलंपिक के शानदार प्रदर्शन ने खिलाड़ियों के साथ-साथ खेलप्रेमियों में भी उत्साह का संचार किया है।
ओलंपिक में सबसे ज्यादा मेडल जीतने वाला खिलाड़ी
भारतीय ओलंपिक एसोसिएशन (Indian Olympic Association) के साथ साथ पूरे देश को भी उम्मीद है कि टोक्यो की 7 मेडल्स जिसमे एक गोल्ड,दो सिल्वर और चार ब्रॉन्ज शामिल थे उसमे में सुधार करते हुए यह 117 सदस्यायी दल इस बार मेडल्स की संख्या को दोहरे अंक तक पहुंचाने में कामयाब होगा। निराज चोपड़ा (Niraj Chopra) से इस बार फिर गोल्ड की उम्मीद है तो वही शूटिंग में अब तक का सबसे बड़ा दल भेजा गया है जहां एक से ज्यादा मेडल्स आने की संभावना है। बहरहाल हम बात कर रहे थे ओलंपिक इतिहास के अब तक के सबसे बड़े खिलाड़ी की। तो दुनिया उस खिलाड़ी को माइकल फेल्प्स (michael phelps) के नाम से जानती है। ओलंपिक खेलों में फेल्प्स से बड़ा कोई चैंपियन आज तक नहीं हुआ। ओलिंपिक खेलों में उनके नाम 23 गोल्ड, तीन सिल्वर और दो ब्रॉन्ज सहित कुल 28 मेडल हैं और जो उनके वर्चस्व साबित करने के लिए काफी है। माइकल फेल्प्स ने 2016 में रियो ओलिंपिक में पांच गोल्ड सहित एक सिल्वर जीतने के बाद स्विमिंग से संन्यास ले लिया था। अपने पूरे करियर के दौरान जब भी फेल्प्स तरणताल में उतरे सीधा सोने पर ही उन्होंने कब्जा किया।
15 साल की उम्र में शुरू हुआ ओलंपिक का सफर
माइकल फेल्प्स ने सिर्फ 15 साल की उम्र में अपना पहला ओलंपिक पार्टिसिपेशन (Olympic participation) किया था। वो साल था 2000 और मौका था सिडनी ओलंपिक (sydney olympics) का। इस ओलंपिक में फेल्प्स ने कोई मेडल तो नहीं जीता लेकिन मेंस 200 मीटर बटरफ्लाई इवेंट में 5वां स्थान हासिल करके उन्होंने भविष्य का स्टार बनने के संकेत जरूर दे दिए थे। उसके बाद शुरुआत होती है माइकल के स्वर्णिम युग की। चार साल बाद फिर ये युवा जब 19 साल का होता है तो मौका आता है 2004 एथेंस ओलंपिक का जब दुनिया पहली बार फेल्प्स की गोल्ड की भूख देखती है।
एथेंस में फेल्प्स 6 गोल्ड और दो ब्रॉन्ज जीतकर ओलंपिक के सर्वकालीन सर्वश्रेष्ठ एथलीट होने की ओर मजबूती से कदम बढ़ा देते हैं। उसके बाद 2008 के बीजिंग ओलंपिक में फेल्प्स ने और ऊंचाई छूते हुए इंडिवजिअल और टीम इवेंट में कुल 8 गोल्ड जीतकर अपने ही देश के स्वीमर मार्क स्पिट्ज के एक ओलंपिक में सबसे ज्यादा गोल्ड मेडल का रिकॉर्ड तोड़ा दिया। अब इसके बाद फेल्प्स कहां रुकने वाले थे। माइकल का ये जलवा 2012 और 2016 में भी जारी रहा। लंदन ओलंपिक में चार गोल्ड और दो सिल्वर जीतते हुए ‘गोल्ड मशीन’ की अपनी इमेज को फेल्प्स ने और मजबूत कर लिया। उसके बाद रियो ओलंपिक में 5 गोल्ड और एक सिल्वर जीतकर जिस तरह एक चैंपियन विदाई लेता है वैसे ही फेल्प्स ने नीले पानी को अलविदा कह दिया। फेल्प्स ने जब विदाई ली तब उनके खाते में कुल 23 गोल्ड, 3 सिल्वर और 2 ब्रॉन्ज मेडल शामिल थे जो की भरता के कुल 10 गोल्ड की तुलना में दुगने से भी ज्यादा हैं।